
जापान में यदि रात को दो बजे कुछ खाने की इच्छा जाग जाये तो फ़िक्र मत कीजिये चप्पल पहनिए और घर से बाहर निकलिए पांच से दस मिनट चलिए और आपको एक कोनबी स्टोर मिल जाएगा जहाँ खाने के लिए ब्रेड से लेकर लन्च पैक तक मिल जायेगे , खाना बनाने के लिए सब्जिया या मसाले तक मिल जायेगे . खाने के डेज़र्ट और फल भी मिल जायेगे . मैगजीन या अखबार पढ़ने की इच्छा है तो वो भी मिल जायेगे. बच्चे को सवेरे स्कूल जाना है और स्टेशनरी खरीदना भूल गए तो कोई बात नहीं स्कूल जाने से पहले कोनबी स्टोर से ख़रीद सकते है , बिजली, पानी ,गैस ,ही नही इंश्योरेंस की किश्त और कोई भी बिल यहाँ से भरा जा सकता है . सिगरेट , शराब खुले आम मिल ही नहीं सकती बाहर खड़े होकर पी भी सकते हो . फ्राइड चिकिन या शराब के साथ के लिए नमकीन भी मिल जाएगा . यानी की जरुरत की हर चीज चौबीस घंटे मिल सकती है . ये कोनबी स्टोर क्या है , इंग्लिश में कहे तो कंवीनिएंस स्टोर यानि हिंदी में सहूलियत दूकान . सबसेपहले अमेरिकन कॉम्पनी सेवन-इलेवन ने इस तरह की दुकाने खोली . उस समय शाम को दुकाने जल्दी बंद हो जाती थी और सुबह देर से खुलती थी तो ये दुकाने थी जो सुबह सात बजे से ग्यारह बजे तक खुलती थी इसीलिए इनका नाम सेवन-इलेवन था . जितना लोगो को आराम मिले उससे और ज्यादा मांगते है , यानि मांगे मोर . बाद में इन दुकानों को चौबीस घंटे कर दिया .अब तो बहुत सारी कंपनियों ने ऐसे स्टोर खोल दिए , फॅमिली मार्ट , लॉसन्स , मिनीस्टॉप और बहुत सारे . रात को बूढ़ो से लेकर बच्चो तक को देखा जा सकता है . इन स्टोरों से जितने फायदे है उतने नुक्सान भी . फायदा है की चौबीस घंटे सब कुछ मिल जाता है पर इस के दूसरे नुक्सान भी है . बच्चो को रात देर तक जागने की , खाना पीना असमय करने की . क्या यह जरुरी है , अगर यह ना हो तो समाज को क्या फर्क पड़ेगे , इनके ना होने से फायदा होगा या नुक्सान होगा . आज जब कंप्यूटर का ज़माना है आदमी खुद मशीन बन गया है तो ऐसे में वो ना तो समय पर खाना खा सकता है ना ही आराम कर सकता है , हर काम की जल्दी है , जरचूके नहीं आप की जगह कोई और लेलेगा . इसलिए इस भागदौड़ में रात देर तक काम करना ही नहीं बल्कि सारी रात काम करना. इसके लिए जरुरी है की आप को जरुरत का समान चौबीस घण्टे उपलब्ध हो. जापान एक बहुत तेज भागती हुई अर्थव्यवस्था है, चीन ने उसे विश्व में तीसरे नम्बर पर जरूर कर दिया है परन्तु इसका मतलब नहीं की चीन जापान से आगे निकल गया है चीन जापान से इक्कीस गुणा बड़ा है यदि चीनी अर्थव्यवस्था जापान की इक्कीस गुणा हो जाती है तब कही वो जापान की बराबरी पर आएगा , जिसके लिए चीन को बहुत ही नहीं बहुत बहुत साल लगेंगे . भारत की बात करे तो भारत जापान से सात गुणा बड़ा है , इसलिए भारत को भी अभी बहुत इन्तजार करना पडेगा . यहाँ बात हो रही है कंवीनियन्स स्टोर की यानी सहूलियत दुकानों की , क्या भारत में इसका होना आवश्यक है , जी हाँ भी और जी नहीं भी , यदि भारत बहुत तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्ताओं के साथ चलना चाहता है तो काम करने के घण्टे बढ़ाने पड़ेगे , और उसके लिए यह जरुरी हो जाता है की जरुरी सामान चौबीस घण्टे उपलब्ध हो . लेकिन भारत की क़ानूनी व्यवस्था के लिए मुश्किल है , चोरी डकैती जब दिन में हो जाती हो तो रात में क्या होगा ?क्या लड़किया रात में खरीदारी करने जा सकती है ? अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कानून व्यवथा को मजबूत करना पड़ेगा . किसको क्या खाना है, क्या पीना है, क्या पहनना है पर लड़ाई ना करके कानून व्यवस्था को मजबूत करने की आवश्यकता है .