हिन्दी हमारी मात्र भाषा होते हुए भी,
उसे हिंदु देश वासी ठोकर मार कर।
अंग्रेर्जो की भाषा अपना रहे हैं।
अपनी संस्कृति भूल कर,
दूसरे देशो की सस्कृति अपना रहे है।
फिर भी बोलते हैं कि हम हिन्दुस्तानी हैं, ये वो किस और क्यो बोलते हैं।
क्योंकि उनको नहीं पता अपनी देश की भाषा और सस्कृति क्या है।
हिन्दू धर्म ये नहीं बोलता अपने बडो़ का अपमान करो और ना बोलता कि कि तुम पी के किसी पर अत्याचार करो।
हिन्दू धर्म प्यारा और शांति सिखता है।
अपने से बडो़ का आदर और छोटो से प्यार करना सिखाते है।
एक हिन्दुस्तानी कभी किसी का अपमान नहीं कर सकता, चाहे वो कोई भी हो। माँ और पापा जी को दिल से चाहता और मानता है। कभी बडो़ के सामने गलत और जोर से आवाज में बोलना नही सिखता,
हाँ आज कल लोगो और बच्चों में ये देखा गया है।
बोलते कुछ और है और करते अपनी मर्जी से है और उसको रोका जाए तो वापस पलट के बोलते हैं कि ये नयी जेनरेशन है।
आप क्या समझोगे की क्या सही और क्या गलत है।
आज कल माँ और पापा जी को बच्चे सीखा रहे हैं कि इस युग में चलना और शिक्षा क्या है।
क्या कल के पैदा हुए बच्चे इतने अनुभवी है कि वो अपने ही घर में अपने बडो़ को शिक्षा दे सके।
इस देश में इतनी विदेशी पूंजी भंडार है और विदेशी भाषा के साथ विदेशी चलन है कि सब हिन्दुस्तान की संस्कृति और भाषा और रहन सहन को भूलते जा रहे हैं। जिस से देश तो बस नाम का हिन्दुस्तान हैं और काम सारे विदेशी हैं।
ऐसे ही सिलसिला चलता रहा तो वो दिन ज्यादा दूर नहीं कि फिर से हिन्दुस्तान पर विदेशी लोग राज करेगा और हिंदुस्तान फिर वही दौर में होगा जब आजाद वतन के सिपाहीयो ने अपनी जान गवा के हिन्दुस्तान को आजाद भारत बनाया था।
अगर ऐसा हुआ तो कौन बचायेगा इस देश को लूटने से।
क्या हिन्दुस्तान फिर वही बलिदान मांग रहा है।
तो ऐसे में कौन आयेगा इस देश को बचाने क्योंकि यहाँ तो घर के लोग ही एक दूसरे के विरोध में बैठे हैं।
फिर कोई देश को लूटने से बचा सकता है।
प्रेरणा ये है कि विदेशी आदत छोड़ कर अपनी मातृभाषा को और अपने जीवन में अपने बडो़ का मान सम्मान करो तभी हम इस देश को लूटने से बचा सकते हैं