आज कल वही पढा और देखा जाता है। जो पैसो से मिले । वरना लोग तो फ्री के नाम से ही खुद अदाजां लगा लेते हैं। कि चीजों में क्या फर्क है। कौन सी अच्छी और कौन सी बेकार है।
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हिन्दी हमारी मात्र भाषा होते हुए भी, उसे हिंदु देश वासी ठोकर मार कर। अंग्रेर्जो की भाषा अपना रहे हैं। अपनी संस्कृति भूल कर, दूसरे देशो की सस्कृति अपना रहे है। फिर भी बोलते हैं