shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

जाकी रही भावना जैसी (part 2)

Dr.Chitra sharma

0 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

एक रात पहले मेरी माता जी अम्माने कहा -----कल बच्चो को स्कुल  नही भेजना ,कल मै दिन के 2बजे चली जाऊगी। हम अम्मा  के पास  ही देखभाल  मे लग गये। और  अगले दिन की दोपहर  को 2बजे सभी के सामने अम्मा  के प्राण  पखेरू उड गये। हम सभी जब भी इस घटना को याद करते, अपने बच्चो  को बताते है तो हमारे रोम-रोम मे प्रभू का विश्वास  व भक्ति जाग जाती है। ( जाकी रही भावना जैसी ,प्रभू  मूरत  देखी तिन्ह जैसी ) हमने जब से होश सम्हाल हमने अपनी अम्मा  को हमेशा ही भक्ति  भाव  मे देखा ।हर पूर्णिमा  को अपनी सखीयो  के साथ गिरिराज  जी की परिक्रमा  के लिए  सभी इकट्ठी  होकर  जाती , हमारी अम्मा राजस्थानी राज पुरोहित के घराने की बेटी होने के कारण काफी गहने आदि ,उनके पास थे। वह हमेशा बनठन कर रहती थी । एक बार  जब वह गिरिराज  जी की परिक्रमा  के लिए गयी ,तो पहले के समय मे रात मे परिक्रमा  मार्ग  मे काफी अंधेरा होता था ,और घोर जंगल था ।तो उनके सभी सखीयो को डर लगने लगा ,की हम सब अंधेरे मे परिक्रमा  नही करेगे। अपने साथ  हमे भी मरवायेगी, कोई  रास्ते मे चोर डाकू मिल गया तो, हमारे सभी गहने ले लेगे, और पता नही जान भी से भी मार दे तो हमारे बच्चो का क्या होगा। सखियो के कहने पर दानघाटी  के पास ही एक  धर्मशाला मे उन्होने  विश्राम  किया।जब प्रातःकाल ढाई, तीन बजेऑख खुली, तो सभी स्नान आदि करके परिक्रमा  को चल दी।फिर  भी काफी अधेरा होने के कारण  सभी को डर भी लग रहा था । और  मन ही मन भगवान  को याद  कर रही थी कि अब  तुम ही हमारी रक्षा  करो प्रभू । कुछ ही दूर चलने पर एक सात ,आठ साल के बालक ने मेरी अम्मा का हाथ पकड लिया , सभी डर गयी कि ऐ इतनी रात मे किसका बच्चा है । उससे उसका नाम  और  किसके साथ आया है ,तो उसने अपना नाम-- तुतलाती वणी मे शामला बताया और  कहा कि मै तो तुम्हारे साथ आया हु,। कुछ  सखिया डरने लगी ,और कुछ कहने लगी ,कोई  नही दिन  निकलने पर इसे पुलिस  चौकी पर छोड देगे बेचारा अपनो से बिछड गया है। और  सभी भजन मे मग्न हो गयी, जैसे ही प्रातःकाल  का कुछ  उजाला सा महसूस हुआ ,अम्मा  का हाथ अकस्मात  खाली हो गया। ऐसा साक्षात् चमत्कार  देख सभी हैरान  होकर स्वयं  को कोसने लगी ---- हाय मुझे पता भी नही था कि हमारे साथ सावरा स्वयं चल रहा है,और  मेरी अम्मा  को तू तो बडी भाग्यशाली है , कि तेरा हाथ पकड कर कान्हा ने पकड लिया। 

jaakii rhii bhaavnaa jaisii part 2

0.0(0)

पुस्तक के भाग

no articles);
अभी कोई भी लेख उपलब्ध नहीं है
---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए