इस दुनिया की नजरो से बच के हमें रहना है पर्वत और पहाडो से सबसे हमें कहना है ! यादो की बरसात से हमे आज भींगना है मेरे किमत की किस्मत भाग्य हमें निखरना है ! पत्थर से लुढकना सिखो हवा के साथ चलना सिखो पानी की धारो से सिखो सिर्फ आगे बढना है ! कम बोले अपना बोल किस्मत की दरवाजा खोल प्यार नित सागर में हरपल तैरना सिखो ! कवि -क्रान्तिराज बिहारी दिनांक-6-12-23