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वो सर्द रात- 6

19 मई 2023

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"ओ ss ह... तो पूरा गिरोह मौजूद है... आज तो एक नहीं कई मुसीबत एक साथ पधार गई है... कुछ तो करना ही पड़ेगा इन्हें रोकने के लिए , नहीं तो एक साथ इनका मुकाबला करना पड़ेगा... ट्रक में भी तीन चार लोग दिख रहे हैं और गेट के पास भी... शायद कुछ बातचीत चल रही है... नान चाकू और कुल्हाड़ी तो मेरे पास ही हैं , गेट के पास वाले बेर की झाड़ के बीच लाठी भी है जिसे मैं ही निकाल सकता हूं... मैं इस समय जंगल के बीच में हूं और गेट क़रीब 10 मीटर की ऊंचाई पर है ... हवा बिलकुल भी नहीं है सिर्फ़ हल्की नमी है, अगर मैं दौड़ लगा कर उनके नज़दीक पहुंचते हुए कुल्हाड़ी फेंकता हूं, तो उस दूसरे आदमी के दूसरी तरफ स्थित पेड़ पर जा घुसेगी... यहां जंगल की ज़मीन भी उल्टी सीधी है और बीच में पूराने पोल भी हैं जिन पर जंगली बेलों ने  अपनी चादर चढ़ा रखी है... दौड़ने में हल्का सा बैलेंस बिगड़ा तो बुरी तरह चोट लगने वाली है," कोहरा कम होते ही मैंने फैक्ट्री के दाईं ओर स्थित जंगल से उन चोरों के दल तथा कुछ दूरी पर ट्रक खड़े हुए देख खुद से बातें करते हुए कहा। 

" ई फैक्ट्री में कोनो ब... चल कर देखा सब लोगन, मनई की जरूरत पड़ी," गेट पर खड़े हुए एक चोर ने गेट के बाहर मौजूद अपने साथी से कहा... उसने फैक्ट्री में अपने साथियों की दुर्दशा देख ली थी , जिनमें से कुछ बेहोश पड़े हुए थे, इसलिए वो अपने साथियों से मदद मांग रहा था ताकि घायलों को उठा सके , क्यूंकि अब तक मैंने न तो अपनी फैक्ट्री के स्टोर में सेंध लगाने दिया था और न ही विद्युत पारेषण खण्ड की दीवार में... उन्हें अब अपने घायल साथियों को उठा कर वहां से ले कर जाने में ज़्यादा समय लगने वाला था। 

" चला चलकर देखी... एक मनई ब या ज्यादा ब," गेट के बाहर मौजूद दूसरे शख़्स ने अपने साथी की ओर देख कर पूछा। 

" एके मनई ब... कलुआ देखले ब ओकरे बेरी के पास," गेट के अंदर मौजूद चोर ने उसकी बात का जवाब दिया, मुझे उनकी देहाती भाषा सुनकर ये समझते देर नहीं लगी कि वे मेरे ही विषय में बात कर रहे हैं। 

" तू लोगन आपन मनई के पास पहुंचा... धीरा और हम आवत हई," गेट के बाहर मौजूद उस चोर ने अपने साथी को आदेश देते हुए कहा और गेट फांदकर फैक्ट्री के अन्दर प्रवेश करने की तैयारी करने लगा... वे सभी मिलकर पहले फैक्ट्री में मौजूद अपने घायल साथियों को बाहर निकाल कर ट्रक में लादने की तैयारी कर रहे थे। 

" लगता है ये लोग अपने घायल साथियों को फैक्ट्री से बाहर निकालने की तैयारी में जुटे हैं... कहां तो ये बेचारे फैक्ट्री में चोरी करके माल लादने के लिए ट्रक लेकर आए थे और कहां इन्हें अब अपने घायल साथियों को उसमें लाद कर ले जाना पड़ेगा... चलो चलकर देखा जाए, इनकी गतिविधियों पर नज़र रखना बहुत जरूरी है," मैंने उन चोरों के दल पर नज़र रखते हुए ख़ुद से कहा और  उनके पीछे जाकर उन पर नज़र रखने की तैयारी करने लगा। 

" तू लोगन से कोनो काम ढंग से न हो पावत ब... इतना मनई मिलकर भी एक मनई को ठिकाने न लगा सकी ला,"   सब डिविजन का गेट फांद कर फैक्ट्री के अन्दर प्रवेश करते ही उस चोर ने अपने साथी को अपनी भाषा में झाड़ते हुए कहा , क़रीब दो लोग गेट फांद कर अन्दर प्रवेश कर गए और अपने बाकि के चार साथियों के साथ उन घायल साथियों की मदद करने के लिए आगे बढ़ गए। 

" लगता है फिलहाल कुल्हाड़ी फेंक कर अपनी उपस्थिति दर्शाने का समय अभी नहीं आया है, मुझे इनके पीछे जाकर इन पर नज़र रखनी पड़ेगी... देखते हैं सब मिलकर अब कौन सी खिचड़ी पकाने वाले हैं, आज की रात इसी भागादौड़ी में बीतेगी... मुझसे अच्छी ड्यूटी तो बाकि सब की है, 10 से 5 ऑफिस में आना और घर पहुंचकर चादर तान कर सो जाना... इतना ख़तरा उनके जीवन में नहीं है, चोरी हो तो भी मुसीबत है, अब ज़िम्मेदारी दी गई है तो पूरी करनी पड़ेगी, वर्ना इमेज ख़राब हो जाएगी," मैंने उन चोरों का पीछा कर आगे बढ़ते हुए ख़ुद से बातें करते हुए कहा। 

" पी ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं... पी ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं," तभी अचानक एक बार फिर से मेरे बाईं ओर स्थित फैक्ट्री EMC के सिक्योरिटी गार्ड की व्हिसल की आवाज़ सुनाई पड़ती है... सभी का ध्यान उस ओर जाता है। 

" अब तो लगता है कि ये अपनी फैक्ट्री के दाईं ओर स्थित जंगल में मौजूद है , क्यूंकि इसके व्हिसल की आवाज़ वहीं से आ रही है... ये EMC पता नहीं कितनी बड़ी फैक्ट्री है जो अब तक वो सिक्योरिटी गार्ड अपनी छावनी तक नहीं पहुंचा है... इस सिक्योरिटी गार्ड की व्हिसल सुनकर बहुत चैन मिलता है कसम से... कम से कम ऐसा लगता है कि मैं इन जंगलों में अकेला घूमने वाला निशाचर नहीं हूं, कम्पनी देने के लिए कोई तो है," मैंने EMC के सिक्योरिटी गार्ड की व्हिसल की आवाज़ सुनते ही ख़ुद से बातें करते हुए कहा , अब तक चोरों का दल फैक्ट्री के मध्य में पहुंच गया था और मैं उनका पीछा करते हुए एक बार फ़िर से स्टोर के सामने पहुंच गया था। 

" अब ई सबके उठावा और ट्रक तक ले चला, ओकरे बाद ऊ मनई हमका चाही, हर हालत में... ध्यान रखा लोगन, आज ऊ ज़िन्दा नाहीं बचे के चाही... अब चला जल्दी करा, खड़ा हो कर चेहरा का निगोरत ब," उन चोरों के दल के लीडर ने अपने साथियों को निर्देश देते हुए सख्ती से कहा और सभी उसके आदेश का पालन करते हुए अपने घायल साथियों को एक एक करके कंधे पर उठाकर गेट के नज़दीक जाने लगे... चार लोग बेहोश हो चुके थे मेरे कारण, जिस वजह से फैक्ट्री में मौजूद उन चोरों के दल का लीडर मुझे तलाश करके सबक सिखाने का मन बना चुका था और वो इस कद्र बौखलाया हुआ था कि अपने साथीयों के गेट तक चक्कर लगाने के दौरान, वो ख़ुद ही अकेला जंगल में इधर उधर मेरी खोज करने लगा।
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.


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रचनाएँ
दहशत की रात...
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आज मैं आपको एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी सुनाने जा रहा हूं... एक ऐसी घटना जो किसी भी आम इन्सान के साथ घटित हो तो उसे पूरी तरह से दहशत से भर देती है... ऐसी ही एक घटना मेरे साथ घटित हुई थी जब मैं अपनी सरकारी नौकरी कर रहा था, ये घटना नैनी इलाहाबाद (प्रयागराज) की है जहां पर मेरा पोल मैन्युफैक्चरिंग सब डिविजन ऑफिस है ... मेरा सब डिविजन एक ऐसी जगह है जहां पर दिन भर तो सब कुछ ठीक ठाक चलता है लेकिन जैसे ही जैसे रात होने लगती है , डर लगने लगता है... एक अनजान डर ,जो किसी भी आम इन्सान को रात भर चैन से सोने नहीं देता है...
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भूखे लकड़बग्घे...

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वो सर्द रात- 14

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" सन न न न... स ss टा ss क... आ ss ह," घने कोहरे का फ़ायदा उठा कर मैंने एक और चोर को अपना शिकार बनाया, नान चाकू को तेज़ी से घुमाते हुए कोहरे के बादलों को काटते हुए सीधा उस चोर की खोपड़ी पर प्रहार किया

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" देख ला... हम पचे पहले ही कहत रहे कि चला ईहां से... का मतबल हुआ रुके का... पर तोहार समझ में नईखे आवत बाटे, अभिनों हमरी बात माना और इहां से निकल चला... नहीं तो ऊ ससुरा किसी को न छोड़ी," अपने साथी को म

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जुगाड़- 2

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