चांदनी रात में वो हल्की सी रौशनी,जैसे तेरी यादों की महकती नमी।चांद का वो सौम्य, प्यारा सा नूर,मुझे तेरी बाहों में लगाता है गुरूर।रात का सन्नाटा, ये खामोश फ़िज़ा,बस तेरा ही ख्याल लाए बार-बार यहाँ।तेरी
तीन महीने बाद की दिल्ली की चहल-पहल भरी शाम थी। एक कॉफी शॉप में भीड़भाड़ के बीच अरुणिमा अपनी कॉफी का इंतजार कर रही थी। उसने हल्की सी मुस्कान के साथ बाहर देखा, जहां कारों की लाइटें और शाम की हलचल उसकी स