जो करते डरते नहीं, करें न देर सवेर,
अशोक सिंघल जी बने, हिंदुत्व के शेर।
हिंदुत्व के शेर, बिना गरजे जो बरसे,
ऐसे बादल बने, कृषक हिय जिनको तरसे ।
कर्म सभी कर रहे, धर्म की सुधि न सबको,
सिंघल एक 'मशाल' , नमन बिंदल का उनको ।
21 नवम्बर 2015
जो करते डरते नहीं, करें न देर सवेर,
अशोक सिंघल जी बने, हिंदुत्व के शेर।
हिंदुत्व के शेर, बिना गरजे जो बरसे,
ऐसे बादल बने, कृषक हिय जिनको तरसे ।
कर्म सभी कर रहे, धर्म की सुधि न सबको,
सिंघल एक 'मशाल' , नमन बिंदल का उनको ।