अतुल और मोना की शादी को अभी एक महीना ही हुआ था कि अचानक कोरोना के कारण लॉकडाउन घोषित हो गया । लॉकडाउन लगने से पहले मोना अपने मायके गई हुई थी इसलिए वह वहीं रह गई । अतुल बैंगलोर ही था । एक तो अकेलापन और फिर उस पर लॉकडाउन । कोढ में खाज जैसी हालत हो गई थी अतुल की । समय निकालना बड़ा मुश्किल हो गया था उसके लिये । जैसे तैसे करके समय गुजरा और कोरोना की स्थिति में सुधार होने से लॉकडाउन में सरकार द्वारा ढील दे दी गई ।
मोना लगभग तीन माह बाद बैंगलोर पहुंची थी । ये तीन महीने कभीसी जेल से कम नहीं थे दोनों के लिये । रात भर दोनों सो नहीं सके थे । उनकी दीवाली मनी थी उस रात । बातों बातों में ही रात गुजर गई । ऐसा नहीं था कि लॉकडाउन में उन्होंने वीडियो कान्फ्रेंसिंग नहीं की थी , मगर आमने-सामने की बात ही कुछ और है । वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में मिलन संभव नहीं होता है न ।
अतुल और मोना अलग-अलग कंपनियों में जॉब कर रहे थे । अच्छा पैकेज था दोनों का । घर पर कामवाली बाई लगा रखी थी और एक कुक लगा रखा था । दिन बड़ी मस्ती से गुजर रहे थे दोनों के ।
5 सितंबर को मोना का जन्मदिन था । उस दिन मोना ने एक पांच सितारा होटल में खाना खाने और जन्मदिन मनाने का फैसला किया था । अतुल भी अपने ऑफिस से जल्दी ही घर आ गया था । आते समय वह अच्छा सा बूके और अपनी पसंद की एक अच्छी सी साड़ी लेकर आया था ।
घर पर आते ही उसने मोना की आंखों पर अपने हाथ रखकर मोना के हाथ में साड़ी देकर अतुल ने कहा " हैप्पी बर्थडे, जान" ।
मोना ने आंखें खोल दी और हाथ में साड़ी देखते ही बिफर पड़ी " ये क्या उठा लाये हो ? आजकल साड़ी कौन पहनता है " ?
अतुल एकदम घबरा गया । उसे ऐसी उम्मीद नहीं थी । वह सकपका गया । मोना इस तरह रीएक्ट करेगी , उसने सोचा भी नहीं था । पर उसने अपने आपको संभाला और बिना कोई शिकायत के संयत होकर बोला " सॉरी बेबी , मुझे और कुछ सूझा ही नहीं इसल ये साड़ी ले आया था । खैर कोई बात नहीं । हम दोनों कोई दूसरी ड्रेस लेकर आएंगे रविवार को । अच्छा , चलो लेट हो रहे हैं " ।
दोनों चल दिए। मोना ने वैस्टर्न आउटफिट पहना था । बहुत खूबसूरत लग रही थी वह । अप्सरा जैसी । अतुल ने भी जींस टी शर्ट पहना हुआ था । दोनों की जोड़ी बहुत जंच रही थी । दोनों ने खूब एन्जॉय किया । रात के दो बजे घर पर आये थे दोनों । आते ही बिस्तर में पड़ गए । सुबह आफिस भी तो जाना था ।
दिन हवा में उड़ते रहे । 20 नवंबर को अतुल का जन्मदिन आया । अतुल ने मोना को जल्दी आने के लिए बोल दिया था । आज गणपति मंदिर जाने का मन था उसका । गणेश जी से आशीर्वाद लेना चाहता था वह ।
अतुल जब घर आया तब तक मोना भी घर आ चुकी थी । दोनों ने साथ साथ चाय पी और तैयार होने के लिए चल दिए । अतुल ने कहा " मोना , उस दिन मैं जो साड़ी लाया था ना , प्लीज़ उसे पहनना आज मंदिर के लिए " ।
" तुम्हारा दिमाग तो खराब नहीं हो गया है ? मुझसे नहीं पहनी जाती है ये साड़ी वाड़ी । मैं तो जींस पहन कर ही जाऊंगी । मुझे इसी में कंफर्ट लगता है " ।
" अच्छा , जैसी तुम्हारी मर्जी " । कहकर अतुल तैयार होने के लिए चला गया । वह आज के दिन को झगड़े में बर्बाद नहीं करना चाहता था ।
मोना ने एक टाइट टॉप और एक आधुनिक जींस पहनी । जिसमें जानबूझकर फाड़ फाड़कर छेद किये जाते हैं । इस ड्रेस में वह बहुत ही आकर्षक लग रही थी । जींस में से उसका बदन भी दिख रहा था । अतुल उसे बांहों में भरकर बोला " आपके इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे हैं मैडम । कम से कम भगवान पर तो रहम करो " ? और शरारत से वह मुस्कुरा दिया । मोना कृत्रिम गुस्सा दिखाती हंस पड़ी।
मंदिर जाते वक्त एक दो मनचले उसे छेड़ने लगे । मोना गुस्सा करते हुये बोली "मंदिर में भी ऐसी हरकत करते हुए शर्म नहीं आती है तुम लोगों को" ?
"आती है मैडम, बहुत आती है । आप जैसी लड़कियां जब इस तरह के कपड़े पहनकर मंदिर आती हैं तब बहुत शर्म आती है । अब चुपचाप यहां से निकल लो" ।
रवि ने बीच बचाव करते हुए कहा "इन लोगों के मुंह नहीं लगना चाहिए । चलो , चलते हैं यहां से" ।
कुछ दिनों के बाद एक दिन अतुल ने कहा " खाना खाने के बाद पड़ोस के पार्क में घूम आया करें ? बोलो , क्या खयाल है " ?
" बहुत नेक खयाल है । नेकी और पूछ-पूछ ! चलो अभी चलते हैं "
" पहले ड्रेस तो चेंज कर लो " ।
"ठीक तो है । क्या चेंज करना " ?
" अरे , ये शॉर्ट ? इसे बदल कर प्लाजो वगैरह पहन लेती तो ठीक रहता । घर से बाहर जाते समय कम से कम शार्ट में नहीं जाना चाहिए । ऐसा मेरा मानना है " ।
" कौन सी दुनिया में जी रहे हो मिस्टर । हम आधुनिक नारियां हैं । अपनी मर्जी का करतीं हैं । किसी की हिम्मत नहीं है जो हमें टोके । अपना नजरिया बदलो श्रीमान जी । हमारे कपड़े तो वही होंगे जो हम चाहेंगे " ।
"उस दिन मंदिर जाते समय भी तुमने वह कटी फटी जींस पहनी थी । और तुम्हें तो पता ही है कि उस दिन कितना बखेड़ा हुआ था" ।
"हां पता है । मगर किसी के कहने से मैं अपना पहनावा तो नहीं बदल सकती हूं ना" ।
"ठीक है । जैसी तुम्हारी मर्जी " । अतुल खामोश हो गया ।
दोनों घूमने चल दिए । पार्क में खूब मस्ती की और फिर वापस लौट आए । शुक्र है कि उस दिन कोई उठाईगीरा रास्ते में नहीं मिला उन्हें ।
उनके विवाह की वर्षगांठ आने वाली थी । रविवार का दिन था । शॉपिंग का प्लान बनाया था दोनों ने । एक मॉल से दोनों ने मोना की पसंदीदा चीजें ले ली थीं । अतुल के लिए एक टी शर्ट और जींस खरीदने थे । जींस तो पसंद आ गई लेकिन टी शर्ट कुछ जम नहीं रही थी अतुल को । उसे पसंद ही नहीं आ रही थी कोई टी शर्ट । किसी का रंग पसंद नहीं आया तो किसी का फैब्रिक । अतुल ने कहा " कोई और मॉल देखते हैं "
"अब बहुत देर हो गई है । दूसरे मॉल में जाने में बहुत टाइम लग जाएगा । ऐसा करो , मैं पसंद कर लेती हूं"
और उसने एक टी शर्ट उठाई और कहा " देखो , कितनी प्यारी है ये टी शर्ट ! इसे ले लेते हैं "
"नहीं यार, मुझे पसंद नहीं आ रही है"
"मैंने पसंद कर ली है ना। अब इसे क्या देखना । तुम्हें पसंद करना आता है क्या ? उस दिन वो घटिया सी साड़ी उठा लाये थे । ये बहुत बढिया है । तुम पर जंच रही है । ले लेते हैं इसे " । मोना ने फरमान सुना दिया ।
अतुल ने अपनी गर्दन हिला कर स्वीकृति दे दी । और कोई विकल्प बचा नहीं था उसके पास । दोनों घर आ गए । दिन भर शॉपिंग करते करते थक गए थे दोनों। कुक ने खाना बना रखा था , उसे खाकर दोनों सो गए ।
वैडिंग एनीवर्सरी का दिन आ गया । सुबह जब दोनों सोकर उठे तो मुस्कुरा कर एक दूजे को "हैप्पी वैडिंग एनीवर्सरी" बोलकर अभिवादन किया । आज का दिन स्पेशल था । एक साल हो गया दोनों को शादी के बाद साथ साथ रहते हुए । हालांकि लॉकडाउन में तीन महीने दोनों अलग अलग रहे थे ।
अतुल आफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था । मोना ने अलमारी से वह टी शर्ट निकाली और अतुल को पकड़ाते हुए कहा " मिस्टर हसबैंड, इसे पहनिए"
अतुल ने एक नजर मोना को और एक नजर उस टी शर्ट को देखा । मुस्कुराते हुए बोला " पहन लेंगे जान फिर कभी इसे भी । आज इसे पहनने का मूड नहीं है"
"मूड कैसे नहीं है । इसे ही पहनना है " मोना ने अधिकार पूर्वक कहा ।
"नहीं , आज तो नहीं पहनूंगा" । कहकर अतुल ने दूसरी शर्ट निकाल ली और उसे पहनने लगा ।
मोना चिढ़ गई और कहने लगी " आखिर दिखा दी ना अपनी अकड़ ! आखिर तुम भी वही मर्द निकले जो अपनी हेकड़ी चलाते हैं औरतों पर । पढ़ लिख कर भी वैसे के वैसे ही रहे । औरतों की भावनाओं की कोई परवाह नहीं है तुम जैसे मर्दों को । मिस्टर , हम आधुनिक नारियां हैं जो पुरुषों की गुलाम नहीं हैं । भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारी टी शर्ट" । इतना कहकर वह पैर पटकती हुई चली गई ।
अतुल इस वाक़िए से अवाक रह गया । उसके पैर वहीं के वहीं चिपक गए । वह सोचने लगा कि उसने तो कुछ कहा ही नहीं । केवल इतना कहा कि उसे वह टी शर्ट नहीं पहननी है । आखिर उसकी इच्छा का सम्मान कब होगा ? क्या वह अपनी पसंद के कपड़े भी नहीं पहन सकता है ?
थोड़ी देर के बाद जब वह शांत हुआ तब उसने सोचा "उसे मोना की बात मान लेनी चाहिए थी । उसका दिल रखने के लिए ही सही । कौन सा फर्क पड़ रहा था उसकी सेहत पर ? मगर आज वह भी जिद्दी हो गया था" ।
वह अभी सोच ही रहा था कि इतने में मोना आई और बोली " यदि यह टी शर्ट पसंद नहीं थी तो लाए क्यों " ?
"मैं तो ले ही नहीं रहा था , मैडम । आपने ही जिद करके खरीदी थी "
"शॉपकीपर के सामने ही मना क्यों नहीं कर दिया आपने" ?
"ये तुमने सही कहा मोना , शॉपकीपर के सामने नाटक करना नहीं चाहता था मैं। वो क्या समझता कि दोनों में बिल्कुल नहीं पटती है । वहां पर बखेड़ा खड़ा नहीं हो , इसलिए कुछ बोला नहीं । पर इसका मतलब ये नहीं कि यह टी शर्ट मुझे पसंद आ गई थी " ।
"जो तुम्हारी पसंद हो वही करो । आखिर मैं होती ही कौन हूं , कहने वाली" ? आखिरी हथियार काम में लिया और मोना बड़बड़ाती हुई चली गई ।
अतुल भी ऑफिस चला गया । आज ऑफिस में उसका मन नहीं लग रहा था । एक झटका देकर उसने विचारों की श्रंखला को झिड़क कर दूर हटा दिया । आज का दिन तो बड़ा खास है । आज के दिन ही यह झगड़ा करना था उसे ? पर झगड़ा उसने कहां किया ? इतना ही कहा था कि वह टी शर्ट उसे पसंद नहीं है । इसमें गलत क्या कहा ? जब वह बड़े प्यार से साड़ी लाया था तो मोना ने उसे पहनना तो दूर , उसे देखा तक नहीं । मैंने तो जोर नहीं दिया उसे पहनने को । उसको नहीं पसंद तो कोई बात नहीं । उस दिन मंदिर में जाने के लिए साड़ी पहनकर चलने को कहा था । उसने माना ? और तो और , पार्क में जाने के लिए शॉर्ट बदलने के लिए कहा था , कितना कुछ सुनाया था मोना ने उस दिन ? मैंने जरा सा कह दिया कि मुझे वह टी शर्ट पसंद नहीं है तो उसने बात का बतंगड़ बना दिया । चलो , कोई बात नहीं । शाम को मना लूंगा । उसे खुद पर विश्वास था कि वह मना लेगा उसे ।
इतने में बॉस का बुलावा आ गया । बॉस ने उसे कोई अर्जेंट काम बता दिया और कहा कि इसे आज ही करना है । अतुल असमंजस में पड़ गया । बॉस को वह कैसे बताए कि आज उसकी शादी की वर्षगांठ है । वह तो आज जल्दी जाने वाला था । लेकिन अब क्या करे वो ?
अचानक उसे कुछ याद आया । वह अपने कुलीग मानस के पास गया और कहा कि आज उसकी शादी की सालगिरह है और बॉस ने उसे अर्जेंट काम बता दिया है । अब क्या करें ?
मानस उसकी स्थिति ताड़ गया । उसने कहा " हम जैसे दोस्त कब काम आएंगे, यार । चिंता मत कर । आधा काम मुझे दे दे " । अतुल को बड़ी राहत मिल गई ।
समय से पहले ही काम पूरा कर अतुल बॉस के पास पहुंच गया और रिपोर्ट सामने रख दी । बॉस उसे देखकर बहुत खुश हुआ और कहने लगा " अतुल , यू आर सो जीनीयस दैट आई कान्ट एक्सप्रेस अबाउट इट ! यू आर असैट्स आफ दिस कंपनी । आज इस काम को करके तुमने दिखा दिया है कि तुम क्या हो ? आज से तुम कंपनी के जनरल मैनेजर हो । आज तुम्हारा प्रोमोशन करता हूं" ।
"सर, इट्स योर ग्रेटनेस । सो मैनी थैंक्स टू यू सर , फॉर माई प्रोमोशन । आई एम आब्लाइज्ड , सर । एक रिक्वेस्ट है सर "
" हां हां , बोलो"
"सर , मैं माफी चाहता हूं । आपने काम मुझे दिया था मगर आज हमारी शादी की पहली वर्षगांठ है इसलिए मुझे थोड़ा जल्दी घर जाना था । इस कारण मैंने मानस की मदद ली थी । इस काम को पूरा कराने में उसका बहुत महत्वपूर्ण योगदान है । उसे भी प्रोमोशन मिल जाए तो अति उत्तम होगा सर, मेरे लिए " ।
"अरे , आज तुम्हारी शादी की सालगिरह है और तुमने बताया तक नहीं "?
"सर, मैं आपको बताता तो आप सारे स्टाफ को बताते और सारा स्टाफ काम धाम छोड़कर बधाई देने में लग जाता । इससे काम का कितना नुक्सान होता "
"तुम्हारा यही डेडिकेशन तुम्हें हीरो बनाता है, अतुल । सच में हम और हमारी कंपनी बहुत लकी हैं जो तुम्हारे जैसा चैम्प हमें मिला है । तुम्हारी इच्छा का सम्मान करते हुए मानस का भी प्रोमोशन कर देता हूं । मानस को डिप्टी जनरल मैनेजर बना देता हूं । जाओ , और जाकर मानस को बता दो "
अतुल ने हाथ जोड़ते हुए कहा " एक विनती है सर, ये बात आप स्वयं ही मानस को बुलाकर बोलोगे तो उसे बहुत अच्छा लगेगा । उसे मत बताना कि ये प्रोमोशन मेरे कहने से हुआ है अगर उसे यह पता लग जाएगा तो उसी समय से वह मेरे अहसान के बोझ से दब जाएगा और मैं एक हीरा जैसा दोस्त खोना नहीं चाहता हूं ।
बॉस अतुल को एकटक देखते रह गए । "किस मिट्टी के बने हो , अतुल । इतना विशाल हृदय आज के जमाने में कहां होता है किसी का । तुम्हारी पत्नी कितनी भाग्यवान है जिसे तुम जैसा पति मिला "
"सर, भाग्यवान तो मैं हूं जिसे मोना जैसी पत्नी मिली" ।
अतुल वहां से आ गया । उसे घर पर जल्दी पहुंचना था । उसने सोचा कि घर जाकर मोना की पसंद का कुछ काम करके उसे मना लूंगा । वह रास्ते से कुछ सामान मोना की पसंद का ले चला ।
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