डायरी दिनांक १५/०७/२०२२
शाम के छह बजकर बीस मिनट हो रहे हैं ।
उपन्यास पुनर्मिलन में इस समय श्री कृष्ण जी और राधा जी के विवाह के प्रसंग के साथ साथ भगवान जगन्नाथ रूप धारण करने की पृष्ठभूमि पर लिख रहा हूँ। कई बार एक साथ दो लक्ष्य साधने होते हैं। एक तीर से दो निशाने साधने होते हैं। हर बात के लिये एक अलग पृष्ठभूमि तैयार करने में समय और मेहनत बहुत ज्यादा लगती है।
धैर्य से मनुष्य कठिनतम स्थितियों से पार पा जाता है। संसार में ऐसा कोई नहीं हुआ जिसके सामने विषम परिस्थितियां नहीं आयीं हों। कुछ का तो पूरा जीवन ही संघर्षों की कहानी बना है। फिर सही बात तो यह है कि हमारे जीवन में आने बाले संघर्ष बहुत कम ही होते हैं। एक न एक दिन उन संघर्षों से पार पा ही लेंगें।
विभागीय व्यस्तता और खुद के लेखन की व्यस्तता के कारण भी आजकल बहुत ज्यादा पढ नहीं पा रहा ।फिर भी कुछ धारावाहिकों के हर भाग पढ रहा हूँ ।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।