देवर्षि नारदभगवान के जितने प्रेमी भक्त हैं,भगवान भी नारद जी के उतने ही बड़े भक्त हैं।लेकिनआज की पीढ़ीनारद जी का जिस तरह से चरित्र-चित्रण करती है, उससे उनकीछवि उपहास के पात्र और चुगलखोर की बन गई है जो अतिनिंदनीयहै। आज आवश्यकता है कि देवर्षिनारद का वास्तवित चरित्र समाज के सामने आए। प्राणिमात्र के कल्याण
आज कुटिया पधारे जो श्रीराम जी, देख शबरी कि आँखे सजल हो गयीं।राह में फूल नित जो सजाती रही, साधना आज उसकी सफल हो गयी।।रूप सुन्दर मनोहर धनुष हाथ में, और हैं साथ में भ्रात उनके लखन।राम ने जब कुटी में किया आगमन, देखते ही प्रफुल्लित हुआ आज मन।।प्रेम से दौड़ शबरी मिली राम से, आज कठनाइयाँ सब सरल हो गयी।राह म
दोहा मुक्तकअटल बिहारी जी हुए, भारत रत्न महान।राजनीति के सन्त थे, हिन्द देश की शान।कलम सिपाही भी बने, कविता लिखी तमाम,विश्व पटल पर देश का, सदा बढ़ाया मान। अभिनव मिश्र अदम्य
#मुक्तक रत्न पुरुष बन विश्व पटल पर, नाम देश का बढा गया।हिन्द देश का कलम सिपाही, पाठ सहिष्णुता पढ़ा गया।आज जयंती पर उसकी आ, मिलके शीश नवाएं हमइतिहासों के पन्नो पर जो, नाम अटल इक चढ़ा गया।अदम्य
अबतक हिंदी न्यूज़ /रामनगर/प्रयागराज /प्रधानमंत्री जन कल्याणकारी योजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत महात्मा गाँधी व पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिन के शुभ अवसर पर रामनगर सिरसा मेजा प्रयागराज के माँ शीतला धाम के प्रांगड़ में स्वच्छता अभियान चलाया गया जिसमे भारी संख्या में लोगों ने
“स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहारहै |” – गौतम बुद्ध सत्य है – स्वास्थ्य से बड़ाऔर कोई धन हो ही नहीं सकता | स्वास्थ्य उत्तम होगा तो हमारे विचार भी उत्तम बनेंगे, क्योंकि उत्तम स्वास्थ्य ही उत्तम मस्तिष्कका घर होता है ऐसा महापुरुषों ने कहा है और हम सभी ने अपने अनुभवों से इसे जाना भीहै | हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा
सवा लाख से एक लड़ावाँ ताँ गोविंद सिंह नाम धरावाँ "चिड़ियाँ नाल मैं बाज लड़ावाँ गिदरां नुं मैं शेर बनावाँ सवा लाख से एक लड़ावाँ ताँ गोविंद सिंह नाम धरावाँ" सिखों के दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह द्वारा 17 वीं शताब्दी में कहे गए ये शब्द आज भी सुनने या पढ़ने वाले की आत्मा को
आज धर्म के नाम पर एक दुसरे पर छींटाकसी करने वाले तथाकथित हिन्दू और मुसलमान जो शायद ही धर्म के वास्तविक स्वरूप की परिभाषा जानते हो ऐसे समय में उन्हें कबीर जैसे महान व्यक्तित्व के विचारों को पुन: पढना चाहिए | कबीर किसी विशेष पंथ सम्प्रदाय के नही अपितु पूरी मानव जाति के लिए
कई सच छुपाए गए तो कई अधूरे बताए गए अपनी आजादी की कीमत तो हमने भी चुकाई है तुम जैसे अनेक वीरों को खो के जो यह पाई है। कहने को तो हमारे देश को 15 अगस्त 1947 में आजादी मिली थी लेकिन क्या यह पूर्ण स्वतंत्रता थी? स्वराज तो हमने हासिल कर लिया था लेकिन उसे ' सुराज ' नहीं बना
गांधी - ईश्वरीय चेतना का एक अवतार लेखक :- पंकज " प्रखर " शास्त्र कहते है की जब भी धरती पर अनाचार,अत्याचार,व्यभिचार,शोषण बढ़ता है तथा लोग आसुरी शक्तियों द्वारा सताये व परेशान किये जाते है, जब कभी मनुष्य अपने देवीय गुणों को छोड़ कर आसुरी प्रवृत्ति की और आकर्षित होने लगता है उस समय ईश्वर महानायक के रू