संकलित शेर
भरी बज्म में राज की बाट कह दी
बड़ा बेअदब हूँ , सजा चाहता हूँ |
अज्ञात
सांस के पर्दों में बजता ही रहा साजे हयात
पाँव के कदमों की आहट तेजतर होती गई
अज्ञात
नक्शा लेकर हाथ में बच्चा है परेशान
कैसे दीमक खा गई उसका हिंदुस्तान
निजा फाजली
अपना गम लेकर कहीं और न जाया जाये
बिखरी हुई चीजों को फिर से सजाया जाये
अज्ञात
ये नफरत है जिसे दुनियां लम्हों में जान
लेती है
मुहब्बत का पता लगने में जमाने बीत जाते
हें
वसीम बरेलवी
जो गीत तुमने सुना नहीं , मेरी उम्र भर का
रिआज था
मेरे दर्द की थी दास्ताँ , जिसे हंसी में
तुमने उड़ा दिया
अहमद अकी अहमद ( पाकिस्तान )