बीस मार्च , सोमवार को जापान में छुट्टी है , शायद बहुत से लोगो को नहीं मालूम की यह छुट्टी क्यों है . जापान में छुट्टी है परंतु यह एक प्राकृतिक घटना है जो पुरे विश्व पर असर डालती है , बसंत विषुव का मतलब है की इस दिन दिन और रात बराबर होते है . इस दिन पृथ्वी की भूमध्य रेखा सूर्य के मध्य से गुजरती है इसलिए दिन और रात का समय करीबकरीब बराबर होता है . ऐसा वर्ष में दो बार होता है , बीस मार्च और तेईस सितंबर . बसंत विषुव और शत्कालीन विषुव . जापान में इस दिन छुट्टी होती है. बहुत से लोग नहीं जानते जापान में इस दिन क्यों छुट्टी होती है ? पुरे विश्व में कही भी छुट्टी नहीं होती और जापान का भी कोई त्यौहार नहीं है फिर भी यहाँ छुट्टी होती है, क्यों ? जापान में कोई भी छुट्टी धर्म के आधार पर नहीं होती . जापान में सबसे ज्यादा संख्या बौद्ध धर्म के लोगो की है , जापान का अपना धर्म शिंतो है . उसके बाद ईसाई है , मुस्लिम बहुत कम है ज्यादातर विदेशी है . जापान अपने को किसी धर्म से नहीं बांधना नहीं चाहता, क्योकि उसपर विवाद हो सकती लोगो में एक दूसरे के प्रति गलत भावनाए पैदा हो सकती है . इसलिए कोई भी छुट्टी धर्म के अनुसार नहीं होती . यही कारण था की जापान में छुट्टियां बहुत कम थी या ना के बराबर थी. जापान में काम करने के घण्टे दुनिया में सबसे ज्यादा थे . जिस की एक अच्छी वजह यह हुई की जापान ने बहुत तेजी से तरक्की की जो दुनिया के तत्कालीन विकसित देशो को अच्छा नहीं लग रहा था की जापान तेजी के साथ उन सभी विकसित देशो को पीछे छोड़ रहा था. त अमेरिका और अन्य यूरोपियन देशो ने जापान पर मानवाधिकार के उलंघन के आरोप लगाए और जापान पर दबाब बनाया की जापान छुट्टियों को बढ़ाये , जिसके चलते जापान को उस दबाब में छुट्टियां बढ़ानी पड़ी पर जापान उनको धार्मिक आधार पर नहीं करना चाहता था. तब जापान ने ऐसे दिन मानाने शुरू कर जो प्रकृति से जुड़े हो , जैसे पर्वत दिवस, समुन्दर दिवस, बसंत विषुव , शरत विषुव ,
खेल दिवस इत्यादि इत्यादि जो किसी धर्म से नहीं जुड़े . जिससे लोगो में अलगाव को नहीं बल्कि जोड़ने का काम किया जाये और प्रकृतिक संसाधनों का महत्त्व समझाया जाये जो किसी भी धर्म के समझने से ज्यादा जरुरी है .