ऐ जिंदगी नदान मत बन जो पल है ,खुशी से चल कब किया होगा किसको पता पथ में सम्भल के चल अपने बचे औरों को बचना गाडी की गति धीमें करके चल पागल हवा की झोको जैसी ना पते उडता चल पाँच मिनट के सफर क्यो उब कर चलते हो जिंदगी रेत की बुंदो जैसी मन मर्जी के शेरो जैसी मतवाली हाथी न चल सडक पर चलते हो तो थोडा सा बरदास कर सामने वालो की नजर को तु कभी घायल न कर ओवरटेक करके कुरूरता दिखाते हो अपने मन की जिद से किसी की जिंदगी को न समझ पाते हो न अपने जिंदगी को सम्भाल पाते हो करो कद्र अपने को गैर के बारे में भी सोच के चल पागल अवारा कुता जैसी घर से न सफर में चल प्रेम की ज्योत जला कर औरों की सलामत रख ! कवि-क्रान्तिराज बिहारी दिनांक- 30-11-2023