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जुगाड़ फेल...

19 मई 2023

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" उन नशेड़ी चोरों का दल मेरी तरफ़ ही बढ़ रहा है... आ ss ह... मेरा सिर बुरी तरह से घूम रहा है, मुझे इनसे बहुत तोल मोल के बात करनी पड़ेगी, वर्ना बोलने से मेरी सांसों का बंधन टूटेगा और मेरा ख़ून तेज़ी से बहने लगेगा, जिससे जल्दी ब्लड प्रेशर डॉउन होने की वजह से मैं चक्कर खाकर कुछ देर के लिए यहीं बेहोश हो जाऊंगा... काश मैं फिल्मी हीरो होता, तो अब तक घायल होने के बाद भी ब्लड प्रेशर घटता बढ़ता नहीं... पर चाहे जो भी हो  कुछ देर के लिए तो मुझे बेहोश होना ही पड़ेगा , घटते ब्लड प्रेशर के कारण," उन चोरों के दल को मैंने अपनी ओर आते हुए देख खुद के मन में विचार किया... मैं गम्भीर रूप से घायल था, मेरा गला लगातार सूखता जा रहा था और सीधे खड़े रहना भी मेरे बस के बाहर हो रहा था, पर फ़िर भी कुछ देर के लिए ख़ुद पे काबू पाते हुए मैं सीधे खड़ा रहा। 

" कमीना ससुरा अब तक टिका बाटे... दरियाई घोड़ा बाटे या गेंडा बाटे, पन जो भी है बहुत दमदार बाटे ससुरा... एक बार अपन लोगन के ट्रक तक पहुंचा देब, तब ई ससुरा के अच्छे से सबक सिखाई," मेरी तरफ़ बढ़ते हुए एक चोर ने अपने साथियों से कहा, वे सभी अपनी बनाई हुई योजना के तहत एक के पीछे एक चलकर आ रहे थे... हर एक के कन्धे पर उनका एक घायल साथी लटका पड़ा था, कोहरे के कारण भले ही उन्हें अच्छे से देख पाना मुश्किल था , लेकिन जितनी दूर तक दो सौ वॉट के बल्ब की रोशनी जा रही थी, वहां तक उनकी परछाइयों को साफ़ देखा जा सकता था। 

" सुना कोई बकैती मत पेला, ऊही करा जो हम पचे कहत रहे... अपन मगज मत ख़र्च करा... तोहार सब का यही आदत ख़राब बाटे, बॉस का आदेश कौनो नहीं मानत बाटे," उस दल के लीडर ने अपने साथी की बातों को सुनकर अपनी प्रतिक्रिया दिखाते हुए कहा। 

" हाय रे देखा... हमरे बॉस हम पचे के आदेश दिए बाटे, बस आजे रात भर... अगला चोरी से पहले चुनाव होई, हम पचे देख ले ली, कितना पानी में ब हमरा बॉसवा... एक अकेला मनई बॉस के पछाड़ देली, बस अाजे भर तोहार बात मानी हम पचे... अगला चोरी से पहले निष्पक्ष रूप से चुनाव होई, हम पचे को भी मौका मिले के चाही आपन सरकार बनाए खातिर," अपने लीडर की बातों को सुनकर उसी चोर ने अपनी राय प्रकट की, जिसने बातचीत शुरू की थी। 

" बस... बस... रामखेलावन, ज़्यादा बकैती मत पेला... आज भर वही करा जौन जुगाड़ लगाए रहे हम पचे, नाही तो ऊ ससुरा गौर्ड काबू में न आई... बस एक बार ऊ काबू में आ जाई , फिन हम पचे पारेषण खण्ड का दिवार तो आधा खोदे दिए बाटे, बस आधा घंटा लगी बगल से माल लेके जाए में... निकल व जिंक महंगा बिकत बाटे," अपने साथियों की बातों को सुनकर, उन्हें झाड़ लगाते हुए पीछे चल रहे तीसरे साथी ने पहले वाले से कहा। 

" आ ss ह... बस कुछ देर और, खड़े रहो... पता नहीं कितना समय लग रहा है इन्हें यहां तक पहुंचने में, या मेरे दिल की धड़कन धीमी पड़ रही है... पा ss पानी , अगर एक बूंद भी पानी मिल जाता, तो तरावट आ जाती पूरे बदन में... पर पानी कहां मिलने वाला है, इन कबूतरों को ठिकाने लगाने के बाद ही पानी पियूंगा, पता नहीं क्या खिचड़ी पका रहे हैं," प्यास और दर्द के कारण मेरा गला बुरी तरह से सूख रहा था, पर ऐसी परिस्थितियों का मैं पहले भी कई बार सामना कर चुका था , इसलिए मुझे पता था कि मैं कितनी देर तक उनका उनका सामना कर सकता था अपनी सांसों पर काबू पा कर... मैंने उसी समय ये तय कर लिया था कि अब की बार मेरा हर प्रहार शक्तिशाली होना चाहिए, क्यूंकि मेरे शरीर से लगातार ख़ून बहने की वज़ह से थोड़ी कमज़ोरी आ चुकी थी , पर फ़िर भी मैं अपनी सांसों को बांध कर सीधा खड़ा हुआ था और कहीं से भी ये पता नहीं चलने दिया था कि मुझ पर कोई असर हुआ है... वे चारों अपने साथियों को कन्धे पर लादे  धीरे धीरे मेरे काफ़ी नज़दीक पहुंच गए, अब हम सभी में इतनी दूरी थी कि हम एक दूसरे को दो सौ वॉट के बल्ब की रोशनी में आराम से देख सकते थे। हमारे बीच से कोहरे के बादलों का पर्दा धुआं बन कर छट चुका था... ओंस की मोटी बूंदे लगातार टपक रही थीं , जो मौसम में नमी का प्रदर्शन कर रहीं थीं। 

मेरी नज़र उनकी गतिविधियों और खड़े होने के तरीके पर टिकी हुई थी, अब मेरी धड़कनों ने भी बढ़ना शुरू कर दिया था... घायल होने की वजह से मैं पहले से ज्यादा सतर्क हो चुका था। गलती की कोई भी गुंजाइश होते ही दाएं हाथ की कुल्हाड़ी हवा में लहराते हुए उसकी खोपड़ी चीर देती, जो भी पहले हरकत करता... इसलिए मैं उनके पैरों पर नज़र रखे हुए था और उन्हें लगातार बुरी तरह घूरे जा रहा था। 

" का गेट खोल दिए हैं गार्ड साहेब," मेरे सामने खड़े उस चोर ने पूछा जो छोटे गेट के ज़्यादा क़रीब था, उसके कन्धे पर उसका साथी लदा पड़ा था, जिससे साफ़ पता चल रहा था कि वो मुझ पर एक झटके में हमला नहीं कर सकता था, उसे पहले अपने कन्धे के बोझ से मुक्ति पाना पड़ेगा। 

" जाकर चेक कर लो," मैंने अपनी सांसों को थोड़ा बांधकर, उसे उसके प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा और केवल आंखों की पुतलियों के सहारे उन सभी पर नज़र घुमाई... वे सभी स्थिर लग रहे थे और उनकी तरफ़ से किसी भी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही थी। मेरी बात सुनते ही सबसे पहले वाले ने आगे बढ़कर छोटे गेट को चेक किया। 

" ई तो बन्द बाटे मर्दवा... हम पचे तो सोचत रहे कि आपने खोल दिया होगा, गेटवा," उस चोर ने गेट के नज़दीक पहुंचते ही उसे चेक करने के बाद अपने साथियों तथा मेरी ओर देख कर कहा। उन नशेड़ी चोरों को इस बात से झटका लगा था कि मैंने उनके कहने पर भी गेट नहीं खोला था। मेरी नज़र लगातार उन चारों की हरकतों पर बनी हुई थी... मैं उन्हें बिना पलकें झपकाए घूरे जा रहा था, मैं उन चारों पर इतनी आसानी से भरोसा नहीं कर सकता था... अब बस उन चारों की तरफ़ से हल्की सी गलती भी मुझसे हमला करवा देती, माहौल गर्म हो गया था, जिसका इशारा उन चारों की हैरान और परेशान माथे की लकीरें कर रहीं थीं, चेहरे पर नक़ाब बांधे वे एक दूसरे को हैरत से देखते हैं...  

मैं भी उन्हें घूर ही रहा था कि तभी अचानक मेरे दाएं हाथ पर खड़े तीसरे आदमी की तरफ़ से हरक़त होती है... और मेरी आंखों की पुतलियों उस दिशा में घूमती हैं... 
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.


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रचनाएँ
दहशत की रात...
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आज मैं आपको एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी सुनाने जा रहा हूं... एक ऐसी घटना जो किसी भी आम इन्सान के साथ घटित हो तो उसे पूरी तरह से दहशत से भर देती है... ऐसी ही एक घटना मेरे साथ घटित हुई थी जब मैं अपनी सरकारी नौकरी कर रहा था, ये घटना नैनी इलाहाबाद (प्रयागराज) की है जहां पर मेरा पोल मैन्युफैक्चरिंग सब डिविजन ऑफिस है ... मेरा सब डिविजन एक ऐसी जगह है जहां पर दिन भर तो सब कुछ ठीक ठाक चलता है लेकिन जैसे ही जैसे रात होने लगती है , डर लगने लगता है... एक अनजान डर ,जो किसी भी आम इन्सान को रात भर चैन से सोने नहीं देता है...
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भूखे लकड़बग्घे...

19 मई 2023
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भूखे लकड़बग्घे- 2

19 मई 2023
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"अब क्या होगा... क्या करूं , इनका अकेले मुक़ाबला करना सही रहेगा या इनके वार का इंतज़ार करूं .... बहुत जल्द ही ये और नज़दीक आ जाएंगे ... मेरे पास तो एक ही कुल्हाड़ी है," ये सारी बातें मेरे दिमाग़ में च

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वो सर्द रात...

19 मई 2023
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पहली बार खट खुट की कुछ आवाज़ें सुनकर मैंने नज़र अंदाज़ कर दिया पर उस सर्द कोहरे की रात को अचानक ही फिर से मुझे वही आवाज़ सुनाई दी , जब मैं आग के पास फैक्ट्री के शेड में बैठ मोबाइल में बाउंस नामक वीडिय

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वो सर्द रात- 2

19 मई 2023
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मैं धीरे धीरे कंस्ट्रक्शन साइट के अंत तक पहुंच रहा था कि तभी अचानक घने कोहरे के पर्दे को तेज़ी से चीरता हुआ एक अजनबी साया मुझसे कुछ दूरी पर दाएं से बाएं हाथ की ओर दौड़ लगाता है, जिस ओर डिविजन स्टोर मौ

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19 मई 2023
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" जल्दी करा हो... जल्दी करा," मेरे नज़दीक पहुंचते ही फैक्ट्री में मौजूद चोरों के दल में से एक ने अपने साथियों को निर्देश देते हुए कहा , उन्हें मेरी मौजूदगी का अहसास बिलकुल भी नहीं था ... जल्द ही मैं फ

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19 मई 2023
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19 दिसम्बर की रात को मेरी खाकी वर्दी का इम्तिहान था जो मुझे पुलिस विभाग के चरित्र प्रमाण पत्र बनने के बाद बिजली विभाग द्वारा अलॉट की गई थी , नैनी इलाहाबाद में क़दम रखने से पहले ताकि मैं चोरों का मुकाब

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वो सर्द रात- 5

19 मई 2023
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" फुस्स ss फुस्स ss स ss स... फुस्स ss स ss स... फुस्स ss स ss स ss स," आखिरकार फुसफुसा कर नाग देवता मेरे बाएं कंधे से मुझे सूंघते हुए नीचे उतर ही रहे थे मेरे पैरों से होते हुए की तभी अचानक..." कोनो ब

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वो सर्द रात- 6

19 मई 2023
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"ओ ss ह... तो पूरा गिरोह मौजूद है... आज तो एक नहीं कई मुसीबत एक साथ पधार गई है... कुछ तो करना ही पड़ेगा इन्हें रोकने के लिए , नहीं तो एक साथ इनका मुकाबला करना पड़ेगा... ट्रक में भी तीन चार लोग दि

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वो सर्द रात- 7

19 मई 2023
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" सुबह के ढाई बज रहे हैं और रौशनी होने में भी अभी काफ़ी समय है... मुझे कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा वर्ना एेसे छुप कर कभी भी पकड़ा जा सकता हूं... चलो कम से कम पांच मिनट तक तमाशा देखता हूं उसके बाद निकल कर

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वो सर्द रात- 8

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" मैं यहां ज़्यादा देर तक नहीं रुक सकता हूं... आस पास कोहरा इतना ज़्यादा है कि कुछ भी नज़र नहीं आ रहा है... हो सकता है कि नीचे उतरते ही पकड़ा जाऊं, कोहरे के कारण कुछ भी नहीं दिख रहा है, पेड़ के

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वो सर्द रात- 9

19 मई 2023
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अगर अवैध बिजली कटौती न करवाई गई होती ऑक्टोबर 2005 को मेरी तनख्वाह से, तो अब तक मैं चन्दौली जिले में स्थित व्यास नगर कॉलोनी में विभागीय आवास ले चुका होता, क्यूंकि मेरा सब डिविजन ऑफिस वहीं पर स्थित था..

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मैं कंस्ट्रक्शन साइट के नज़दीक स्थित 9.0 मी पोल के क्योरिग टैंक की आड़ में जा छुपा था... पीठ में घुसे बेर की डाल के कारण असहनीय पीड़ा उठ रही थी , मुझे किसी भी हालत में उस मोटी डाल के टुकड़े को अपनी पी

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वो सर्द रात- 11

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अपने स्वेटर की आस्तीनो को ऊपर कर मैं अपने दाएं हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े, जिसकी धार पर उन चोरों के लीडर की गर्दन टिकी थी तथा अपने बाएं हाथ से उसे गर्दन से दबोचे हुए , मैं मेन गेट की दिशा में बढ़ रहा था

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वो सर्द रात- 12

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" ई ससुरा के अच्छे से सबक सिखाई के पड़ी ... कस के पकड़ा हो शम्भु, आज ई के पता चली कि हम पचे से टकराए का अंजाम का होवत हई," उन चोरों के लीडर ने अपने साथी को आदेश देते हुए कहा। " जाए द... ज्यादा बक

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वो सर्द रात- 13

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" आ ss ह... कुछ भी हो मुझे अपने हाथों से बह रहे ख़ून को किसी भी हालत में रोकना पड़ेगा... बहुत गहरा घाव कर दिया है , सर्दी के कारण चोट लगने पर और भी अधिक दर्द होता है , हथेली तो बिलकुल चिपचिपी पड़ चुकी

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वो सर्द रात- 14

19 मई 2023
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" सन न न न... स ss टा ss क... आ ss ह," घने कोहरे का फ़ायदा उठा कर मैंने एक और चोर को अपना शिकार बनाया, नान चाकू को तेज़ी से घुमाते हुए कोहरे के बादलों को काटते हुए सीधा उस चोर की खोपड़ी पर प्रहार किया

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जुगाड़...

19 मई 2023
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" देख ला... हम पचे पहले ही कहत रहे कि चला ईहां से... का मतबल हुआ रुके का... पर तोहार समझ में नईखे आवत बाटे, अभिनों हमरी बात माना और इहां से निकल चला... नहीं तो ऊ ससुरा किसी को न छोड़ी," अपने साथी को म

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जुगाड़- 2

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घने कोहरे में , हल्की रोशनी के सहारे मैं धीरे धीरे मेन गेट की दिशा में आगे बढ़ रहा था कि तभी अचानक मेरे मन में एक विचार उठा..." क्या मेरा मेन गेट खोलना उचित रहेगा... इन चोरों के दल पर इस तरह से भरोसा

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जुगाड़ फेल...

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" उन नशेड़ी चोरों का दल मेरी तरफ़ ही बढ़ रहा है... आ ss ह... मेरा सिर बुरी तरह से घूम रहा है, मुझे इनसे बहुत तोल मोल के बात करनी पड़ेगी, वर्ना बोलने से मेरी सांसों का बंधन टूटेगा और मेरा ख़ून तेज़ी से

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जुगाड़ फेल ख़त्म खेल...

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" ख ss टा ss क... या ss अा ss ह," मेरे दाएं हाथ पर खड़े आदमी के हरक़त में आते ही मैंने उल्टी कुल्हाड़ी का ज़ोरदार प्रहार , उसकी खोपड़ी पर जड़ दिया , ठीक उसकी बाईं आंख के नज़दीक... प्रहार इतना ज़

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