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जो करते डरते नहीं, करें न देर सवेर,अशोक सिंघल जी बने, हिंदुत्व के शेर।हिंदुत्व के शेर, बिना गरजे जो बरसे,ऐसे बादल बने, कृषक हिय जिनको तरसे ।कर्म सभी कर रहे, धर्म की सुधि न सबको,सिंघल एक 'मशाल' , नमन बिंदल का उनको ।