मुन्नी ख़ुशी से उछल रही थी। माँ ने आखिर आज उसकी गुलाबी फ्रॉक जो बना दी थी। बस इस्त्री होते ही पहन कर सारी सहेलियों को दिखा कर आएगी। पुरानी, पैबंद लगी फ्रॉक के लिए सब मज़ाक उड़ाते थे। अब कोई नहीं उड़ाएगा।
फ्रॉक इस्त्री हो गयी और मुन्नी उसको पहनकर इठलाती हुयी खेलने चली गयी।
अगले दिन सुबह कचरे वाला गुलाबी कतरनें उठाते हुए भुनभुना रहा था 'देख कर तो लगता नहीं कि पैसे हैं ज्यादा, पर अच्छी भली साड़ी काट कर बर्बाद कर डाली है। जाने कैसे लोग हैं?'