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वो सर्द रात- 11

19 मई 2023

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अपने स्वेटर की आस्तीनो को ऊपर कर मैं अपने दाएं हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े, जिसकी धार पर उन चोरों के लीडर की गर्दन टिकी थी तथा अपने बाएं हाथ से उसे गर्दन से दबोचे हुए , मैं मेन गेट की दिशा में बढ़ रहा था और मेरे हर एक क़दम आगे रखते ही उन चोरों की टोली अपने लीडर की गर्दन बचाने के लिए पीछे हट रही थी... 

" एक बात बतावा, का मिली हम पचे से टकरा के... हम तोके अच्छा पईसा दे सकिला और जो कहा ऊ दी, बस हम पचे का साथ दे के देखा हो... मर्दवा ," उन चोरों के लीडर ने मेरे साथ आगे कदम बढ़ाते हुए मुझसे कहा। 

" अरे ये क्या... अचे पचे लगा रखा है, हिन्दी में बात करता तो कुछ समझ में भी अाता... अभी कोचिंग क्लास करना पड़ेगा तेरी भाषा सीखने के लिए मुझे, मेरी हिन्दी तो फटाक से समझ लेता है... बस अपनी बारी में कोड लैंग्वेज में बात करने लगता है... अब चल सीधे आगे की ओर बढ़ ," मैंने उस लीडर की बातों का जवाब देते हुए कहा और उसे आगे की ओर बढ़ाने में ज़ोर लगाने लगा। 

" देखा बात माना... या तो हम पचे का साथ दे दा... का मिली तो के सरकार का साथ दे के... हम पचे तो के अच्छा माल देई बे... एक बारी अच्छे सोचा मर्दवा... अब मान भी जावा," उस लीडर ने एक बार फ़िर मुझसे निवेदन करते हुए कहा। 

" फ़िर से कोड लैंग्वेज में बात करने लगा... मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा है... तेरी भाषा सीखने के लिए अभी कुछ साल और बिताने पड़ेंगे... और मैं जल्द ही काम ख़त्म करके यहां से कल्टी होने वाला हूं... इतनी तगड़ी ड्यूटी किसी ने नहीं की होगी , सोलह घंटों की ड्यूटी अकेले सम्भाल रहा हूं, दिन भर ऑफिस की भागदौड़ और रात में चोरों का शोर... अब चोर पकड़े गए हैं, बस अब तो ट्रांसफर हो ही जाएगा," मैंने उस लीडर की बातों को सुनकर अपनी प्रतिक्रिया दिखाते हुए कहा... मैं मन ही मन खुश था कि अब तो ट्रान्सफर होकर ही रहेगा क्यूंकि मैं तब उस जगह के लिए नया नया था... न तो मुझे उनकी भाषा समझ में आती थी और न ही तौर तरीकों के बारे में कुछ पता था। 

चलते चलते हम स्टोर के पास के जंगलों को पार कर चुके थे और अब मेन गेट के सामने की सड़क तक पहुंच चुके थे... कोहरे ने अब भी अपनी सफ़ेद चादर से सब कुछ ढक रखा था, ऐसे में फैक्ट्री के कुछ पोल्स पर लगे दो सौ वॉट के बल्बों से अाने वाली हल्की रोशनी फैलने के बजाय कुछ ही दूरी में समेट कर रह गई थी... फ़िर भी मेरे ठीक सामने स्थित पोल के बल्ब की रोशनी का पीछा करते हुए मैं सही दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा था। मेरे लगातार आगे बढ़ने के कारण चोरों का दल भी पीछे की ओर हट रहा था... मेरा मकसद साफ़ था, मैं किसी भी हालत में बस यही चाहता था कि उन चोरों का दल किसी भी हालत में फैक्ट्री के बाहर निकल जाए और अब आगे कोई भी नुकसान न होते हुए इस दहशत भरी रात से छुटकारा मिल जाए... पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था... हमेशा सब कुछ अापके चाहने से हो जाना सम्भव नहीं है, ऐसा ही कुछ उस रात घटित हुआ , जिसकी कल्पना तक मैंने नहीं की थी... 

" एक बार फ़िर सोच लिया हो मर्दवा... ई मौका तो के दोबारा न मिली... हमार पचे का साथ दे दा और अपन जान बचावा, समझला... वर्ना बहुते पछताई के पड़ी," उस लीडर ने एक बार फ़िर से अपनी देहाती भाषा में मुझसे कहा, पर उस समय उसकी भाषा मेरी समझ के बाहर थी... वो क्या बोल रहा था इसका ज़रा भी अंदाज़ा  मुझे नहीं था उस समय। 

" पी ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं... पी ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं," तभी अचानक एक बार फ़िर से बगल की फैक्ट्री EMC से सिक्युरिटी गार्ड के व्हिस्टल की आवाज़ सुनाई पड़ती है। 

" ले बेटा तेरे मामू ने बग़ल की फैक्ट्री से व्हिस्टल बजाई है और तेरी मामी को आवाज़ लगाई है, कि मैं ठीक ठाक हूं घर पर सब कैसे हैं... अब मामू को क्या पता कि उनका एक भांजा यहां उनकी खैरियत पूछने आया है, अपने साथियों के साथ... अब बता तुझे मेरी बात समझ में अाई या नहीं , क्यूंकि तू क्या बोल रहा है, मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा... अब इस कोड लैंग्वेज में बात करना बंद कर दे... आ ss या ss ह," मैंने अपनी फैक्ट्री के बग़ल की फैक्ट्री EMC के सिक्युरिटी गार्ड की व्हिस्टल की आवाज़ सुनते ही उस लीडर पर तंज कस कर कहा, पर मैं अपनी बात पूरी कर पाता कि उससे पहले ही मेरे मुंह से एक दर्दनाक चीख निकल गई... उस लीडर ने मौके का फ़ायदा उठा कर अपनी जेब से एक ब्लेड या चाकू नुमा तेज़ धार हथियार बाहर निकाला और मौका लगते ही मेरे दाएं हाथ पर वार करके, मेरी पकड़ अपनी गर्दन से ढीली करने में कामयाब हो चुका था , क्यूंकि वो पहला वार मेरे दाएं हाथ पर होने की वजह से मेरा ध्यान भटक चुका था और पकड़ कमज़ोर पड़ चुकी थी... जिस वजह से वह आसानी से आज़ाद हो चुका था।

अपने लीडर को मेरी पकड़ से आज़ाद होता देख , बस कुछ ही दूरी पर खड़े हुए उसके साथी दौड़ते हुए उसकी सहायता करने के लिए उसके पास आते हैं... मेरे दाएं हाथ पर उसके तेज़ प्रहार करने के कारण हाथ पीछे की तरफ से फट चुका था और ख़ून की तेज़ धार बहने लगती है, जो आस पास की ज़मीन पर भी अपनी छाप छोड़ देती है... उसके साथी अपने लीडर के बिलकुल क़रीब आते ही  उसका इशरा पाते ही मुझे पकड़ने के लिए लपकते हैं और मैं तेज़ उठ रही पीड़ा के कारण कुछ देर के लिए असहाय सा महसूस करने लगता हूं , जिसका भरपूर फ़ायदा उठा कर वे लोग मुझे पकड़ने में कामयाब हो जाते हैं और मेरे हाथ से कुल्हाड़ी को छीन लेते हैं , जिस पर शायद मैं पहले ही पकड़ ढीली कर चुका था , अपने दाएं हाथ पर ब्लेड या चाकू नुमा तेज़ धार हथियार से हुए वार के कारण। 

किस्मत ने पल्टी मार कर एक बार फ़िर से बाज़ी पलट कर रख दी थी और एक बार फ़िर से चोरों का भाग्य चमक उठा था। 
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.

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ये मेरे दाएं हाथ की तस्वीर है जिस पर डिब्राइडमेंट सर्जरी की गई थी , दुर्घटना में छतिग्रस्त होने के बाद... उस 19 दिसम्बर की रात के दौरान इस हाथ की कोहनी के ऊपर लम्बा गहरा कटने का निशान था, जो मुझसे बचने के लिए चोरों के लीडर ने तेज़ धार हथियार द्वारा गहरा घाव दिया था। मेरे दाएं और बाएं हाथों पर घाव दिए गए थे उस रात , जिसकी कहानी आगे जारी रहेगी... 


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रचनाएँ
दहशत की रात...
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आज मैं आपको एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी सुनाने जा रहा हूं... एक ऐसी घटना जो किसी भी आम इन्सान के साथ घटित हो तो उसे पूरी तरह से दहशत से भर देती है... ऐसी ही एक घटना मेरे साथ घटित हुई थी जब मैं अपनी सरकारी नौकरी कर रहा था, ये घटना नैनी इलाहाबाद (प्रयागराज) की है जहां पर मेरा पोल मैन्युफैक्चरिंग सब डिविजन ऑफिस है ... मेरा सब डिविजन एक ऐसी जगह है जहां पर दिन भर तो सब कुछ ठीक ठाक चलता है लेकिन जैसे ही जैसे रात होने लगती है , डर लगने लगता है... एक अनजान डर ,जो किसी भी आम इन्सान को रात भर चैन से सोने नहीं देता है...
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भूखे लकड़बग्घे...

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भूखे लकड़बग्घे- 2

19 मई 2023
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"अब क्या होगा... क्या करूं , इनका अकेले मुक़ाबला करना सही रहेगा या इनके वार का इंतज़ार करूं .... बहुत जल्द ही ये और नज़दीक आ जाएंगे ... मेरे पास तो एक ही कुल्हाड़ी है," ये सारी बातें मेरे दिमाग़ में च

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वो सर्द रात...

19 मई 2023
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पहली बार खट खुट की कुछ आवाज़ें सुनकर मैंने नज़र अंदाज़ कर दिया पर उस सर्द कोहरे की रात को अचानक ही फिर से मुझे वही आवाज़ सुनाई दी , जब मैं आग के पास फैक्ट्री के शेड में बैठ मोबाइल में बाउंस नामक वीडिय

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वो सर्द रात- 2

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मैं धीरे धीरे कंस्ट्रक्शन साइट के अंत तक पहुंच रहा था कि तभी अचानक घने कोहरे के पर्दे को तेज़ी से चीरता हुआ एक अजनबी साया मुझसे कुछ दूरी पर दाएं से बाएं हाथ की ओर दौड़ लगाता है, जिस ओर डिविजन स्टोर मौ

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" जल्दी करा हो... जल्दी करा," मेरे नज़दीक पहुंचते ही फैक्ट्री में मौजूद चोरों के दल में से एक ने अपने साथियों को निर्देश देते हुए कहा , उन्हें मेरी मौजूदगी का अहसास बिलकुल भी नहीं था ... जल्द ही मैं फ

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19 दिसम्बर की रात को मेरी खाकी वर्दी का इम्तिहान था जो मुझे पुलिस विभाग के चरित्र प्रमाण पत्र बनने के बाद बिजली विभाग द्वारा अलॉट की गई थी , नैनी इलाहाबाद में क़दम रखने से पहले ताकि मैं चोरों का मुकाब

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" फुस्स ss फुस्स ss स ss स... फुस्स ss स ss स... फुस्स ss स ss स ss स," आखिरकार फुसफुसा कर नाग देवता मेरे बाएं कंधे से मुझे सूंघते हुए नीचे उतर ही रहे थे मेरे पैरों से होते हुए की तभी अचानक..." कोनो ब

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"ओ ss ह... तो पूरा गिरोह मौजूद है... आज तो एक नहीं कई मुसीबत एक साथ पधार गई है... कुछ तो करना ही पड़ेगा इन्हें रोकने के लिए , नहीं तो एक साथ इनका मुकाबला करना पड़ेगा... ट्रक में भी तीन चार लोग दि

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" सुबह के ढाई बज रहे हैं और रौशनी होने में भी अभी काफ़ी समय है... मुझे कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा वर्ना एेसे छुप कर कभी भी पकड़ा जा सकता हूं... चलो कम से कम पांच मिनट तक तमाशा देखता हूं उसके बाद निकल कर

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" मैं यहां ज़्यादा देर तक नहीं रुक सकता हूं... आस पास कोहरा इतना ज़्यादा है कि कुछ भी नज़र नहीं आ रहा है... हो सकता है कि नीचे उतरते ही पकड़ा जाऊं, कोहरे के कारण कुछ भी नहीं दिख रहा है, पेड़ के

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अगर अवैध बिजली कटौती न करवाई गई होती ऑक्टोबर 2005 को मेरी तनख्वाह से, तो अब तक मैं चन्दौली जिले में स्थित व्यास नगर कॉलोनी में विभागीय आवास ले चुका होता, क्यूंकि मेरा सब डिविजन ऑफिस वहीं पर स्थित था..

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मैं कंस्ट्रक्शन साइट के नज़दीक स्थित 9.0 मी पोल के क्योरिग टैंक की आड़ में जा छुपा था... पीठ में घुसे बेर की डाल के कारण असहनीय पीड़ा उठ रही थी , मुझे किसी भी हालत में उस मोटी डाल के टुकड़े को अपनी पी

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" ई ससुरा के अच्छे से सबक सिखाई के पड़ी ... कस के पकड़ा हो शम्भु, आज ई के पता चली कि हम पचे से टकराए का अंजाम का होवत हई," उन चोरों के लीडर ने अपने साथी को आदेश देते हुए कहा। " जाए द... ज्यादा बक

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" आ ss ह... कुछ भी हो मुझे अपने हाथों से बह रहे ख़ून को किसी भी हालत में रोकना पड़ेगा... बहुत गहरा घाव कर दिया है , सर्दी के कारण चोट लगने पर और भी अधिक दर्द होता है , हथेली तो बिलकुल चिपचिपी पड़ चुकी

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वो सर्द रात- 14

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" सन न न न... स ss टा ss क... आ ss ह," घने कोहरे का फ़ायदा उठा कर मैंने एक और चोर को अपना शिकार बनाया, नान चाकू को तेज़ी से घुमाते हुए कोहरे के बादलों को काटते हुए सीधा उस चोर की खोपड़ी पर प्रहार किया

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" देख ला... हम पचे पहले ही कहत रहे कि चला ईहां से... का मतबल हुआ रुके का... पर तोहार समझ में नईखे आवत बाटे, अभिनों हमरी बात माना और इहां से निकल चला... नहीं तो ऊ ससुरा किसी को न छोड़ी," अपने साथी को म

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जुगाड़- 2

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घने कोहरे में , हल्की रोशनी के सहारे मैं धीरे धीरे मेन गेट की दिशा में आगे बढ़ रहा था कि तभी अचानक मेरे मन में एक विचार उठा..." क्या मेरा मेन गेट खोलना उचित रहेगा... इन चोरों के दल पर इस तरह से भरोसा

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जुगाड़ फेल ख़त्म खेल...

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