बेटियां ही नहीं बेटे भी पराए होते हैं।
बेटियां ही नहीं बेटे भी घर छोड़ कर जाते है
उठकर पानी तक ना पीने वाले,,,,।
आज अपने कपड़े खुद ही धो लेते हैं,वह जो कल तक घर के लाडले थे आज अकेले में रोते हैं !
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी पराए होते हैं।
पापा के डांटने पर मम्मी को शिकायत लगाने वाले अब जमाने के नखरे सहते हैं !
खाने में सौ नखरे करने वाले अब कुछ भी खा लेते हैं।
मम्मी के बाजू पर सर रखकर सोने वाले,
अब बगैर बिस्तर के ही सो लेते हैं !
बहन को छोटी-छोटी बात पर तंग करने वाले,
अब बहन को याद करके रोते हैं
सिर्फ बेटियां ही नहीं बेटे भी पराए होते हैं !
यह उन बेटों के लिए जो घर की जिम्मेदारियों की वजह से घर से दूर रहते हैं।
और वह मजबूत बनते रहते हैं जमाने के सामने।
सिर्फ बेटियां ही नहीं साहब बेटे भी घर छोड़ जाते हैं।