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कुछ अनकहे अल्फ़ाज़

कुछ अनकहे अल्फ़ाज़

झुकी आंखे जब हया हो जाए नयनों में ही जब जुबा हो जाए लफ्ज़ वो बात कहते ही नहीं आंखों से जो बया हो जाए

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कुछ अनकहे अल्फ़ाज़

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झुकी आंखे जब हया हो जाए नयनों में ही जब जुबा हो जाए लफ्ज़ वो बात कहते ही नहीं आंखों से जो बया हो जाए

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मेरी कविता

मेरी कविता

हम लोगो को आजमाया नहीं करते दूसरो के अल्फाज चुराने में अपना वक्त जाया नही करते

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मेरी कविता

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हम लोगो को आजमाया नहीं करते दूसरो के अल्फाज चुराने में अपना वक्त जाया नही करते

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