सिर्फ जिस्मों की कहां है हम मर्दों की मोहब्बत
क्यों खुलेआम हमें बदनाम करते हैं
ये हैं सिर्फ कुछ एहसासों की मोहब्बत
हम ये जो किसी के नाम करते हैं
बड़ी मेहनत से बनाई है एहतराम ए मोहब्बत
क्यों घटिया लोग नाश ये एहतेशाम करते हैं
आसान नहीं इस दुनिया में पाना सच्ची मोहब्बत
और जब मिल जाए तो लोग बोलेंगे सरेआम करते हैं
अगर जीना मुश्किल है तो कीजिए मोहब्बत
भाड़ में जाए लोग जो आपको परेशान करते हैं