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गोपी लौट आया

8 जून 2015

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जब स्कूल से घर आकर गोपी ने अपना बैग फर्श पर फेंका तो उस में से कुछ फटी हुई कापियाँ और पुस्तकें बाहर निकल कर बिखर गई। उसकी माताजी, जो पहले ही किसी कारण निराश-सी बैठी थीं, ने जब यह देखा तो उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने एकदम उसके गाल पर थप्पड़ जड़ दिया और बोली, 'मॉडल स्कूल में पढते हो। वहाँ यही सब सिखाते हैं क्या? कितने दिन से देख रही हूँ। कभी बैग फेंक देते हो, कभी मोज़े और जूते निकालकर इधरउधर मारते हो। सुबह से शाम तक जी तोड़ कर काम करती हूँ। फिर कहीं जाकर मुश्किल से हजार रूपया महीना मिलता है। पता है, कैसे पढ़ा रही हूँ तुझे? देखो तो सही, क्या हालत बनाई हुई कॉपी-किताबों की। शर्म नहीं आती क्या?' गोपी की ऐसी आदतों से उसकी माताजी बहुत परेशान थीं। गोपी के पिताजी की एक हादसे में मृत्यु हो गई थी। घर का गुजारा बड़ी मुश्किल से चल रहा था। उसकी माताजी को यह चिंता भी रहती थी कि गोपी पढ़ाई में कोई दिलचस्पी नहीं लेता। उधर गोपी को अपनी माँ पर गुस्सा आ रहा था। पलंग पर पड़ा वह रोता रहा। कुछ सोच रहा था। अचानक उसके दिमाग में एक विचार कौंधा, 'क्यों न मैं पास वाले शहर में अपने दोस्त हैपी के पास चला जाऊँ। माताजी ढूँढेंगी तो परेशान तो होंगी।' बस, फिर क्या था। वह माँ के घर से निकलने का इंतजार करने लगा और जैसे ही वे पड़ोस में किसी काम से गई, वह चुपके से घर से बाहर निकल लिया और बड़-बड़े कदम भरता हुआ चलने लगा। चलने से पहले उसने माँ के पर्स से बीस रूपये का एक नोट भी निकाल लिया। कुछ देर बाद गोपी की माताजी घर आ गई। जब उन्हें गोपी कहीं नजर नहीं आया तो वे उसे ढंूढने लगीं। फिर उन्होंने सोचा कि वह अपने किसी दोस्त के पास गया होगा, थोड़ी देर में आ जाएगा। धीरे-धीरे अँधेरा घिरने लगा और रात हो गई। गोपी अभी तक नहीं लौटा था। उसकी माँ की चिंता बढ़ने लगी। वह इस बात से बिलकुल बेखबर थीं कि वह कभी दौड़ता, तो कभी किसी साइकिल या स्कूटर से लिफ्ट लेता हुआ दूसरे शहर पहुँच गया होगा। वह अपने दोस्त हैपी का घर तो जानता ही था। हैपी के माता-पिता को इस शहर में आए दो साल से ज्यादा समय हो गया था। हैपी के पिताजी की इस शहर में बदली हो गई थी। इसलिये वह गोपी का स्कूल छोड़ कर चला गया था। गोपी अभी हैपी के घर वाली गली में दाखिल हुआ कि उसने देखा, एक लड़का खंभे की ट्यूब की रोशनी में पढ़ने में व्यस्त था। वह उसके पास गया और उसे एकटक देखता रहा। फिर उसने पूछा, 'क्या कर रहे हो भाई?' उस लड़के ने नजर उठाई और बोला, 'पढ़ रहा हूँ।' यह कहकर वह फिर पढ़ने लगा। गोपी के दूसरे प्रश्न ने उसका ध्यान भंग कर दिया। गोपी का सवाल था, 'कौन सी कक्षा में पढ़ते हो?' 'दसवी कक्षा में।' उत्तर मिला। 'कौन से स्कूल में?' गोपी की उत्सुकता बढ़ती ही जा रही थी। 'स्कूल में नहीं प्राइवेट ।' वह लड़का कुछ और पढ़ना चाहता था, लेकिन गोपी के सवालों ने उसका मन उचाट कर दिया। वह अपनी पुस्तकें समेटने लगा। उसका हर रोज रात को साढ़े दस बजे तक पढ़ने का नियम था। बातों-बातों में गोपी को यह पता चल गया कि उस लड़के के माता-पिता नहीं हैं और वह साइकिल की एक दुकान पर मरम्मत का काम करता है। गोपी ने उससे और भी कई बातें कीं। इतने मेहनती लड़के की बातें सुनकर गोपी सन्न रह गया। उसे यह भी पता चला कि वह हर साल आधे मूल्य पर पुरानी किताबें खरीदकर पढ़ता है। गोपी ने उसकी पुस्तके देखीं तो मन ही मन उसे शर्म आई। वह सोचने लगा, उसकी माँ तो उसे नई किताबें खरीदकर देती हैं और वह उनका ऐसा हाल बना लेता है जैसे वे दो-तीन साल पुरानी हों। गोपी के मन को एकदम झटका-सा लगा। अपनी पुस्तकों और शिक्षा के प्रति ऐसा स्नेह? इतनी मेहनत? उसे अपने से ग्लानि-सी होने लगी। वह उस लड़के को दूर तक जाते हुए देखता रहा। फिर वह सोचने लगा, उसने जो कुछ भी किया, अच्छा नहीं किया। उसने फैसला किया कि वह माँ को सारी असलियत बता देगा और माफी माँग लेगा। अब वह अपनी किताबें भी संभाल कर रखेगा। उसकी कोई भी चीज इधर-उधर नहीं बिखरेगी। गोपी काफी देर तक यही सब सोचता रहा। हालांकि एकबारगी उसका मन हुआ भी कि वह सामने दिख रहे हैपी के घर की घंटी बजा दे, लेकिन न जाने क्या सोच कर उसने ऐसा नहीं किया। अब उसके कदम तेजी से पीछे की तरफ लौट रहे थे अपने घर की तरफ।
लोकेश भारद्धाज

लोकेश भारद्धाज

उत्तम ..अतिउत्तम !!

15 जुलाई 2015

शब्दनगरी संगठन

शब्दनगरी संगठन

अभय कुमार जी, अति सुन्दर रचना....बधाई !

8 जून 2015

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बन्दर एक परिचय !

28 जनवरी 2015
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मित्रो जैसा की आप जानते है इस देश में पढ़े लिखे गधो और अनपढ़ होसियार लोगो की कमी नहीं है मै भी उन में से एक हु और शायद आप भी हो ! तो अपना एक ही मोटो है मिल जुल कर चलते रहो मगर एकला चलो अपना राज्य बिहार है और आपको पता ही है बिहारी की खासियत ! बस चल रही है जिन्दगी और चला रहा हु मै ! मगर आप निरास न हो य

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वकवास ?

28 जनवरी 2015
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१. सभी को तो मालूम ही होगा की मै कितना वकवास करता हू और कितना पकाता हू खाना नहीं दिमाग ! आपलोग भी कर सकते है वकवास मगर अंडे के छिलके की तरह नहीं आदमी की तरह भी नहीं क्योकि हमलोग इस दुनिया के नहीं है तभी तो हर वेक्ट बुनिया छानते नजर आते है और हा बीबी से लात बहीखाते नजर आते है ! आगे लिख रहा हू तबतक इस

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कलियुग मे लंका सेतु निर्माण

28 जनवरी 2015
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साथियों, पेश है, लगभग तीन साल पहले लिखा हुआ मेरे एक लेख का रीठेल। यह एक काल्पनिक लेख है, इसका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना नही है। इसलिए इसको सिर्फ़ मनोरंजन की दृष्टिकोण से ही पढा जाए। सबसे पहले तो एक डिसक्लेमर: यह एक काल्पनिक लेख है, इसका उद्देश्य लोगों को हँसाना है, ना कि किसी

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राशिफल !

28 जनवरी 2015
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अभी चंद रोज पहले ही झींगालाला नामक एक ज्योतिषी की भी पैदाइश हुई है। जिस झींगालाला की मैं बात कर रहा हूं वे सिर्फ ब्लॉग का भविष्य बांचते हैं। देश के कुछ प्रसिद्ध ब्लॉग वाले उन्हें अपनी कुण्डली दिखा चुके हैं। फिलहाल झींगालालाजी ने राशि के हिसाब से कुछ जानकारियां दी है। आप यदि अपने को ब्लॉग बेता समझने

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आवश्यकता है एक गर्ल फ्रेंड की

30 जनवरी 2015
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निम्नलिखित पद के लिए आवेदन निमंत्रित की जाती है ! सभी प्रकार के पैकेज, लाभ आदि का विवरण नीचे दिया हुआ है , कृपया आवेदन करने से पहले सभी नियम , शर्ते एवं लाभ, पूर्ण रूप से पढ़ कर , अपनी अहर्ता जांच ले ! पद : जूनियर गर्लफ्रेंड / सहायक प्रेमिका अनुभव : कम से कम दो लडको की गर्ल फ्रेंड रह चुकी हो, तथा गर्

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गाली की परिभाषा ?

30 जनवरी 2015
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हिंदी के एक पीरियड में बिद्यार्थी ने दुसरे से पूछा :- गाली की परिभाषा बताओ ? तो दुसरे बिद्यार्थी ने जबाब दिया :- अत्यधिक क्रोध आने पर अहिन्सापुर्बक कार्यवाही करने के लिए शब्दों का वह समूह जिसके उचारण के पश्चात् मन को गहन शांति का अनुभव होता है , उसे हम गाली कहते है !

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पियक्कड़ी पर पीएचडी !

30 जनवरी 2015
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पियक्कड़ी पर पीएचडी यह लेख उन दारूबाजों को समर्पित है जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी दारु को समर्पित कर रखी है. ऐसा अक्सर देखा जाता है कि लोग दो तीन पैग पीने के बाद अजीब अजीब से हरकतें करने लगते है, ये लोग उन दारूबाजों कि तरफ से लिखा गया है, जो ज्यादा पीने के बाद महसूस करते है. दारूबाजों से निवेदन है कि

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नारी आठ आने में

30 जनवरी 2015
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काफी समय पहले कवि सम्मेलन टिकट से हुआ करते थे, एक बार पुरुषों के लिए टिकट था एक रुपया और महिलाओं के लिए आठ आने, एक जाने-माने कवि ने सम्मेलन का, शुभारम्भ इन पंक्तियों से किया - "जान हमने दे दी मान नारी का बढ़ाने में, आपने कमाल किया उसको घटाने में | नारियों की कीमत क्या नर से भी कम है जो, पुरुष एक रू

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३ पत्नियाँ

30 जनवरी 2015
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नई-नई शादी के बाद तीन देशों की पत्नियाँ आपस में मिलती हैं – अमरीकन पत्नि – सुहाग रात को मैंने पति से कहा झाड़ू, पोंछा, खाना पकाना, कपड़े-बर्तन धोना ये सब मैं नहीं करुंगी। अगले दिन पति नज़र नहीं आया, दूसरे दिन पति नजर नहीं आया, तीसरे दिन इन सब कामों की मशीनों के साथ दिखाई दिया। रुसी पत्नि – मैंने

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गोपी लौट आया

8 जून 2015
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सपने

8 जून 2015
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"धत्, तेरे काकरोच की। फिर चुन्नी में छेद। इन तेलचट्टों ने तो नाक में दम किया हुआ है। अब चुन्नी भी खानी थी तो रेशमा गुप्ता की। कभी मेहर पद्मसी की चुन्नी चाट कर देखी है? मगर मेहर की चुन्नी, रेशमा की चुन्नी की तरह कमरे में तार की अरगनी पर लटकी नहीं रहती है रात भर। बन्द रहती है गोड

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काला धन ...... नेता जी के माथे पर बल

16 जुलाई 2015
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काहे माथे पर बल डाले ...... इन्ह से उन्ह चक्कर काट रहे हो.... पेट में अफारा हो गया का ? या सुसरी अब विदेशी दारू भी नहीं पचती.... पी कर घूमना पड़ता है. नहीं इ बात नहीं फिर क्वोनो टेप-वैप का चक्कर परेशान कर रहा है.... नहीं इ बात नहीं........ इ बात नहीं उ बात नहीं, तो फिर का अपने कुंवर साहिब क्वोनो परे

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