बात और थोड़े दिन की।चुरा लो और क्या चुराओगे?पूछेगीं नज़रे,तो क्या बताओगे?जुबान चुप होगी, होठ सिल जाएंगे।मयते कब्र मे दफ़न हो जाएंगी।अब वक्त शुरू हुआ हैं, विलय का।बैंक ही नहीं सबकुछ विलय हो जाएगा।चलता रहा यू ही कारवां, आने वाली पीढ़ियाँ भी विलय हो जाएंगी।खोजते रहना जाति, धर्म, जब इंसानियत ही विलय हो जाएग
अब अपने मनसे जीव।आटा-लाटा ख़ाके, ताजा माठा पीव।देख पराई कमाई, मत ललचाव जीव।हो घर मे जो, उसको खा-पी के जीव।चाईना ने तिब्बतके बॉर्डर मे मिसाईल तान दी।1965 मे सहस्रसिपाहियो ने अपनी बलिदानी दी ।जो घर मे होघीव, देख उसे शकुनसी जीव।देख राजा-नेताओके झगड़े मे, मत जलाओअपना जीव।छोड़-छाड़ जातीधर्म आरक्षण का वहम खुद