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वो सर्द रात- 9

19 मई 2023

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अगर अवैध बिजली कटौती न करवाई गई होती ऑक्टोबर 2005 को मेरी तनख्वाह से, तो अब तक मैं चन्दौली जिले में स्थित व्यास नगर कॉलोनी में विभागीय आवास ले चुका होता, क्यूंकि मेरा सब डिविजन ऑफिस वहीं पर स्थित था... न ही मैं अपनी शादी के बाद सर्विस ब्रेक करता और न ही मेरे विभाग द्वारा मुझे नैनी इलाहाबाद प्रयागराज में भेजा जाता, पर शायद इसे ही किस्मत कहते हैं... किस्मत के भी खेल निराले हैं , जिनका एहसास मुझे उस रात हुआ, जब उन चोरों के लीडर द्वारा किए गए प्रहार के बाद मैं धूल चटाने के लिए विवश था... कुल्हाड़ी मेरे हाथ से छुट कर थोड़ी दूर गिर गई थी और इससे पहले कि मैं अपनी कुल्हाड़ी तक पहुंच पाता , चोरों के लीडर ने मेरी पीठ में घुसे हुए बेर की कटीली डाल को देख लिया था और अपने एक पैर से उस डाल पर दबाव बनाकर मुझे सीने के बल पड़े रहने पर विवश कर दिया था, मैं उठ रही असहनीय पीड़ा के कारण बुरी तरह तड़प रहा था...

" देखा हो शम्भु... कईसन फड़फड़ावत है, हमनी सब से होशियार बने का नतीजा देखत बाटे... तोहरे जईसन कितने आवत बाटे हमार पचे के शिकार बने खातिर... पर  हमार पचे का कुछो न उखाड़ पावत बाटे, अब तोके पता चली कि हमार पचे से भिड़े का अंजाम का होवत बाटे... ऐ हो शम्भु ज़रा मारा तो खंती ई हीरो हीरालाल के दोनों टंगवा के बीचन म... तनिक ई कि चिखवा तो निकली, " उन चोरों के लीडर ने अपने साथी को आदेश देते हुए कहा। 

" लेकिन ई ससुरा चीखी तो आवाज़ गूंजी... आस पास के फैक्ट्री के गार्ड लोगन के पता चल जाब... तनिक सोचा हो मर्दवा," उसके साथी शम्भु ने अपने लीडर को सतर्क करते हुए कहा। 

" अरे कुछो न होई मर्दवा... तू घुमावा अपन खंती, ऊ गार्ड लोगन बहुत दूर बाटे... एकरी चीख अच्छी तरह से ऊ लोगन के न सुनाई पड़ी, मारा हो खंती जमकर," उन चोरों के लीडर ने अपने साथी की बातों को सुनकर अपनी प्रतिक्रिया दिखाते हुए जवाब दिया और उसका आदेश पाते ही उसके साथी ने लोहे की मोटी खंती हवा में लहरा दी और पूरी ताक़त से मेरी दोनों टांगो के बीच में प्रहार किया... 

" ख ss ट... या ss अा ss ह," लोहे की मोटी खंती द्वारा मेरी दोनों टांगो के बीच में जानलेवा प्रहार किया गया और मेरी दर्दनाक चीख फैक्ट्री में चारों ओर गूंज उठी...  मेरी मजबूरी ये थी कि मैं उस इलाके में नया था, जिसे वहां की देहाती भाषा का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था... अगर मुझे ये उस समय पता रहता कि वो क्या बातें कर रहे हैं, तो शायद मैं उनके प्रहार करने से पहले ही अपनी टांगो को समेट लेता, पर अब बहुत देर हो चुकी थी... टांगो के बीच प्रहार होने पर ऐसी पीड़ा उठी थी जिसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है... मैं दर्द से तड़प रहा था और उस वक़्त मेरी मदद करने वाला कोई भी मौजूद नहीं था। 

" देखा कईसन पीड़ा होत बाटे , हमार पचे के साथी लोगन के भी अईसन पीड़ा उठी होई... अब तोहार सारी हीरोपंती निकल जाई, दो चार खंती और जमावा ससुरा के," उन चोरों के लीडर ने मुझे एहसास दिलाते हुए अपने साथी की ओर देखते हुए उसे आदेश दिया। 

मुझे उस समय भले ही उनकी भाषा न आती हो, लेकिन मैं इतना समझ चुका था कि अब अगर मैं इसी तरह असहाय पड़ा रहता हूं, तो शायद ज़िंदा न बचूं... इस बात को ध्यान में रखते हुए मैंने अपना बचाव करने का निर्णय बना लिया था... बॉक्सिंग और मार्शल आर्ट्स की चौदह साल की उम्र से ट्रेनिंग करने वाला मैं, असहनीय पीड़ा के कारण तेज़ चल रही सांसों पर काबू पाकर, एक बार फ़िर से उन्हें मुंह तोड़ जवाब देने का मन बना चुका था और अपनी पूरी ताक़त इकट्ठा कर के, मैंने अपने हाथों से पीठ को तेज़ी से ऊपर की ओर उठाया और चोरों के लीडर के पैर पे अपनी पूरी ताकत से दाएं पैर से एक ज़ोरदार किक जड़ दी, " त ss ड़ा ss क"... चूंकि उसका एक पैर मेरी पीठ पर घुसे हुए बेर की डाल पे था और बेर के कांटों की वजह से वह अपना पैर इतनी जल्दी नहीं हटा सकता था, क्यूंकि जूतों की सोल तक में कांटे घुस जाते हैं अगर बेर की मोटी डाल पर पैर रख दिया जाए और वह तो मेरी पीठ पर उस डाल द्वारा बने हुए घाव पर दबाव बनाए हुए था... तुरन्त ही वह अपना संतुलन खोकर मेरे ही पिछवाड़े के ऊपर गिर पड़ता है और संयोग से उसका साथी अपनी खंती को हवा में लहराते हुए प्रहार करने के बिलकुल क़रीब था... 

" ख ss ट... आ ss ई ss ई," उसके साथी शम्भु ने अपनी खंती द्वारा अपने ही लीडर के थुथना को फोड़ दिया था... मैंने अपने हाथों की ताकत से पैरों का एंगल बदलकर तुरन्त ही उस लीडर से छुटकारा पाया और तुरन्त ही अपनी पैंट की बेल्ट में दबे लकड़ी के नान चाकू को निकाला तथा हवा में लहराते हुए उसके साथी की खोपड़ी को निशाना बनाया... 

" स ss टा ss क... ऊ ss ह ,"कोहरे के धुंधले वातावरण और दूर से आ रही दो सौ वॉट के बल्ब की हल्की रोशनी में , निशाना बिलकुल निशाने पर लगा और शम्भु की दबी हुई आह मुंह से निकली और मैंने तुरन्त ही नान चाकू को बैक वर्ड ब्लॉक द्वारा अपने हाथों के पीछे की ओर जाम कर लिया... मैं शम्भु की प्रतिक्रिया का इंतज़ार नहीं कर सकता था इसलिए मैंने एक बार फ़िर से अपने हाथ के पीछे की ओर दबे नान चाकू को रिलीज़ किया और शम्भु की खोपड़ी को दूसरी बार निशाना बनाया।

" स ss टा ss क... ऊ ss ई ss ई," निशाना फ़िर से निशाने पे लगा और शम्भु की दर्दनाक चीख निकल पड़ी... मार्शल आर्ट्स जगत के इतिहास में पहली बार मेरे द्वारा जन्म दिए गए नान चाकू बैकवर्ड ब्लॉक ने अपना कमाल दिखाया और लकड़ी के नान चाकू में इतनी ऊर्जा पैदा कर दी कि लाठी चार्ज जैसा अनुभव शम्भु को अपने सिर के पीछे हुआ... इससे पहले कि उनके साथी अपने दोनों साथियों की मदद करने के लिए नज़दीक पहुंचते , मैं नज़दीक ही चमक रही अपनी कुल्हाड़ी को उठता हूं और तेज़ी से दौड़ते हुए खुले साइट एरिआ के घने कोहरे में गायब हो जाता हूं... 
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.


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रचनाएँ
दहशत की रात...
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आज मैं आपको एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी सुनाने जा रहा हूं... एक ऐसी घटना जो किसी भी आम इन्सान के साथ घटित हो तो उसे पूरी तरह से दहशत से भर देती है... ऐसी ही एक घटना मेरे साथ घटित हुई थी जब मैं अपनी सरकारी नौकरी कर रहा था, ये घटना नैनी इलाहाबाद (प्रयागराज) की है जहां पर मेरा पोल मैन्युफैक्चरिंग सब डिविजन ऑफिस है ... मेरा सब डिविजन एक ऐसी जगह है जहां पर दिन भर तो सब कुछ ठीक ठाक चलता है लेकिन जैसे ही जैसे रात होने लगती है , डर लगने लगता है... एक अनजान डर ,जो किसी भी आम इन्सान को रात भर चैन से सोने नहीं देता है...
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भूखे लकड़बग्घे...

19 मई 2023
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भूखे लकड़बग्घे- 2

19 मई 2023
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"अब क्या होगा... क्या करूं , इनका अकेले मुक़ाबला करना सही रहेगा या इनके वार का इंतज़ार करूं .... बहुत जल्द ही ये और नज़दीक आ जाएंगे ... मेरे पास तो एक ही कुल्हाड़ी है," ये सारी बातें मेरे दिमाग़ में च

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वो सर्द रात...

19 मई 2023
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पहली बार खट खुट की कुछ आवाज़ें सुनकर मैंने नज़र अंदाज़ कर दिया पर उस सर्द कोहरे की रात को अचानक ही फिर से मुझे वही आवाज़ सुनाई दी , जब मैं आग के पास फैक्ट्री के शेड में बैठ मोबाइल में बाउंस नामक वीडिय

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वो सर्द रात- 2

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मैं धीरे धीरे कंस्ट्रक्शन साइट के अंत तक पहुंच रहा था कि तभी अचानक घने कोहरे के पर्दे को तेज़ी से चीरता हुआ एक अजनबी साया मुझसे कुछ दूरी पर दाएं से बाएं हाथ की ओर दौड़ लगाता है, जिस ओर डिविजन स्टोर मौ

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" जल्दी करा हो... जल्दी करा," मेरे नज़दीक पहुंचते ही फैक्ट्री में मौजूद चोरों के दल में से एक ने अपने साथियों को निर्देश देते हुए कहा , उन्हें मेरी मौजूदगी का अहसास बिलकुल भी नहीं था ... जल्द ही मैं फ

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19 दिसम्बर की रात को मेरी खाकी वर्दी का इम्तिहान था जो मुझे पुलिस विभाग के चरित्र प्रमाण पत्र बनने के बाद बिजली विभाग द्वारा अलॉट की गई थी , नैनी इलाहाबाद में क़दम रखने से पहले ताकि मैं चोरों का मुकाब

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" फुस्स ss फुस्स ss स ss स... फुस्स ss स ss स... फुस्स ss स ss स ss स," आखिरकार फुसफुसा कर नाग देवता मेरे बाएं कंधे से मुझे सूंघते हुए नीचे उतर ही रहे थे मेरे पैरों से होते हुए की तभी अचानक..." कोनो ब

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वो सर्द रात- 6

19 मई 2023
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"ओ ss ह... तो पूरा गिरोह मौजूद है... आज तो एक नहीं कई मुसीबत एक साथ पधार गई है... कुछ तो करना ही पड़ेगा इन्हें रोकने के लिए , नहीं तो एक साथ इनका मुकाबला करना पड़ेगा... ट्रक में भी तीन चार लोग दि

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वो सर्द रात- 7

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" सुबह के ढाई बज रहे हैं और रौशनी होने में भी अभी काफ़ी समय है... मुझे कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा वर्ना एेसे छुप कर कभी भी पकड़ा जा सकता हूं... चलो कम से कम पांच मिनट तक तमाशा देखता हूं उसके बाद निकल कर

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" मैं यहां ज़्यादा देर तक नहीं रुक सकता हूं... आस पास कोहरा इतना ज़्यादा है कि कुछ भी नज़र नहीं आ रहा है... हो सकता है कि नीचे उतरते ही पकड़ा जाऊं, कोहरे के कारण कुछ भी नहीं दिख रहा है, पेड़ के

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मैं कंस्ट्रक्शन साइट के नज़दीक स्थित 9.0 मी पोल के क्योरिग टैंक की आड़ में जा छुपा था... पीठ में घुसे बेर की डाल के कारण असहनीय पीड़ा उठ रही थी , मुझे किसी भी हालत में उस मोटी डाल के टुकड़े को अपनी पी

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वो सर्द रात- 11

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अपने स्वेटर की आस्तीनो को ऊपर कर मैं अपने दाएं हाथ में कुल्हाड़ी पकड़े, जिसकी धार पर उन चोरों के लीडर की गर्दन टिकी थी तथा अपने बाएं हाथ से उसे गर्दन से दबोचे हुए , मैं मेन गेट की दिशा में बढ़ रहा था

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वो सर्द रात- 12

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" ई ससुरा के अच्छे से सबक सिखाई के पड़ी ... कस के पकड़ा हो शम्भु, आज ई के पता चली कि हम पचे से टकराए का अंजाम का होवत हई," उन चोरों के लीडर ने अपने साथी को आदेश देते हुए कहा। " जाए द... ज्यादा बक

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" आ ss ह... कुछ भी हो मुझे अपने हाथों से बह रहे ख़ून को किसी भी हालत में रोकना पड़ेगा... बहुत गहरा घाव कर दिया है , सर्दी के कारण चोट लगने पर और भी अधिक दर्द होता है , हथेली तो बिलकुल चिपचिपी पड़ चुकी

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वो सर्द रात- 14

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" सन न न न... स ss टा ss क... आ ss ह," घने कोहरे का फ़ायदा उठा कर मैंने एक और चोर को अपना शिकार बनाया, नान चाकू को तेज़ी से घुमाते हुए कोहरे के बादलों को काटते हुए सीधा उस चोर की खोपड़ी पर प्रहार किया

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जुगाड़...

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" देख ला... हम पचे पहले ही कहत रहे कि चला ईहां से... का मतबल हुआ रुके का... पर तोहार समझ में नईखे आवत बाटे, अभिनों हमरी बात माना और इहां से निकल चला... नहीं तो ऊ ससुरा किसी को न छोड़ी," अपने साथी को म

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जुगाड़- 2

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घने कोहरे में , हल्की रोशनी के सहारे मैं धीरे धीरे मेन गेट की दिशा में आगे बढ़ रहा था कि तभी अचानक मेरे मन में एक विचार उठा..." क्या मेरा मेन गेट खोलना उचित रहेगा... इन चोरों के दल पर इस तरह से भरोसा

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" उन नशेड़ी चोरों का दल मेरी तरफ़ ही बढ़ रहा है... आ ss ह... मेरा सिर बुरी तरह से घूम रहा है, मुझे इनसे बहुत तोल मोल के बात करनी पड़ेगी, वर्ना बोलने से मेरी सांसों का बंधन टूटेगा और मेरा ख़ून तेज़ी से

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जुगाड़ फेल ख़त्म खेल...

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" ख ss टा ss क... या ss अा ss ह," मेरे दाएं हाथ पर खड़े आदमी के हरक़त में आते ही मैंने उल्टी कुल्हाड़ी का ज़ोरदार प्रहार , उसकी खोपड़ी पर जड़ दिया , ठीक उसकी बाईं आंख के नज़दीक... प्रहार इतना ज़

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