जापानी ढाबे सुनकर कुछ अजीब जरूर लगेगा लेकिन यदि ढाबे का मतलब समझे तो जापानी ढाबे कहना कुछ भी अजीब नहीं लगेगा. ढाबे का जो मतलब लिया जाता है की सस्ती खाने पीने की दूकान . दूसरी भाषा में सस्ते भोजनालय . जहाँ भारत में ये काम बेचारे गरीब लोग करते है , सड़क के किनारे हाइवे पर , छोटी-छोटी कॉलोनियां में या फैक्ट्री कारखानों के बाहर कच्चा पक्का ढाबा खोल लेते है चारपाई या टूटी फूटी कुर्सियां से सजे ऐसे बहुत सारे ढाबे मिल जायेगे. जापान में यह काम बड़ी-बड़ी कंपनिया करती है . जहाँ सीओ से लेकर एक लंबी मैनेजरों को फ़ौज़ काम करती है. अच्छे घरो के बच्चे, छात्र और विदेशी जहाँ पार्टटाइम काम करते है . खाने में जापानी, कोरियन ,यूरोपियन , चीनी और भारतीय करी -चावल तक मिल जाता है . खाने वालो में लेबर से लेकर अफसर तक सभी होते है. लड़कियों या औरतो की संख्या कुछ कम होती है लेकिन रात को तीन चार बजे तक भी बिना परेशानी के या डर के खाने आती है . ऐसे भोजनालय चौबीस घंटे चलते है . सवेरे ब्रेकफास्ट भी मिल जाता है . कंपनियों में कॉम्पटीशन है , बहुत सारी कंपनिया है , हर स्टेशन के पास ही नहीं एयरपोर्ट तक ये भोजनालय मिल जायेगे . दाम बहुत कम , साफ सफाई , काम करने वाले साफ ड्रेस में , अच्छी सर्विस , सब कुछ है जो जनता को आकर्षित करता है , खूब विज्ञापन है और मालिको की अच्छी कमाई है , शेयर होल्डर को अच्छी इनकम है . भारत से उल्टा यहाँ गरीब आदमी के लिए ऐसा ढाबा खोलना मुश्किल ही नहीं बल्कि नामुमकिन है क्योकि कोई भी छोटा भोजनालय उनसे सस्ता नहीं दे सकता . गेट पर मशीन लगी है जहाँ ग्राहक कूपन खरीदते है और अंदर स्टाफ को देदेते है , उस कूपन के आधार पर उसकी टेबल या काउंटर पर खाना आ जाता है पैसे की लेन -देन मशीन से हो जाती है. टेक अवे की सहूलियत है . बस विदेशियो को अगर यहाँ खाना खाना है तो उन्हें सूअर या गाये से परेहज नहीं होना चाहिए . क्योकि यहाँ किसी धर्म के हिसाब से खाना नहीं बनता . बहुत सारे हिन्दू नेपाली यहाँ काम करते मिल जायेगे , मलेशिया या इंडोनेशिया के लोग भी यहाँ काम करते मिल जायेगे .