प्रत्येक नक्षत्र के अनुसार जातक की चारित्रिक विशेषताएँ तथा उसका व्यक्तित्वहम बात कर रहे हैं अश्विनी नक्षत्र के विषय में | इस नक्षत्र में उत्पन्नजातक का व्यक्तित्व आकर्षक होता है, बड़ी और चमकदार आँखें होती हैं और चौड़ा मस्तकहोता है | स्वास्थ्य सामान्यतः अच्छा रहता है | स
प्रत्येक नक्षत्र के अनुसार जातककी चारित्रिक विशेषताएँ तथा उसका व्यक्तित्वपिछले अध्यायों में हम प्रत्येकनक्षत्र के नाम की व्युत्पत्ति और उसके अर्थ, नक्षत्रों के आधार वैदिक महीनोंके विभाजन, नक्षत्रों के देवता, अधिपति ग्रह आदि विषयों परचर्चा करने के साथ ही इस विषय पर भी प्रकाश डाल चुके हैं कि किस राशि
27 नक्षत्रों की नक्षत्र पुरुष के शरीर से उत्पत्ति औरनिवास तथा उनके रंग, गुण, वर्ण और लिंगभारतीय वैदिक ज्योतिषी विष्णुपुराण की उस मान्यता का अनुमोदन करते हैं जिसके अनुसार नक्षत्रों की उत्पत्तिनक्षत्र पुरुष अर्थात काल पुरुष से हुई है | नक्षत्र पुरुष को स्वयं भगवान् विष
नक्षत्रों के गुण हमने अपने पिछले अध्यायों में नक्षत्रों की नाड़ी, योनि, गण, वश्य औरतत्वों के विषय में बात की | नक्षत्रों का विभाजन तीन गुणों – सत्व, रजस और तमस – केआधार पर भी किया जाता है | इन तीनों ही गुणों की आध्यात्मिक तथा दार्शनिक दृष्टिसे चर्चा तो इतनी विषद हो जाती है कि जिसका कभी अन्त ही सम्भव
नक्षत्रों के तत्व विवाह के लिए कुण्डली मिलान करते समय पारम्परिक रूप से अष्टकूट गुणों कामिलान करने की प्रक्रिया में नाड़ी, योनि और गणों के साथ ही नक्षत्रों के वश्य कामिलान भी किया जाता है | पाँच वश्यों के अतिरिक्त समस्त 27 नक्षत्र चार तत्वों मेंभी विभाजित होते हैं | जिनमें से पाँचों वश्य तथा वायु तत्व
नक्षत्रों के वश्य और तत्व विवाह के लिए कुण्डली मिलान करते समय पारम्परिक रूप से अष्टकूट गुणों कामिलान करने की प्रक्रिया में नाड़ी, योनि और गणों के साथ ही नक्षत्रों के वश्य कामिलान भी किया जाता है | नक्षत्रों के वश्य : प्रत्येक नक्षत्र किसी मनुष्य अथवा किसी अन्य जीव को Dominate करता है –अर्थात उस पर अप
नक्षत्रोंके गणपिछले अध्याय में हमने नक्षत्रों की योनियों पर चर्चा की थी | विवाह केलिए कुण्डली मिलान करते समय पारम्परिक रूप से अष्टकूट गुणों का मिलान करने कीप्रक्रिया में नाड़ी और योनि के साथ ही नक्षत्रों के गणों का मिलान भी किया जाता है| इस विषय पर विस्तार से चर्चा “विवाह प्रकरण” में करेंगे | अभी बात
नक्षत्रों की योनियाँपिछले लेख में हमनेनक्षत्रों की नाड़ियों पर बात की थी | सारे 27 नक्षत्र आद्या, मध्या औरअन्त्या इन तीन नाड़ियों में विभक्त होते हैं और प्रत्येक नाड़ी में नौ नक्षत्र होतेहैं | नाड़ियों के साथ साथ योनियों में भी नक्षत्रों का वर्गीकरण होता है |प्रत्येक नक्षत्र एक विशेष योनि से सम्बन्ध रखत
नक्षत्रों की नाड़ियाँपिछले लेख में हमने बात कीप्रत्येक नक्षत्र की संज्ञाओं और उनके आधार पर जातक के अनुमानित कर्तव्य कर्मों की| नक्षत्रों का विभाजन नाड़ी, योनि और तत्वों के आधार पर किया गया है | तो आज“नाड़ियों” पर संक्षिप्त चर्चा…प्रत्येक नक्षत्र की अपनी एकनाड़ी होती है – या यों कह सकते हैं कि प्रत्येक न
नक्षत्रोंकी संज्ञा के अनुसार कर्तव्य कर्म पिछले लेखों में बात कर रहे थे कि 27 नक्षत्रों में प्रत्येकनक्षत्र में कितने तारे (Stars) होते हैं, प्रत्येक नक्षत्र के देवता (Deity) तथा स्वामी अथवा अधिपति ग्रह (Lordship)कौन हैं, प्रत्येक नक्षत्र को क्या संज्ञा दी गई है| नक्षत्रों की संज्ञा से उनकी प्रकृति
नक्षत्र और मानव के रूप गुण स्वभाव हम नक्षत्रों के विषय में बात कररहे थे, उसी को आगे बढ़ाते हैं | 27 नक्षत्रों में प्रत्येक नक्षत्र में कितने तारे (Stars) होते हैं, प्रत्येक नक्षत्र के देवता (Deity) तथास्वामी अथवा अधिपति ग्रह (Lordship) कौन हैं, प्रत्येक नक्षत्र को क्या संज्ञा दी गई है इत्यादि विषयों
नक्षत्रों के तारकसमूह, देवता, स्वामी ग्रह, संज्ञा तथा विभिन्न राशियों में उनकाप्रस्तार नक्षत्रोंका विश्लेषण करते हुए अभी तक हमने सभी 27 नक्षत्रों के आरम्भिक रूप और गुण पर बातकी | इस विषय पर बात की कि सभी बारह हिन्दी महीनों में 27 नक्षत्रों का विभाजन किसप्रकार हुआ तथा हिन्दी महीनों के वैदिक ना
नक्षत्रों के आधार पर हिन्दी महीनों का विभाजन और उनके वैदिक नाम:- ज्योतिष मेंमुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त कियेजाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थतथा पर्यायवाची शब्दों के विषय में हम पहले बहुत कुछलिख चुके हैं | अब ह
नक्षत्रों के आधार पर हिन्दी महीनों का विभाजन और उनके वैदिक नाम:- ज्योतिष मेंमुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त कियेजाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थतथा पर्यायवाची शब्दों के विषय में हम पहले बहुत कुछलिख चुके हैं | अब ह
नक्षत्रों के आधार पर हिन्दी महीनों का विभाजन और उनके वैदिक नाम:- ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त कियेजाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थतथा पर्यायवाची शब्दों के विषय में हम पहले बहुत कुछ लिख चुके हैं | अब
नक्षत्रों के आधार पर हिन्दी महीनों का विभाजन और उनके वैदिक नाम:- ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त कियेजाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थतथा पर्यायवाची शब्दों के विषय में हम पहले बहुत कुछ लिख चुके हैं | अब
नक्षत्रों के आधार पर हिन्दी महीनों का विभाजन और उनके वैदिक नाम:- ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त कियेजाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थतथा पर्यायवाची शब्दों के विषय में हम पहले बहुत कुछ लिख चुके हैं | अब
नक्षत्रों के आधार पर हिन्दी महीनों का विभाजन और उनके वैदिक नाम:- ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त कियेजाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थतथा पर्यायवाची शब्दों के विषय में हम पहले बहुत कुछ लिख चुके हैं | अब
रेवतीज्योतिष मेंमुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जानेवाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथापर्यायवाची शब्दों के विषय में हम बात कर रहे हैं | इस क्रम में अब तक अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वस
दोनों भाद्रपदज्योतिष मेंमुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जानेवाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथापर्यायवाची शब्दों के विषय में हम बात कर रहे हैं | इस क्रम में अब तक अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा,