आज की दुनिया में इंसान को , कोई कदर नहीं, सैतानो को आज कल वसेरा होता है ! रूप रंग भेष भूसा सब रंग अनेक है , बड़े छोटे को कद्र नहीं सब कुछ फेक है , भगवन के भी घर में सैतानो का रेक है , मत पूछो इंसान को कैसे बसेरा होता है !सैतानो ....... संभल संभल कर चलने बालो को , आज कल कदर नहीं , प्यार में बसने बालो को , रंग अनेक है !सैतानो .......... लगता है,आज कल कैसे कटेगी जींदगी , भगवन के चरणों में सुख से कब कटेगी जिंदगी , भाग दौर के जिंदगी में कब मिले नई सबेरा , सैतानो को आज कल सब जगह है डेरा ! सैतानो ........ आज के दुनिया .... सैतानो ....... क्रांतिराज बिहारी 16/02/2022