सभी इच्छायें जहाँ होंगी वहाँ कोई ना कोई जाल मिलेगा, उसमें फँस कर ख़ुश होता इंसानी लाल मिलेगा। ज़रूरतें पूरी हो जाना ही सिर्फ़ काफ़ी नहीं, दूसरों की नक़लों में हरपल बहाता माल मिलेगा। संतुष्ट नहीं होता अपनी हैसियत और हस्ती से, और-और करके हरदम बजाता गाल मिलेगा। जीवन से ज्यादा सामग्रियाँ इकट्ठी कर ली, पीढ़ियों की चिंता करता मानवता का दलाल मिलेगा। आवश्यकता और इच्छा दो अलग अलग चीजें हैं, अनंत इच्छाओं के बीच ज़रूरत नन्हा सा बाल मिलेगा। आवश्यकता नवीनता की भेंट चढ़तीं ही जातीं, अंग बेचकर भी उसको ख़रीदता बदहाल मिलेगा। सब कुछ रखकर भी बैठता नहीं सुख से, नई इच्छाओं को खोजता पागलों का हाल मिलेगा। भूल जाता शरीर की माँग बहुत सीमित है, अमीर या ग़रीब दोनों को रोटी और दाल मिलेगा। स्वर्ग में सीढ़ी की इच्छा तो रावण नें भी कर ली। स्वर्ण नगरी वालों को राम के हाथों काल मिलेगा। छोटी सी ज़िंदगी में इच्छाओं से लदा रहता, यम को देख अंत में जीवन का मलाल मिलेगा । परमात्मा की इच्छा ही है सबसे सच्ची इच्छा, माँग ले परमात्मा को “रश्मि” तुझको प्रतिपाल मिलेगा। *******