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नक्षत्र

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शतभिषजज्योतिष मेंमुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जानेवाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथापर्यायवाची शब्दों के विषय में हम बात कर रहे हैं | इस क्रम में अब तक अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्व

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धनिष्ठाज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथाअन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग केआवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दोंके विषय में हम बात कर रहे हैं | इस क्रम में अब तक अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्

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श्रवणज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथाअन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग केआवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दोंके विषय में हम बात कर रहे हैं | इस क्रम में अब तक अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वस

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दोनों आषाढ़ ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथाअन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग केआवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दोंके विषय में हम बात कर रहे हैं | इस क्रम में अब तक अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा, प

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मूलज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथाअन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग केआवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दोंके विषय में हम बात कर रहे हैं | इस क्रम में अब तक अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिर, आर्द्रा, पुनर्वसु,

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ज्येष्ठादीपावली के सारे पर्व सम्पन्न हो चुके | अब पुनः लौटते हैंअपनी नक्षत्र-वार्ता पर | ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथाअन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग केआवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दोंके विषय में हम बात कर र

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अनुराधा नक्षत्र नक्षत्रों की वार्ता को ही और आगे बढाते हैं | ज्योतिष मेंमुहूर्त गणना, प्रश्न तथा अन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं केलिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग के आवश्यक अंग नक्षत्रों के नामों कीव्युत्पत्ति और उनके अर्थ तथा पर्यायवाची शब्दों के विषय में हम बात कर रहे हैं |इस क्रम में अब तक अश

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विशाखा नक्षत्र नक्षत्रों के विषय में बात आरम्भ की थी लेकिन बीच में कोईपर्व आदि आ जाने से वार्ता मध्य में छूट जाती है | अब पुनः नक्षत्रों की वार्ता कोही और आगे बढाते हैं | ज्योतिष में मुहूर्त गणना, प्रश्न तथाअन्य भी आवश्यक ज्योतिषीय गणनाओं के लिए प्रयुक्त किये जाने वाले पञ्चांग केआवश्यक अंग नक्षत्रों

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रोहिणी सभी 27 नक्षत्रों के नामों की व्युत्पत्ति के क्रम में अबतक हमने अश्विनी, भरणी और कृत्तिका नक्षत्रों के नामों पर बात की| इसी क्रम में आज बात करते हैं रोहिणी नक्षत्र की | रोहिणी की निष्पत्ति रूह् धातु से हुई है जिसका अर्थ है उत्पन्न करना, वृद्धि करना, ऊपर चढ़ना, आगे बढ़

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कृत्तिका :-बात चल रही है वैदिक ज्योतिषके आधार पर मुहूर्त, पञ्चांग, प्रश्न इत्यादि के विचार के लिएप्रमुखता से प्रयोग में आने वाले 27 नक्षत्रों के नामों की व्युत्पति (किस धातु आदि से किस नक्षत्र का नाम बना)किस प्रकार हुई तथा इनके अर्थ क्या हैं इस विषय पर | पिछले लेख मेंइसी

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भरणी वैदिक ज्योतिष के आधार पर मुहूर्त, पञ्चांग, प्रश्नइत्यादि के विचार के लिए प्रमुखता से प्रयोग में आने वाले “नक्षत्रों की व्युत्पत्ति और उनके नामों” पर वार्ता केक्रम में अश्विनी नक्षत्र के बाद अब दूसरा नक्षत्र होता है भरणी | भरणी शब्द की व्युत्पत्ति हुई है भरण में ङीप्

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नक्षत्रों की व्युत्पत्ति तथा उनके अर्थअभी तक हमने 27 नक्षत्रों के आधार पर बारह हिन्दी महीनों केनाम तथा उनके वैदिक नामों के विषय में चर्चा कर रहे थे | किन्तु जिन नक्षत्रों के नाम पर हिन्दी महीनों के नाम रखे गए उन नक्षत्रों केनाम किस प्रकार बने यह विचारणीय प्रश्न है | तो अब

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27 नक्षत्रों का हिन्दी महीनों में विभाजन तथाहिन्दी माहों के वैदिक नामपिछले अध्यायमें चर्चा की थी 27 नक्षत्रों की और उनके नामों का उल्लेख किया था | जैसाकि पहले भी लिखा है कि जिस हिन्दी माह की शुक्ल चतुर्दशी-पूर्णिमा को जिस नक्षत्रका उदय होता है उसी के आधार पर उस माह का नाम

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