लरज़ के आंख का मिलना तिलमिलाना भीबहुत नफ़ीस हैं तेरी तरह बहाने भीअदाए शोख़ से न कहना मुस्कुराना फिरइशारे देख समझ लेते हैं सब दिवाने भीवो एक लम्हा शबे वस्ल की इनायत कातवील ख्वाब के कम हैं जिसे ज़माने भीहया से आंख का झुकना मचलना दिल का छुपाये छुपते कहां इश़क़ के ख़ज़ाने भी कभी ये दिल है मेरा और मेरा द