अगर अवैध बिजली कटौती न करवाई गई होती ऑक्टोबर 2005 को मेरी तनख्वाह से, तो अब तक मैं चन्दौली जिले में स्थित व्यास नगर कॉलोनी में विभागीय आवास ले चुका होता, क्यूंकि मेरा सब डिविजन ऑफिस वहीं पर स्थित था... न ही मैं अपनी शादी के बाद सर्विस ब्रेक करता और न ही मेरे विभाग द्वारा मुझे नैनी इलाहाबाद प्रयागराज में भेजा जाता, पर शायद इसे ही किस्मत कहते हैं... किस्मत के भी खेल निराले हैं , जिनका एहसास मुझे उस रात हुआ, जब उन चोरों के लीडर द्वारा किए गए प्रहार के बाद मैं धूल चटाने के लिए विवश था... कुल्हाड़ी मेरे हाथ से छुट कर थोड़ी दूर गिर गई थी और इससे पहले कि मैं अपनी कुल्हाड़ी तक पहुंच पाता , चोरों के लीडर ने मेरी पीठ में घुसे हुए बेर की कटीली डाल को देख लिया था और अपने एक पैर से उस डाल पर दबाव बनाकर मुझे सीने के बल पड़े रहने पर विवश कर दिया था, मैं उठ रही असहनीय पीड़ा के कारण बुरी तरह तड़प रहा था...
" देखा हो शम्भु... कईसन फड़फड़ावत है, हमनी सब से होशियार बने का नतीजा देखत बाटे... तोहरे जईसन कितने आवत बाटे हमार पचे के शिकार बने खातिर... पर हमार पचे का कुछो न उखाड़ पावत बाटे, अब तोके पता चली कि हमार पचे से भिड़े का अंजाम का होवत बाटे... ऐ हो शम्भु ज़रा मारा तो खंती ई हीरो हीरालाल के दोनों टंगवा के बीचन म... तनिक ई कि चिखवा तो निकली, " उन चोरों के लीडर ने अपने साथी को आदेश देते हुए कहा।
" लेकिन ई ससुरा चीखी तो आवाज़ गूंजी... आस पास के फैक्ट्री के गार्ड लोगन के पता चल जाब... तनिक सोचा हो मर्दवा," उसके साथी शम्भु ने अपने लीडर को सतर्क करते हुए कहा।
" अरे कुछो न होई मर्दवा... तू घुमावा अपन खंती, ऊ गार्ड लोगन बहुत दूर बाटे... एकरी चीख अच्छी तरह से ऊ लोगन के न सुनाई पड़ी, मारा हो खंती जमकर," उन चोरों के लीडर ने अपने साथी की बातों को सुनकर अपनी प्रतिक्रिया दिखाते हुए जवाब दिया और उसका आदेश पाते ही उसके साथी ने लोहे की मोटी खंती हवा में लहरा दी और पूरी ताक़त से मेरी दोनों टांगो के बीच में प्रहार किया...
" ख ss ट... या ss अा ss ह," लोहे की मोटी खंती द्वारा मेरी दोनों टांगो के बीच में जानलेवा प्रहार किया गया और मेरी दर्दनाक चीख फैक्ट्री में चारों ओर गूंज उठी... मेरी मजबूरी ये थी कि मैं उस इलाके में नया था, जिसे वहां की देहाती भाषा का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था... अगर मुझे ये उस समय पता रहता कि वो क्या बातें कर रहे हैं, तो शायद मैं उनके प्रहार करने से पहले ही अपनी टांगो को समेट लेता, पर अब बहुत देर हो चुकी थी... टांगो के बीच प्रहार होने पर ऐसी पीड़ा उठी थी जिसे शब्दों में बयां कर पाना मुश्किल है... मैं दर्द से तड़प रहा था और उस वक़्त मेरी मदद करने वाला कोई भी मौजूद नहीं था।
" देखा कईसन पीड़ा होत बाटे , हमार पचे के साथी लोगन के भी अईसन पीड़ा उठी होई... अब तोहार सारी हीरोपंती निकल जाई, दो चार खंती और जमावा ससुरा के," उन चोरों के लीडर ने मुझे एहसास दिलाते हुए अपने साथी की ओर देखते हुए उसे आदेश दिया।
मुझे उस समय भले ही उनकी भाषा न आती हो, लेकिन मैं इतना समझ चुका था कि अब अगर मैं इसी तरह असहाय पड़ा रहता हूं, तो शायद ज़िंदा न बचूं... इस बात को ध्यान में रखते हुए मैंने अपना बचाव करने का निर्णय बना लिया था... बॉक्सिंग और मार्शल आर्ट्स की चौदह साल की उम्र से ट्रेनिंग करने वाला मैं, असहनीय पीड़ा के कारण तेज़ चल रही सांसों पर काबू पाकर, एक बार फ़िर से उन्हें मुंह तोड़ जवाब देने का मन बना चुका था और अपनी पूरी ताक़त इकट्ठा कर के, मैंने अपने हाथों से पीठ को तेज़ी से ऊपर की ओर उठाया और चोरों के लीडर के पैर पे अपनी पूरी ताकत से दाएं पैर से एक ज़ोरदार किक जड़ दी, " त ss ड़ा ss क"... चूंकि उसका एक पैर मेरी पीठ पर घुसे हुए बेर की डाल पे था और बेर के कांटों की वजह से वह अपना पैर इतनी जल्दी नहीं हटा सकता था, क्यूंकि जूतों की सोल तक में कांटे घुस जाते हैं अगर बेर की मोटी डाल पर पैर रख दिया जाए और वह तो मेरी पीठ पर उस डाल द्वारा बने हुए घाव पर दबाव बनाए हुए था... तुरन्त ही वह अपना संतुलन खोकर मेरे ही पिछवाड़े के ऊपर गिर पड़ता है और संयोग से उसका साथी अपनी खंती को हवा में लहराते हुए प्रहार करने के बिलकुल क़रीब था...
" ख ss ट... आ ss ई ss ई," उसके साथी शम्भु ने अपनी खंती द्वारा अपने ही लीडर के थुथना को फोड़ दिया था... मैंने अपने हाथों की ताकत से पैरों का एंगल बदलकर तुरन्त ही उस लीडर से छुटकारा पाया और तुरन्त ही अपनी पैंट की बेल्ट में दबे लकड़ी के नान चाकू को निकाला तथा हवा में लहराते हुए उसके साथी की खोपड़ी को निशाना बनाया...
" स ss टा ss क... ऊ ss ह ,"कोहरे के धुंधले वातावरण और दूर से आ रही दो सौ वॉट के बल्ब की हल्की रोशनी में , निशाना बिलकुल निशाने पर लगा और शम्भु की दबी हुई आह मुंह से निकली और मैंने तुरन्त ही नान चाकू को बैक वर्ड ब्लॉक द्वारा अपने हाथों के पीछे की ओर जाम कर लिया... मैं शम्भु की प्रतिक्रिया का इंतज़ार नहीं कर सकता था इसलिए मैंने एक बार फ़िर से अपने हाथ के पीछे की ओर दबे नान चाकू को रिलीज़ किया और शम्भु की खोपड़ी को दूसरी बार निशाना बनाया।
" स ss टा ss क... ऊ ss ई ss ई," निशाना फ़िर से निशाने पे लगा और शम्भु की दर्दनाक चीख निकल पड़ी... मार्शल आर्ट्स जगत के इतिहास में पहली बार मेरे द्वारा जन्म दिए गए नान चाकू बैकवर्ड ब्लॉक ने अपना कमाल दिखाया और लकड़ी के नान चाकू में इतनी ऊर्जा पैदा कर दी कि लाठी चार्ज जैसा अनुभव शम्भु को अपने सिर के पीछे हुआ... इससे पहले कि उनके साथी अपने दोनों साथियों की मदद करने के लिए नज़दीक पहुंचते , मैं नज़दीक ही चमक रही अपनी कुल्हाड़ी को उठता हूं और तेज़ी से दौड़ते हुए खुले साइट एरिआ के घने कोहरे में गायब हो जाता हूं...
TO BE CONTINUED...
©IVANMAXIMUSEDWIN.