डायरी दिनांक २२/०७/२०२२
सुबह के आठ बजकर पच्चीस मिनट हो रहे हैं ।
कल डायरी लेखन नहीं किया था। परसों शाम को गुर्दे की पथरी का दर्द बढा। घंटों परेशानी के बाद भी पथरी निकली नहीं। जौ के पानी पीने का प्रभाव प्रत्यक्ष था। पर सफल नहीं हुआ। फिर पूरी रात कुछ न कुछ परेशानी बनी रही। कल आफिस से छुट्टी कर ली। दिन भर रात की नींद पूरी की।
परसों मेरी तबीयत खराब देखकर मिक्की बहुत परेशान रही। वह मेरे ही पास बनी रही। कल तो पूरे दिन मेरे पास रही। मेरे बेड के नीचे ही चुपचाप आराम करती रही।
इस घर में ३ जुलाई को आया था। अभी तीन महीने पूरे नहीं हुए हैं। पर मिक्की और मेरा एक दूसरे के लिये लगाव पूर्व जन्मों के संस्कारों के सिद्धांत को ही प्रतिपादित कर रहा है।
कल शाम कुछ तबीयत में राहत लगी। उस समय उपन्यास वैशालिनी का चौथा भाग लिखकर प्रकाशित कर दिया । अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।