अब अपने मन
से जीव।
आटा-लाटा ख़ाके, ताजा माठा पीव।
देख पराई कमाई, मत ललचाव जीव।
हो घर मे जो, उसको खा-पी के जीव।
चाईना ने तिब्बत
के बॉर्डर मे मिसाईल तान दी।
1965 मे सहस्र
सिपाहियो ने अपनी बलिदानी दी ।
जो घर मे हो
घीव, देख उसे शकुन
सी जीव।
देख राजा-नेताओ
के झगड़े मे, मत जलाओ
अपना जीव।
छोड़-छाड़ जाती
धर्म आरक्षण का वहम खुद से मेहनत कर।
वोट रोड नौकरी
इन सब की टेंसन मे मत सरकारी बारण्डी को पीव।
पाया हैं मानव
का जीवन छोड़ ऊट पटांग की बाते अपने होठे को न सीव।