“स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार
है |” – गौतम बुद्ध
सत्य है – स्वास्थ्य से बड़ा
और कोई धन हो ही नहीं सकता | स्वास्थ्य उत्तम होगा तो हमारे विचार भी उत्तम बनेंगे, क्योंकि उत्तम स्वास्थ्य ही उत्तम मस्तिष्क
का घर होता है ऐसा महापुरुषों ने कहा है और हम सभी ने अपने अनुभवों से इसे जाना भी
है | हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा तो हमारा मन प्रफुल्लित और उत्साह से पूर्ण रहेगा –
और जब हमारा मन प्रफुल्लित तथा उत्साह से पूर्ण रहेगा तो हमें पूर्ण मनोयोग से
कार्य करने से कोई रोक ही नहीं सकता – और जब पूर्ण योग्यता तथा कर्तव्यनिष्ठा के
साथ कर्म किया जाएगा तो हमें अर्थ अर्थात जिसे हम “धन” कहते हैं - प्राप्त करने से
कोई नहीं रोक सकता…
स्वास्थ्य यदि साथ नहीं
देगा तो हम बहुत से आवश्यक अवसरों से भी हाथ धो बैठेंगे… और ये स्वास्थ्य केवल
शरीर तक ही सीमित नहीं होता,
बलिक व्यक्ति का स्वास्थ्य उसकी मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्वास्थ्य की भी अभिव्यक्ति करता है…
अतः आज “धनतेरस” के दिन हम
सभी ये संकल्प लें कि अपने स्वास्थ्य के प्रति पूर्ण रूप से जागरूक रहेंगे… और
उसके लिए अपना आहार विहार सन्तुलित रखते हुए योग-ध्यान-प्राणायाम को अपने दैनिक
जीवन का एक आवश्यक अंग बनाएँगे… क्योंकि सबसे बड़ा धन उत्तम स्वास्थ्य ही है…
स्वास्थ्य है तो शेष धन भी प्राप्त करने की दिशा में व्यक्ति प्रयास कर सकता है… अन्यथा
समस्त प्रकार के धन – समस्त प्रकार की सुख सुविधाओं के साधन व्यक्ति के लिए व्यर्थ
हो जाते हैं – क्योंकि अस्वास्थ्य के कारण उनका वह पूर्ण उपयोग ही नहीं कर सकता…
आज धन्वन्तरी जयन्ती और
धनतेरस दोनों हैं जो सम्भवतः इसी तथ्य की प्रतीक हैं कि उत्तम स्वास्थ्य से बड़ा धन
और कोई नहीं हो सकता… इसी भावना के साथ सभी को “धनतेरस” और देवताओं के वैद्य तथा
आयुर्वेद के जनक महर्षि धन्वन्तरी के जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ…