डायरी दिनांक ०८/०७/२०२२
रात के आठ बजकर पैंतीस मिनट हो रहे हैं ।
आज नवीन अधिकारी ने बहुत देर तक मुझसे वार्तालाप किया। जिसमें मेरे हिस्से के कार्यों के साथ साथ सहभागिता के कार्यों पर भी चर्चा हुई। इसी दौरान अलीगंज के अधिकारी भी आ गये। उन्हें भी कुछ ज्वलंत मुद्दों के चलते बुलाया गया था अथवा वह खुद अति आवश्यक ज्वलंत मुद्दों पर वार्ता करने खुद आ गये।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचिन
वर्तमान प्रतिस्पर्द्धात्यक माहौल में कर्म से अधिक फल की चर्चा होती है। फल रहित कर्म को कर्म ही नहीं माना जाता। परिणाम देना हमेशा ही कठिन होता है। पर परिणाम की चोरी करना एक बहुत अच्छा विकल्प बनता जा रहा है। यह कोई कल्पना की बात नहीं है। केवल सरकारी विभाग ही नहीं अपितु विभिन्न प्राइवेट प्रतिष्ठानों में भी दूसरे के परिणाम चोरी किये जाते रहते हैं। अक्सर अच्छे परिणाम का श्रेय वह पा जाते हैं जिनका उस परिणाम में प्रयास शून्य होता है। वहीं विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानने बाले उस साहसी के हिस्से किसी अन्य की असफलता पकड़ा दी जाती है।
एक दिन बादल जोर से बरसे। फिर एक दिन रुककर रात में कुछ बारिश हुई। अब वही गर्मी, वही तपन, वही घुटन। इंद्रदेव की नाराजगी दूर होने का नाम नहीं ले रही है।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी चोरी छुपे पोलीथीन का प्रयोग हो रहा है। अभी एक प्रतिशत उपभोक्ता भी थैला लेकर घर से नहीं निकल रहे हैं। फिर दुकानदारों की मजबूरी हो जाती है। एक तरफ उपभोक्ता को संतुष्ट करने के लिये उसे पोलीथीन में सामान देने की और दूसरी विभिन्न युक्तियों से खुद को चालान से बचाने की। प्रदूषण, पर्यावरण जैसे घटक कम पढे लिखे क्या समझें जबकि पढा लिखा वर्ग भी इनके दुष्परिणाम देखकर अनदेखा कर रहा है।
अभी के लिये इतना ही। आप सभी को राम राम।