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जिंदगी के रंग।

4 अप्रैल 2024

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हरिया ने जैसे ही ऑटो रिक्शा में बैठी सवारी उतारने के लिए अपनी ऑटो रोकी एक10 12 साल की गोरी चिट्टी गोल मटोल लड़की को देखा ,जिसकी गोद में लगभग दो ढाई साल का बच्चा था । वहीं दुकान वाला हलवाई उस पर चिल्ला रहा था ,यहां कोई काम नहीं है तुझे अपने भाई के लिए दूध लेना हो तो ऐसे ही ले जा और रोज-रोज मेरे पास मत आया कर उस लड़की ने कहा लेकिन मां कहती थी फ्री में किसी से कुछ भी नहीं लेना चाहिए हलवाई ने उससे कहा अच्छा जो थोड़े से बर्तन पड़े हैं साफ कर दे फिर अपना भी खाना ले जाना हरिया ने देखा हलवाई की दुकान पर कुछ लड़के आए और उस लड़की को देखकर आंख मारी और उसे गलत तरीके से छूने भी लगे ,वह बेचारी सहम गई और वे गुंडे से लड़के भद्दी हंसी हंसते हुए वहाँ से चले गए। हरिया ने हलवाई से पूछा यह लड़की कौन है और छोटी सी उम्र में काम क्यों मांग रही है तब हलवाई ने बताया यही पास में इसका टूटा फूटा घर है इसके बाप तो पहले से ही नहीं था लेकिन 10 15 दिन पहले ही माँ भी चल बसी तब से काम मांगने रोज आ जाती है मैं इसे दोनों टाइम का खाना और भाई के लिए थोड़ा सा दूध दे देता हूं? हरिया उस लड़की को जिसका नाम 
मीरा था यह कहकर साथ ले आया, चल मैं तुझे काम पर रख लूंगा वह लड़की भी खुशी-खुशी उसके साथ जाने को तैयार हो गई लेकिन बोली अंकल आप काम से पैसे कम दे देना लेकिन मेरा भाई जब भी रोएगा मुझे उस चुप करना पड़ेगा कभी तो यह पूरा दिन भी रोता रहता है हरिया की आंखों में आंसू आ गए लेकिन हरिया की पत्नी आशा उन बच्चों को देखकर अपने पति पर चिल्ला कर बोली आपसे अपने परिवार का गुजारा तो चलता नहीं है जो इन बच्चों को भी यहां उठा लाए, देख आशा यह लड़की तेरे साथ काम पर चली जाया करेगी तुझे भी सहारा हो जाएगा। अगर इस तरह सड़कों पर रहेगी तो इसके साथ भी कोई ना कोई घटना जरूर हो जाएगी बहुत भूखे भेड़िए फिरते हैं सड़क पर तू तो एक औरत है इसका दुख समझ सकती है शायद भगवान ने मेरे सामने इस लड़की को इसीलिए भेजा हो, मैंने तो इसे रहने को बस एक आसरा दिया है जिससे इसकी इज्जत बची रहे। कमली को भी अपने पति की बात सही लगी थी। हंस कर बोली चलो जहां हमारा बेटा पल रहा है ये भी पल जाएंगे जैसा हम खा रहे हैं ये भी खा लेंगे। भगवान शायद सब का इंतजाम करके ही भेजते हैं कोई ना कोई रास्ता मिल ही जाएगा। लगभग 2 महीने बाद हरिया को एक व्यापारी के घर ड्राइवर की नौकरी भी मिल गई थी। कमली भी पूरा दिन उनके घर का काम ही करने लगी थी। वह शहर का बड़ा व्यापारी था और बहुत ही दयालु था उसने उन बच्चों का एक छोटे से स्कूल में एडमिशन भी करा दिया था। वह समय भी बीत गया तीनों बच्चे पढ़ लिखकर काबिल बन गए। भगवान शायद सबके बारे में कुछ ना कुछ सोच कर ही रखता है यह तो सच है हर किसी का भाग्य नहीं बदला जा सकता लेकिन कुछ लोगों के लिए शायद किसी को चुन ही लेती है उनकी किस्मत। जैसे मीरा और उसके भाई के लिए हरिया को चुना।

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मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

पूजा जी आपने बहुत सुंदर लिखा है 👌👌 आप मेरी कहानी प्रतिउतर और प्यार का प्रतिशोध पर अपनी समीक्षा एवं लाइक जरूर करें 🙏🙏🙏

4 अप्रैल 2024

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