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वो सर्द रात- 7

19 मई 2023

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" सुबह के ढाई बज रहे हैं और रौशनी होने में भी अभी काफ़ी समय है... मुझे कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा वर्ना एेसे छुप कर कभी भी पकड़ा जा सकता हूं... चलो कम से कम पांच मिनट तक तमाशा देखता हूं उसके बाद निकल कर एक एक करके धोया जायेगा," मैंने अपने मन में विचार करते हुए ख़ुद से कहा और एक ऊंचे वृक्ष की डाल पर बैठ कर उनका तमाशा देख रहा था , दरसअल मैं उन्हें जंगल के क्षेत्रों में प्रवेश करने का अवसर दे रहा था, क्यूंकि एक साथ उनका मुकाबला करना खतरनाक हो सकता था... वे क्योरिंग टैंक के पास के क्षेत्रों में मुझे तलाश कर रहे थे... जल्द ही वे स्टोर के शटर तक पहुंच जाते हैं, उसके नज़दीक प्राइवेट गार्ड के क्वार्टर में तलाश करते हैं , जिसकी चाभी जूनियर इंजीनियर के पास ही रहती थी, क्यूंकि वो कमरा वे किचन के तौर पर इस्तेमाल करते थे जहां बैठने की भी व्यवस्था थी... एक छोटी कैंटीन कहा जा सकता है... चौबीसों घण्टे बिजली उपलब्ध रहने की वजह से कुकिंग हीटर और लकड़ियां उपलब्ध रहने की वजह से अंगीठी मौजूद थी... जिसका फायदा मैंने बहुत उठाया, लकड़ियों पर पके कबाब और मटन या चिकन की बात ही कुछ और है... मैं वहां कबाब और मटन बनाया करता था, कई बार तंदूरी रोटी, सटफ नान , फ्रेश पाव और अंडे की भुर्जी भी बनाया है, अमूल बटर मार के ... मैं अक्सर मटन या चिकन का अख़नी पुलाव बना कर वहां पार्टी किया करता था और ठेकेदारों के स्टाफ्स को भी निमंत्रण दे दिया करता था ... मुझे शिकारियों के द्वारा सिखाया गया साल्टेड मीट भी बनाना आता है जिसके लिए वहां की लकड़ियां और रोज मेरी बहुत काम आती है, इलाहाबाद प्रयागराज, के चौक बाज़ार में सब कुछ उपलब्ध है , मसालों की कोई कमी नहीं है , जो चाहो वो मिल जाता है... 

ख़ैर अच्छी यादें तो बहुत हैं पर उस रात ये सभी बीती यादें बन सकती थीं क्यूंकि उन अवैध घुसपैठियों का दल अब जंगल के करीब पहुंच गया था और वहीं पर स्थित पोल पर 200 वॉट के बल्ब की रोशनी में एक साया मुझे नज़र आया, उसके कुछ देर वहां उसके अकेले खड़े रहने के बाद , उसका एक दूसरा साथी भी पहुंच जाता है ... हल्के कोहरे में उन दोनों की परछाईं रौशनी के कारण ज़्यादा भयावह लग रहीं थीं... जल्द ही उसके सारे साथी पोल के नीचे इकट्ठा हो जाते हैं और आपस में बातें करते हैं,

" इहां से हमनी सब बंट जाब... जंगल में घुसे का बा , तो तनिक होशियार रही, सांप बिच्छू भी हो सकत हैं... जल्दी से ढूंढा और काम काम ख़त्म करा, याद रखा आज ऊ सिक्युरिटी गार्ड बचे के न चाही," चोरों के सरदार ने अपने साथियों को निर्देश देते हुए कहा।

" ऊ कौनो सिक्युरिटी गार्ड नईखे बा... हम पता कईले बानी, ऊ कौनों फिरंगी बा, इक दम जोकर आदमी बा, लेकिन हीरो बनके घुमत बाटे... ऊ की जोरू भी कभी कभार आवत बाटे... पन ई बात केहू के पता न रहली की ऊ पगला दिखे वाला आदमी इतना सब कुछ कर सकेला," उन चोरों के सरदार को जानकारी देते हुए उन्ही के आदमियों में से एक ने कहा। 

" जो भी हो... जब हमनी सब से टकरा गइलन बाटे तो  सजा भोगे के पड़ी... तू लोग दाईं ओर जाकर देखा और कलुआ तू बीच में देखा, हम और शंभू बाईं ओर देखत हई... ऊ सिक्योरिटी गार्ड जहां भी मिले ऊ के धर के पीटा लोगन, सारा हीरो गिरी का भूत निकल जाई ससुरा के," चोरों के सरदार ने अपने साथी की बातों को सुनकर अपनी प्रतिक्रिया दिखाते हुए कहा। 

" पीं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं... पी ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं," तभी अचानक ई एम सी में राउंड लगाते सिक्युरिटी गार्ड के व्हिस्ल की आवाज़ उस सर्द रात की ख़ामोशी का सीना चीरते हुए चारों ओर गूंज उठती है और सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित है...

" लागत बाटे कि बगल की फैक्ट्री का सिक्युरिटी गार्ड अपनी छावनी तक वापस आवत हई... इससे पहले की ऊ अपनी छावनी तक पहुंचे , ऊ ससुरा हीरो का जना मिले के चाही, ई बात याद रखा लोगन," चोरों के सरदार ने अपने साथियों को निर्देश देते हुए कहा और फिर सभी अलग अलग हो कर जंगल में प्रवेश करने लगते हैं। 

" लगता है कि वो सिक्युरिटी गार्ड काफ़ी नज़दीक पहुंच गया है, तभी व्हिस्टल की आवाज़ इतनी साफ़ सुनाई पड़ रही थी चलो अच्छा है ... उसके उसकी छावनी पर पहुंचते ही मैं सहायता की पुकार लगा सकता हूं... पता नहीं आगे क्या होने वाला है , पर जो भी हो मुझे इनका मुकाबला करना पड़ेगा... फिलहाल तो पहले इन्हें जंगल में पूरी तरह से प्रवेश तो कर जाने दो ," पेड़ पर बैठा हुआ मैं ई. एम. सी  के सिक्युरिटी गार्ड की व्हिस्टल को सुनकर ख़ुद से बातें करते हुए अपने मन में कहता हूं... चोरों का दल जंगल में प्रवेश कर ही चुका था और अब ऊंचे बेरों के झाड़ों के इलाकों को पार करना था , तभी जंगल के बीच में पहुँचा जा सकता था , जहां शीशम, बरगद , जंगली नीम इत्यादी जैसे कुछ और भी ऊंचे वृक्ष मौजूद थे... 

चोरों का दल बंटकर मेरी तलाश कर रहा था और हर हालत में मुझे ढूंढ कर सबक सिखाने की फ़िराक में था , मैं भी एक ऊंचे वृक्ष की डाल पर चढ़कर आस पास के इलाकों पर नज़र रखे हुए था कि तभी अचानक कुछ ऐसा होता है जिसकी कल्पना किसी ने भी नहीं की थी... अब इसे इत्तेफ़ाक़ कहें या क़िस्मत कि उस रात अचानक ही मौसम ने अपना रुख़ बदल दिया और  जहां कोहरे के बादल हल्के हो चले थे, वहीं पर एक बार फ़िर से उन्होंने अपना वर्चस्व जमा लिया था और सब कुछ अपनी आगोश में ले लिया था... आस पास का कुछ भी ठीक तरह से देख पाने में एक बार फ़िर से असुविधा हो रही थी... पर उस रात नैनी पोल फैक्ट्री में कुछ एेसे लोग मौजूद थे , जो इन सभी बातों की परवाह किए बगैर अपने कर्मो के चकरव्यूह में फंसे हुए थे और उसी के आधार पर चल रहे थे, एक ओर वे चोर थे जो चोरी करने आए थे और मेरी वजह से उनके लिए रुकावट पैदा हुई और दूसरी ओर था मैं जो अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपना फ़र्ज़ निभा रहा था। 
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.


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रचनाएँ
दहशत की रात...
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आज मैं आपको एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी सुनाने जा रहा हूं... एक ऐसी घटना जो किसी भी आम इन्सान के साथ घटित हो तो उसे पूरी तरह से दहशत से भर देती है... ऐसी ही एक घटना मेरे साथ घटित हुई थी जब मैं अपनी सरकारी नौकरी कर रहा था, ये घटना नैनी इलाहाबाद (प्रयागराज) की है जहां पर मेरा पोल मैन्युफैक्चरिंग सब डिविजन ऑफिस है ... मेरा सब डिविजन एक ऐसी जगह है जहां पर दिन भर तो सब कुछ ठीक ठाक चलता है लेकिन जैसे ही जैसे रात होने लगती है , डर लगने लगता है... एक अनजान डर ,जो किसी भी आम इन्सान को रात भर चैन से सोने नहीं देता है...
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भूखे लकड़बग्घे...

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भूखे लकड़बग्घे- 2

19 मई 2023
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"अब क्या होगा... क्या करूं , इनका अकेले मुक़ाबला करना सही रहेगा या इनके वार का इंतज़ार करूं .... बहुत जल्द ही ये और नज़दीक आ जाएंगे ... मेरे पास तो एक ही कुल्हाड़ी है," ये सारी बातें मेरे दिमाग़ में च

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वो सर्द रात...

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पहली बार खट खुट की कुछ आवाज़ें सुनकर मैंने नज़र अंदाज़ कर दिया पर उस सर्द कोहरे की रात को अचानक ही फिर से मुझे वही आवाज़ सुनाई दी , जब मैं आग के पास फैक्ट्री के शेड में बैठ मोबाइल में बाउंस नामक वीडिय

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वो सर्द रात- 2

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मैं धीरे धीरे कंस्ट्रक्शन साइट के अंत तक पहुंच रहा था कि तभी अचानक घने कोहरे के पर्दे को तेज़ी से चीरता हुआ एक अजनबी साया मुझसे कुछ दूरी पर दाएं से बाएं हाथ की ओर दौड़ लगाता है, जिस ओर डिविजन स्टोर मौ

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" जल्दी करा हो... जल्दी करा," मेरे नज़दीक पहुंचते ही फैक्ट्री में मौजूद चोरों के दल में से एक ने अपने साथियों को निर्देश देते हुए कहा , उन्हें मेरी मौजूदगी का अहसास बिलकुल भी नहीं था ... जल्द ही मैं फ

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19 दिसम्बर की रात को मेरी खाकी वर्दी का इम्तिहान था जो मुझे पुलिस विभाग के चरित्र प्रमाण पत्र बनने के बाद बिजली विभाग द्वारा अलॉट की गई थी , नैनी इलाहाबाद में क़दम रखने से पहले ताकि मैं चोरों का मुकाब

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" फुस्स ss फुस्स ss स ss स... फुस्स ss स ss स... फुस्स ss स ss स ss स," आखिरकार फुसफुसा कर नाग देवता मेरे बाएं कंधे से मुझे सूंघते हुए नीचे उतर ही रहे थे मेरे पैरों से होते हुए की तभी अचानक..." कोनो ब

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वो सर्द रात- 6

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"ओ ss ह... तो पूरा गिरोह मौजूद है... आज तो एक नहीं कई मुसीबत एक साथ पधार गई है... कुछ तो करना ही पड़ेगा इन्हें रोकने के लिए , नहीं तो एक साथ इनका मुकाबला करना पड़ेगा... ट्रक में भी तीन चार लोग दि

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" सुबह के ढाई बज रहे हैं और रौशनी होने में भी अभी काफ़ी समय है... मुझे कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा वर्ना एेसे छुप कर कभी भी पकड़ा जा सकता हूं... चलो कम से कम पांच मिनट तक तमाशा देखता हूं उसके बाद निकल कर

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" मैं यहां ज़्यादा देर तक नहीं रुक सकता हूं... आस पास कोहरा इतना ज़्यादा है कि कुछ भी नज़र नहीं आ रहा है... हो सकता है कि नीचे उतरते ही पकड़ा जाऊं, कोहरे के कारण कुछ भी नहीं दिख रहा है, पेड़ के

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वो सर्द रात- 9

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अगर अवैध बिजली कटौती न करवाई गई होती ऑक्टोबर 2005 को मेरी तनख्वाह से, तो अब तक मैं चन्दौली जिले में स्थित व्यास नगर कॉलोनी में विभागीय आवास ले चुका होता, क्यूंकि मेरा सब डिविजन ऑफिस वहीं पर स्थित था..

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मैं कंस्ट्रक्शन साइट के नज़दीक स्थित 9.0 मी पोल के क्योरिग टैंक की आड़ में जा छुपा था... पीठ में घुसे बेर की डाल के कारण असहनीय पीड़ा उठ रही थी , मुझे किसी भी हालत में उस मोटी डाल के टुकड़े को अपनी पी

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वो सर्द रात- 11

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अपने स्वेटर की आस्तीनो को ऊपर कर मैं अपने दाएं हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े, जिसकी धार पर उन चोरों के लीडर की गर्दन टिकी थी तथा अपने बाएं हाथ से उसे गर्दन से दबोचे हुए , मैं मेन गेट की दिशा में बढ़ रहा था

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" ई ससुरा के अच्छे से सबक सिखाई के पड़ी ... कस के पकड़ा हो शम्भु, आज ई के पता चली कि हम पचे से टकराए का अंजाम का होवत हई," उन चोरों के लीडर ने अपने साथी को आदेश देते हुए कहा। " जाए द... ज्यादा बक

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" आ ss ह... कुछ भी हो मुझे अपने हाथों से बह रहे ख़ून को किसी भी हालत में रोकना पड़ेगा... बहुत गहरा घाव कर दिया है , सर्दी के कारण चोट लगने पर और भी अधिक दर्द होता है , हथेली तो बिलकुल चिपचिपी पड़ चुकी

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वो सर्द रात- 14

19 मई 2023
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" सन न न न... स ss टा ss क... आ ss ह," घने कोहरे का फ़ायदा उठा कर मैंने एक और चोर को अपना शिकार बनाया, नान चाकू को तेज़ी से घुमाते हुए कोहरे के बादलों को काटते हुए सीधा उस चोर की खोपड़ी पर प्रहार किया

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जुगाड़...

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" देख ला... हम पचे पहले ही कहत रहे कि चला ईहां से... का मतबल हुआ रुके का... पर तोहार समझ में नईखे आवत बाटे, अभिनों हमरी बात माना और इहां से निकल चला... नहीं तो ऊ ससुरा किसी को न छोड़ी," अपने साथी को म

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जुगाड़- 2

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घने कोहरे में , हल्की रोशनी के सहारे मैं धीरे धीरे मेन गेट की दिशा में आगे बढ़ रहा था कि तभी अचानक मेरे मन में एक विचार उठा..." क्या मेरा मेन गेट खोलना उचित रहेगा... इन चोरों के दल पर इस तरह से भरोसा

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जुगाड़ फेल ख़त्म खेल...

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