क्या लिखु मैं, मेरे दिल के भावों पढे या देखने और कुछ बोलने से पहले ही हटा दिया जाता है। जिस से भाव प्रकट करते अब सोचना पढता हैं कि इतना बेकार लिखा था कि उसे पढना भी जरूरी नहीं समझा जाता और डिलिट कर दिया जाता है। इस से अब अपने विचार प्रस्तुत और भाव प्रकट करते हुए अजीब सा और मन हटता जा रहा है। सुप्रभात मित्रों 🙏🏻🙏🏻🙏🏻