अपने पन की बगिया है ,खुशहाली का द्वार जीवन भर की पूंजी है ,एक सुखी परिवार खुशहाली वह दीप है यारों ,हर कोई जलाना चाहता है खुशहाली वह रंग है यार्रों ,हर कोई रमना चाहता है खुशहाली वह दौर था यारों ,कागज़ की नावें होती थीं मिट्टी के घरौंदे थे ,छप्पर की दुकानें होती थी कहीं सुनाई देती थी रामायण ,कहीं रो
सिखा दे हमें मुस्कराना वो हर पल😍😇करने को तो है बयां इस दिल की कहानी,पर काश मैं कह पाती इसको अपनी जुबानी.कहने को तो इस दिल में है यूँ तो बहुत कुछ,पर कम्बख्त ये दिल बयां करता ही नही कुछ.दरियादिली इस दिल की तुम न पुछो बस,😐😐खुशमिजाज़ ही रहता है पीकर भी ये हार का रस.हैं हम तो नासमझ जो इसको न समझ पाए,ब