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वो सर्द रात- 2

19 मई 2023

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मैं धीरे धीरे कंस्ट्रक्शन साइट के अंत तक पहुंच रहा था कि तभी अचानक घने कोहरे के पर्दे को तेज़ी से चीरता हुआ एक अजनबी साया मुझसे कुछ दूरी पर दाएं से बाएं हाथ की ओर दौड़ लगाता है, जिस ओर डिविजन स्टोर मौजूद था... किस्मत से उसकी नज़र कोहरे के कारण मुझ पर नहीं पड़ी थी , जो उसके ठीक सामने ही क्युरिग टैंक की आड़ लेकर छुप कर आगे बढ़ रहा था, इससे साफ़ पता चल रहा था कि वहां मौजूद चोरों के दल को अब तक मेरे उनके निकट पहुंचने की जानकारी नहीं प्राप्त हुई थी...  वे सभी अपने चोरी को अंजाम देने के कार्य में जुटे हुए थे... मेरे लिए ये एक अच्छा मौका था उनके निकट पहुंचने और उन्हें रंगे हाथों दबोचने का।

" पहले अपनी दाईं ओर स्थित कंस्ट्रक्शन साइट को देखता हूं क्यूंकि वहां से थोड़ी कम आवाज़ सुनाई पड़ रही है तथा उस अजनबी परछाईं ने भी यहां से बाईं ओर स्टोर की तरफ़ दौड़ लगाई है, जिससे साफ़ पता चलता है कि इनका यहां का काम लगभग निपट ही चुका है... इससे पहले कि यहां मौजूद सभी चोर स्टोर की तरफ़ जाएं, मुझे हिम्मत करके इनका सामना करना ही पड़ेगा ताकि इनकी हिम्मत टूट सके," मैंने कुछ देर के कंस्ट्रक्शन साइट के नज़दीक मौजूद पानी के टैंक के पीछे छुप कर सोचते हुए ख़ुद से कहा और तेज़ी से दौड़ लगाते हुए उस ओर बढ़ा... शुरुआत में तो थोड़ा डर लग रहा था कि पता नहीं कोहरे के पर्दे को पार करके जब मैं वहां पहुंच जाऊंगा तो पता नहीं कितने लोगों से मेरा सामना होगा... पर जैसे ही मैं वहां पहुंचा तो देखा की अंधेरे में बस दो ही लोग मौजूद थे, जो बचे हुए एच टी वायरस को उस चैनल से आहिस्ता आहिस्ता अलग कर रहे थे, मेरे नज़दीक पहुंचते ही उनमें से एक की नज़र मुझ पर पड़ती है लेकिन उसके हरकत में अाने से पहले ही मैं उनके काफ़ी नज़दीक पहुंच चुका था और मैं कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहता था इसलिए,

" भ ss ड़ा ss क... आ ss ह," मैंने कुल्हाड़ी के पिछले सिरे से जो हथौड़ा नुमा था, उससे उस चोर की  खोपड़ी पर ज़ोरदार प्रहार किया और एक दबी हुई आह के साथ वो वहीं पर गिर पड़ा... उसे यकीनन ही ऐसा लगा होगा कि वह किसी भारी तेज़ रफ़्तार गाड़ी के बोनट से टकराया है क्यूंकि प्रहार इतना ज़ोरदार था... 

उसे ज़मीन पर गिरता देख उसका दूसरा साथी जिसके हाथों में छोटा हथौड़ा मेरी ओर लपकता है... उसके हाथों में मौजूद हथौड़े को उसने अपने दोनों हाथों से पकड़कर मुझ पर प्रहार किया, पर उससे पहले ही नीचे झुक कर मैंने कुल्हाड़ी के पिछले सिरे से उसके पैरों पर घुटने के थोड़ा नीचे प्रहार किया " ख ss ट... आ ss ई," कुल्हाड़ी के पिछले सिरे के ज़ोरदार प्रहार से ही वह पीड़ा से तड़प कर ज़मीन पर गिर पड़ता है और इसका फ़ायदा उठाते हुए, मैं अपने पैरों पर सम्भल कर फ़िर से एक ज़ोरदार प्रहार करने के लिए तैयार हो जाता हूं... 
" ध ss ड़ा ss क... आ ss ह," मेरे उसकी खोपड़ी के पीछे ज़ोरदार प्रहार करते ही उसके मुंह से दर्द भरी आह निकल पड़ती है और वो वहीं पर धाराशाई हो जाता है, ठीक अपने साथी की तरह क्यूंकि इस बार भी मैंने पूरी जान लगाकर उस पर प्रहार किया था... लोहे के चैनल से वो एंगल अलग करने की कोशिश करना उन्हें उस रात भारी पड़ गया था, कोहरे के घने पर्दे के कारण उन्हें कुछ दिखे या न दिखे लेकिन मैंने उन्हें घने कोहरे के बीच में तारे ज़रूर दिखा दिए थे। 

ठंड के दिनों में हल्की चोट भी कितना तकलीफ़ देती है ये समझाने की जरूरत नहीं है, आप सभी उस पीड़ा से कभी न कभी गुज़र चुके होंगे... उनके ज़मीन पर गिर कर धूल चाटते ही अब बारी थी अपनी फैक्ट्री के बाईं ओर जाकर देखने की, जहां पर सबसे बड़ा स्टोर स्थित था, पर उस स्टोर के पीछे जाकर देखने के लिए मुझे वहां स्थित जंगल से होकर गुजरना पड़ता जो बेर के ऊंचे कटीले झाड़ों से लैस था।

" किसी भी हाल में मुझे अपना मोबाईल कहीं सुरक्षित रखना पड़ेगा और भारी जैकेट पहनने की वजह से हाथ भी खुलकर नहीं चल पा रहे हैं... इसलिए मुझे अपना जैकेट और मोबाईल को किसी भी हालत में उतारकर एक स्थान पर रखना पड़ेगा, ताकि होने वाली मुठभेड़ में मोबाइल छतिग्रस्त न हो... तभी स्टोर के पीछे जाकर देखना सही रहेगा , मैंने एक मोटा स्वेटर और गर्म इन्नर तो पहन ही रखा है... तो जैकेट से उतना फ़र्क नहीं पड़ना चाहिए," मैंने कंस्ट्रक्शन साइट पर बेहोश पड़े उन चोरों को उनके हाल पर छोड़ कर, आगे बढ़ स्टोर के पास पहुंचने का फ़ैसला लेने के दौरान ख़ुद में विचार किया और क्युरींग टैंक के पास स्थित नौ मीटर के स्टैक पर अपने जैकेट को उतारकर रख दिया, मेरा मोबाइल तथा वॉलेट भी उसी जैकेट की अंदरूनी जेब में था।

मैं अपना जैकेट उतारकर कुल्हाड़ी अपने हाथों में लेकर फ़िर से आगे बढ़ने लगा कि तभी अचानक,
" पी ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं... पी ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं ss ईं," बग़ल की फैक्ट्री इ.एम.सी में तैनात सिक्युरिटी गार्ड के दो बार सींटी बजाने की आवाज़ सुनाई पड़ती है, जिससे साफ़ पता चल रहा था कि वो अपनी पूरी फैक्ट्री का चक्कर लगा रहा है और इस समय वो फैक्ट्री के पीछे स्थित जंगल में मौजूद है , जहां से फैक्ट्री के मेन गेट तक पहुंचने में उसे काफ़ी समय लगेगा और तब तक उसके नज़दीक आने तथा मेरे उसे मदद के लिए पुकारने में काफ़ी देर हो जायेगी... तब तक चोर अपना काम ख़त्म कर वहां से निकल चुके होते, इसलिए मैंने इसकी परवाह किए बगैर ही जंगल में प्रवेश कर स्टोर के पीछे पहुंच कर चोरी रोकने का फैसला कर ही लिया , सो मैं आगे बढ़ने लगा... उस रात मेरे बाईं ओर स्थित पड़ोसी यू.पी. पी. सी. एल की फैक्ट्री में बने चेक पोस्ट के ऊपर भी कोई सिक्युरिटी गार्ड मौजूद नहीं था, जिसकी वजह थी घना कोहरा और कड़ाके की ठंड , जिसमें आस पास का कुछ भी ठीक से देख पाना मुश्किल था जब तक नज़दीक पहुंच कर गौर से न देखा जाए... उस पड़ोसी फैक्ट्री में गैलवोनाईज़िंग का काम होता था जहां जिंक तथा निक्कल के कीमती सामान मौजूद रहते थे , पर उस रात नाईट शिफ्ट में काम करने वाले काफ़ी वर्कर्स के नहीं अाने की वजह से काम बन्द पड़ा हुआ था और इसी वजह चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ था, वर्ना अक्सर वर्कर्स की आवाज़ें आती रहतीं हैं... 
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.


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रचनाएँ
दहशत की रात...
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आज मैं आपको एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी सुनाने जा रहा हूं... एक ऐसी घटना जो किसी भी आम इन्सान के साथ घटित हो तो उसे पूरी तरह से दहशत से भर देती है... ऐसी ही एक घटना मेरे साथ घटित हुई थी जब मैं अपनी सरकारी नौकरी कर रहा था, ये घटना नैनी इलाहाबाद (प्रयागराज) की है जहां पर मेरा पोल मैन्युफैक्चरिंग सब डिविजन ऑफिस है ... मेरा सब डिविजन एक ऐसी जगह है जहां पर दिन भर तो सब कुछ ठीक ठाक चलता है लेकिन जैसे ही जैसे रात होने लगती है , डर लगने लगता है... एक अनजान डर ,जो किसी भी आम इन्सान को रात भर चैन से सोने नहीं देता है...
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पहली बार खट खुट की कुछ आवाज़ें सुनकर मैंने नज़र अंदाज़ कर दिया पर उस सर्द कोहरे की रात को अचानक ही फिर से मुझे वही आवाज़ सुनाई दी , जब मैं आग के पास फैक्ट्री के शेड में बैठ मोबाइल में बाउंस नामक वीडिय

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वो सर्द रात- 14

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