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कुछ लम्हे ऐसे होते है वो कभी भूले नही जाते हैं। जिंदगी भर के लिए खुशी के पल बन जाते है । वो लम्हे हम ना किसी को बता कर पाते है। ना कोई शब्द बया कर सकते हैं। ऐसे पल दिल में एक यादगार के पल दे जाते है।

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चाहत

चाहत

निमिला पुतुल नही होता है वो जो हम चाहते हैं।

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जिंदगी

जिंदगी

जिंदगी में परेशानियां कितनी भी आएं कभी भी अपने आप को कमजोर मत पड़ने देना . याद रखना ये परेशानियां ही आप को मजबूत बनातीं हैं. ये बो सबक सिखा के जातीं हैं जो कोई किताब या ब्यक्ति नहीं सिखा सकता. और फिर भी समझ में न आये तो याद रखना. सूरज क

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कड़ी तपस्या

कड़ी तपस्या

. कड़ी तपस्या कड़ी तपस्या वो नहीं जो साधु महात्मा लोग करते हैं। कड़ी तपस्या करना बहुत ही मुश्किल है। कड़ी तपस्या में घर और परिवार को जो एक साथ लेकर चला सच है कि उसकी तपस्या पूरी हुई। मां और पापा जी के देखे सपने तो कड़ी तपस्या भाई

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खामोशी

खामोशी

मैने ये दुनिया ज्यादा देखी तो नहीं और ना ही इतनी समझ हैं। क्या अच्छा है और क्या नहीं। इस लिए में किसी को सलाह नही अधिकारी हूँ। कि कुछ समझा सकू फिर भी खामोशी को तोड़ना भी जरुरी होता है तो जब मन करता है लिख देती हूँ। मैं कहाँ तक सही हू ये भी नहीं जानती

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खामोशी

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बेटी

बेटी

बेटी से ही घर की रोशनी। बेटी से ही घर में रौनक। बेटी ही तो है जो हर हाल में अपनो का साथ देती हैं। परन्तु बेटी अपना कर्तव्य निभाते हुए ये भूल जाती हैं कि जिस घर वो विदा होके गई है। वो भी तो उसी का कब से राह देख रहा था। बेटी,बहन,और माँ का दिल से रि

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बेटी

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परछाई का महत्व

परछाई का महत्व

ये देख रहे हो। सब अकेले से है। और उनकी प्रतिबद्धता इतनी दूर है । कि ये समझ पाना मुश्किल सी है। और किसकी नही। बहुत दूर है । सबपर एक परछाई ने सबको एक बना दिया। अंधेरा सा हल्का हल्का सा सब और दिख रहा है। फिर भी परछाई के प्रतिबंध से हर और

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परछाई का महत्व

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सोच मेरी

सोच मेरी

हर रोज़ एक नयी राह पर चलने की सोचती हूँ। सबको सकारात्मक करने की सोचती हूँ। इस नयी पीढ़ी में कुछ नहीं हैं। अभी जाग जाओ फिर मौका नहीं देगी जिंदगी। दो पल ही सही सोशल मीडिया और अपनेअहंकार को त्याग के। कुछ पल अपनी जि़दगी -जिद़गी के खुशी से बिता लो

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जख्म दिल के छुपाते रहे

जख्म दिल के छुपाते रहे

गहरे जख्म हर कोई एक नया जख्म दे जाता है। कभी वो अपने होते है। तो कभी अपने दोस्त जो दिल के करीब होते है। कभी कोई अनजाने रास्ते में अनजाने में। तो कभी कोई इन जख्म को किस -किस को बया करे। जिनको बया किया वो और ज्यादा जख्म दे गए। बया भी उन को कर

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भोर भयी

भोर भयी

भोर भयी रे अब तो उठ जा दिनचर आया आलस त्याग कुछ तो काम कर। ऐसै अपनी किस्मत को कब तक बोलेगा। खुद आलसी बना 10 बजे तक सोता है। फिर क़िस्मत को रोता है। कैसा अजीब इसान है। तू रोता भी खुद है। और कोशता भी खुद है भोर भयी अब तो जाग जा रे बदें

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भोर भयी

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