गयासुद्दीन बलबन का राज था और उलमाओं ने सुल्तान से शिकायत की निजामुद्दीन की , सुल्तान ने बुलाया और पूछा की तुम मुसलमानों और काफिरों में कोई फर्क नहीं करते तो निजामुद्दीन ने कहा " यह सच है , क्योकि मैं उन दोनों को ही अल्लाह की औलाद समझता हूँ . ये उलेमा क़ुरान के नाम पर आपको काफिरों के क़त्ल करने और मंदिरो को तोड़ने के लिए उकसाते हैं, क्योकि ये समझते है की इससे अल्लाह खुश हो जायेगा . मैं क़ुरान का खुलासा दूसरी तरह करता हूँ , मेरा मानना है की ख़ुदा की इबादत करने का सबसे नेक तरीका है ख़ुदा के बन्दों की ख़िदमत करना.