कुछ संकलित शेर
तुम हमारे किसी तरह न
हुए
वरना दुनियां में क्या नहीं होता
अज्ञात
जिस लम्हं वो मेरे पास से हंसकर गुजर गये
कुछ ख़ास दोस्तों के भी चेहरे उतर गये |
शमीम जयपुरी
शीशा टूटे गुल मच जाये ,
दिल टूटे आवाज न आये |
शीशये दिल से खेलने वाले ,
देख ये शीशा टूट न जाये |
कैसी घड़ी थी जब तुम आये ,
रह गये हम दामन फैलाये |
उनकी मुहब्बत , उनके नगमें ,
क्या मन चाहे , समझ न आये |
कैसी उनकी बज्म थी अनवर ,
प्यासे गये और प्यासे आये |
अनवर मिर्जापुरी