नक्षत्रों के आधार पर हिन्दी महीनों का विभाजन और उनके वैदिक नाम:-
ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये
जाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ
तथा पर्यायवाची शब्दों के विषय में हम पहले बहुत कुछ लिख चुके हैं | अब आरम्भ करते हैं कि किस प्रकार हिन्दी महीनों
का विभाजन नक्षत्रों के आधार पर हुआ तथा उन हिन्दी महीनों के वैदिक नाम क्या हैं |
हम यह पहले ही स्पष्ट कर चुके
हैं कि प्रत्येक हिन्दी माह में दो दो नक्षत्र होते हैं | केवल आश्विन, भाद्रपद और फाल्गुन ही ऐसे महीने हैं जिनमें प्रत्येक में तीन तीन नक्षत्र
आते हैं | यहाँ हम प्रत्येक हिन्दी माह का वैदिक नाम प्रस्तुत कर रहे हैं… आज
चैत्र और वैशाख माह…
चैत्र : चैत्र माह में दो
नक्षत्र आते हैं – चित्रा और स्वाति तथा चित्रा नक्षत्र प्रधान होने के कारण इस
माह का नाम चैत्र पड़ा | इस माह का वैदिक नाम है मधु – स्पष्ट रूप से सभी जानते हैं
कि मधु शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है मीठा, sophisticated, pleasant, tasteful. पुष्पों के पराग को भी मधु कहा
जाता है | शहद अर्थात Honey को भी मधु कहते हैं | एक प्रकार का सोमरस मधु कहलाता है | अमृत के लिए
मधु शब्द का प्रयोग हमारे साहित्यकार प्रायः करते हैं | दूध के लिए मधु शब्द का
प्रयोग होता है | इसके साथ ही एक राक्षस का नाम भी मधु था, माँ भगवती की सहायता से भगवान विष्णु ने जिसका वध किया था | इसीलिए भगवान
विष्णु का एक नाम भी माधव है | भगवान राम के छोटे भाई शत्रुघ्न ने भी मधु नाम के
एक राक्षस का वध किया था जो लवणासुर का पुत्र था | ऐसी भी मान्यता है कि वर्तमान
मथुरा शहर का नाम मथुरा (मधुरा) उस दैत्य के नाम पर पड़ा जो मथुरा के चारों ओर
प्रसारित मधु नामक वन में रहा करता था | माना जाता है कि जो व्यक्ति इस माह में दिन
में एक समय भोजन ग्रहण करता है तथा अनुशासित और संयमित जीवन व्यतीत करता है उसे हर
प्रकार की सुख समृद्धि प्राप्त होती है | चैत्र नवरात्रों में एक समय भोजन ग्रहण
करने तथा व्रत आदि का अनुष्ठान करने के पीछे भी सम्भवतः यह भी एक लोकमान्यता रही
होगी |
वैशाख : इस माह में भी दो
नक्षत्र होते हैं – विशाखा और अनुराधा तथा विशाखा नक्षत्र प्रमुख होने के कारण
इसका नाम वैशाख पड़ा | इसका वैदिक नाम है माधव | इस माह में वसन्त ऋतु भी आती है |
क्योंकि यह माह चैत्र अर्थात मधु के बाद आता है इसलिए भी इसे माधव कहा जाता है |
वसन्त ऋतु को प्रेम तथा सौन्दर्य के देवता कामदेव का परम मित्र माना जाता है |
माधव अर्थात मधु के समान मधुर | नींबू के रंग – Lemon Colour – को भी माधव कहा
जाता है | मधु दैत्य के पुत्र का नाम, भगवान कृष्ण का नाम, इन्द्र तथा परशुराम का भी नाम माधव उपलब्ध होता है | मधु से बनी सुरा को भी
माधव कहा जाता है | चैत्र माह के ही समान इस माह के विषय में भी मान्यता है कि जो
व्यक्ति इस माह में अनुशासित और संयमित जीवन व्यतीत करता है वह सब प्रकार की सुख
समृद्धि प्राप्त करता है |
https://www.astrologerdrpurnimasharma.com/2019/01/04/constellation-nakshatras-31/