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वो सर्द रात- 5

19 मई 2023

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" फुस्स ss फुस्स ss स ss स... फुस्स ss स ss स... फुस्स ss स ss स ss स," आखिरकार फुसफुसा कर नाग देवता मेरे बाएं कंधे से मुझे सूंघते हुए नीचे उतर ही रहे थे मेरे पैरों से होते हुए की तभी अचानक...

" कोनो ब... कोनो फैक्ट्री में ब," स्टोर के पास से आवाज़ आती है...  विद्युत पारेषण खण्ड की दीवार में सेंध लगाने वाले चोरों का दल हरकत में आ जाता है और दौड़ लगाते हुए स्टोर के पास पहुंचता है। 

" फुस्स ss स ss स ss स... फुस्स ss स ss स ss स... फुस्स ss स ss स ss स", नीचे हो रही भागादौड़ी के कारण एक बार फ़िर से मेरे दाएं पैर में लिपटे हुए नाग देवता अपना फन उठाते हैं , मेरा रोम रोम खड़ा हो जाता है दहशत के कारण...क्यूंकि मुझे इन्सानों से इतना डर नहीं लगता, जितना सांप बिच्छू से लगता है... कुछ देर तक यूं ही मेरे दाएं पैर से लिपटे रहने के बाद नाग देवता आख़िर में दूसरी डाल पर पहुंच गए... मैं पसीने की नदी में डुबकी मार चुका था और पूरी तरह से पसीने से लथपथ हो चुका था... फ़िर कुछ देर बाद जब मुझे विश्वास हो गया की नाग देवता पेड़ से नीचे उतर चुके हैं, तो मौका पा कर मैं भी नीचे उतर गया। घने कोहरे में कुछ भी नहीं दिख रहा था आस पास , बस पेड़ के आस पास सब कुछ दिख रहा था साफ़ चमकता हुआ क्यूंकि पेड़ में नमी आ चुकी थी... 

मेरा सांप की दहाशत के कारण इतना पसीना बह चुका था कि पेशाब पूरी तरह से बन्द हो चुकी थी और नीचे उतर कर मैंने मुकाबला करने का मन बना लिया था... वेे चोर मुझे स्टोर के आस पास तलाश रहे थे... पर मैं जंगल के क्षेत्र में था और जंगली बेर की झाड़ियों से होता हुआ स्टोर के निकट पहुंच गया। हाथ में कुल्हाड़ी और पैंट की बेल्ट में दबे दो नान चाकू लेकर मैं उनका मुकाबला करने के लिए आगे बढ़ा... 

"करो या मरो... करो या मरो, करो या मरो," ये मेरे दिमाग़ में बार बार घूम रहा था । मैंने ख़ुद की अंतरात्मा को मजबूत बना लिया था की तभी अचानक सामने से परछाईं मेरी ओर आते हुए दिखाई दी... मैंने  ख़ुद को झुकाया और उसके उसके पैरों पर उल्टी कुल्हाड़ी से वार किया, पर वो मेरे सिर के ऊपर से होते हुए बेर की झाड़ियों पर गिरा , जो संभवतः उसने देखी नहीं होगी।

" आ ss आ ss ह... हा ss य ss य," उस बेचारे चोर की दर्दनाक पुकार चारों ओर गूंज गई क्यूंकि अब मेन ऑफिस एरिया के नज़दीक पहुंच चुके थे... मैंने वहां एक पल के लिए भी रुकना मुनासिब नहीं समझा और फ़ौरन वहां से निकल गया। 

उस चोर की दर्दनाक चीख सुनकर उसके साथी भागते हुए उस ओर पहुंचे, मैं अब तक स्टोर के शटर तक पहुंच चुका था, मैंने दोनों लॉक चेक किए और आगे बढ़ा। 

जंगल से बाहर निकल कर अब मैं खुले मैदान में था... कोहरा अब भी उतना ही घना था और ठंड भी अपना कहर ठाए हुए थी, बस मुझे ही ठंड का अहसास नहीं हो रहा था क्यूंकि उस रात भागा दौड़ी ज्यादा हो गई थी।

मैंने ऑफिस के नज़दीक और अपने कॉटेज के आस पास चेक किया , पर किसी का नामो निशान नहीं मिल रहा था... मैं ये देख कर थोड़ा सोच में पड़ गया की आख़िर इतनी जल्दी सब कैसे गायब हो गए... तभी अचानक आगे बढ़ते हुए घने कोहरे में मैं किसी चीज़ से टकरा कर नीचे लड़खड़ा गया... मैंने अपने ठोकर लगने का कारण ढूंढा तो पाया कि वो वही चोर था जिसे मैंने स्टोर के पीछे कुल्हाड़ी के वार से बेहोश किया था। 

मैं खुद को आगे बढ़ने का निर्देश दिया और अपने हथियार चेक किए तो पाया की सब कुछ अपनी पर मौजूद है... अब मैं फ़िर से एक बार आगे की ओर बढ़ने लगा , लेकिन इस बार पहले से ज़्यादा सतर्क था क्यूंकि मुझे पता चल चुका था कि वे चोर कहीं आस पास ही मौजूद होंगे... 

" पी ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं... पी ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं," तभी अचानक एक बार फ़िर से इएमसी की फैक्ट्री से सिक्युरिटी गार्ड के व्हिसिल की आवाज़ सुनाई पड़ती है, जिसे सुनकर ये समझ में आ गया था कि वो अब तक उन क्षेत्रों में पहुंच चुका है, जहां आज सोलर प्लांट बन चुका है  जंगल के पेड़ पौधों को काटकर।  

" धाप ss धप ss धप ss धप ss धप ss धप ss धप... धाप ss धप ss धप ss धप ss धप ss धप ss धप," तभी अचानक किसी के क़दमों की आहट सुनाई पड़ती है  और मेरा ध्यान उस ओर जाता है।

" य ss ये तो किसी के दौड़ लगाने की ध्वनि है... लागत है कोई आस पास ही है... अब तक इन कटीले बेरों का इलाका ख़त्म नहीं हुआ है... लगता है फैक्ट्री के गेट के पास कोई है , क्यूंकि 200 वॉट के बल्ब वाले एरिआ में  कुछ हलचल दिख रही है... चलकर देखता हूं कि क्या चल रहा है," मैंने किसी के दौड़ लगाने आवाज़ सुनते ही ख़ुद से बातें करते हुए कहा... सामने लगे पोल पर 200 वॉट का बल्ब रौशनी कर रहा था और उसकी रौशनी में कुछ परछाइयां दिखाईं पड़ रहीं थीं... 

मैं सीधा उसी दिशा में आगे बढ़ने लगा और इस बात का पूरा ध्यान रखा था कि मैं किसी की नजर में न आऊं... फैक्ट्री के बाहर ही मिर्ज़ापुर इलाहाबाद हाई वे रोड स्थित है, जो रात भर चलती रहती है और ट्रक या ट्रेलर क्रॉस करते रहते हैं... उस रात भी ट्रक और ट्रेलर हमेशा की तरह क्रॉस कर रहे थे... 
कभी कभी टायर ब्लास्ट होने की आवाज़ से पूरा इलाका गूंज उठता है... और अक्सर ट्रेलर या ट्रक उस इलाके में रुक भी जाते हैं क्यूंकि आस पास मोटर रिपेयरिंग वर्क शॉप मौजूद हैं, उस रात भी कुछ गाडियां रुकी हुईं थीं... उन्हीं में से एक ट्रक गेट के बाईं ओर खड़ा किया गया था जिस पर अब तक मेरा ध्यान नहीं गया था...
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.


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रचनाएँ
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आज मैं आपको एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी सुनाने जा रहा हूं... एक ऐसी घटना जो किसी भी आम इन्सान के साथ घटित हो तो उसे पूरी तरह से दहशत से भर देती है... ऐसी ही एक घटना मेरे साथ घटित हुई थी जब मैं अपनी सरकारी नौकरी कर रहा था, ये घटना नैनी इलाहाबाद (प्रयागराज) की है जहां पर मेरा पोल मैन्युफैक्चरिंग सब डिविजन ऑफिस है ... मेरा सब डिविजन एक ऐसी जगह है जहां पर दिन भर तो सब कुछ ठीक ठाक चलता है लेकिन जैसे ही जैसे रात होने लगती है , डर लगने लगता है... एक अनजान डर ,जो किसी भी आम इन्सान को रात भर चैन से सोने नहीं देता है...
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