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जब जब आपदाएं आई हैं, तब तब परिवर्तन लानी है।

10 सितम्बर 2022

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आज आधुनिक हो रही डिजिटल दुनिया में सबसे टीवी, कम्प्यूटर, मोबाइल, इंटरनेट ने जिस तरह व्यक्ति की आकांक्षाओं के अनुरूप उसकी आवश्यकताओं को आसान कर दिया है । उन्हीं की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर नित नए अविष्कार कर उन्हें और आधुनिक बनाने के लिए देश दुनिया के तमाम आईटी विशेषज्ञ लगातार कुछ नया कर अपने उपभोक्ताओं को देकर उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।आज बड़ी-बड़ी कम्पनियों की मीटिंग्स, राजनैतिक नेताओं की मीटिंग्स, संस्थाओ की बैठक आदि भी डिजिटल तरीके को अपनाकर हो रही हैं। ये लोग दूर रहते हुए भी एक दूसरे के साथ सामूहिक बाते वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कर लेते हैं। जिससे आने जाने में लगने वाले समय और खर्च को बचा कर आप नई तकनीक और संस्था की उन्नति में लगा लेते हैं। स्कूल, कालेज, कोचिंग अपने बच्चों को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शिक्षा के अवसर भी प्रदान कर रही हैं। ये वीडियो कांफ्रेंसिंग व्हाट्सएप्प, फेसबुक या किसी भी अन्य सोसल साइट के माध्यम से करना सम्भव नही था, क्योंकि इनके जरिये ज्यादा लोगों को एक साथ वीडियो कांफ्रेंस के लिए नही लाया जा सकता। इन्ही सबका फायदा विदेशी कम्पनियां ले रही हैं। ये अपने ऐप बनाकर कम्पनियों, संस्थाओं, राजनैतिक पार्टियों को अच्छे दामों पर बेचे देते हैं या यूजर को कुछ समय फ्री देकर बाद में पैसे चार्ज करते हैं। इस कोरोना के कारण हुए लॉक डाउन में जहां सोशल डिस्टेंस को फालो करने का लोगों पर दबाव है। वही स्कूल, कालेज, कोचिंग बन्द हैं और उन्हें अपने बच्चों के भविष्य के साथ अपनी भी चिंता है। सरकारी, गैर सरकारी मीटिंग्स कैसे हों ? लोकल मीडिया की जरूरी मीटिंग कैसे हो? अधिकारियों से क्षेत्र की फीडबैक, सलाह कैसे अदान प्रदान हो? इन सबको वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की अत्यंत आवश्यकता है। इन्ही सबका फायदा लिया वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप और वेबसाइट जूम डाट कॉम ने । सरकारी गैर सरकारी मीटिंग्स, स्कूलों के ऑनलाइन क्लासेज इसके जरिये किये जाने लगे लेकिन कुछ दिनों पहले मीडिया द्वारा एक खबर आई जिसमे जूम के जरिये जुड़े व्यक्ति के डेटा की सुरक्षा सम्बन्धी खतरों की बात सामने आई। ऐसे मे भारतीय आईटी कम्पनियो को एक ऐसी तकनीक खोजनी होगी, जिसमे डेटा गायब होने का कोई खतरा न हो। जो वीडियो और ऑडियो के लिये फुल इनक्रिप्टेड हो। जो दुनिया में नया विकल्प बनकर उभरे। भारतीय तकनीक आने के बाद जूम जैसे ऐप्प जो मजबूरी में लोगों की जरूरत बन गए है उनको कड़ी टक्कर मिल सके। और जो हम सभी भारतीयो को दिली तौर पर जुड़ने के लिए प्रेरित करे। ऑनलाइन काम को शहर तो आत्मसात कर लेगे, मुख्य समस्या ग्रामीण क्षेत्र मे आयेगी जहॉ कम्प्यूटर और इंटरनेट की उपल्बधता न के बराबर है।

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बेटियां ही नहीं बेटे भी पराए होते हैं।

10 सितम्बर 2022
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बेटियां ही नहीं बेटे भी पराए होते हैं। बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ कर जाते है उठकर पानी तक ना पीने वाले,,,,। आज अपने कपड़े खुद ही धो लेते हैं,वह जो कल तक घर के लाडले थे आज अकेले में रोते हैं ! सिर्

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