आज की कहानी बहुत ही विचित्र ओर आश्चर्यजनक है , यहां कहानी उस लड़के कि जो इस दुनिया कि भेड़ चाल से हटकर
कुछ अलग ही करना चाहता था। परन्तु वहां हर बार असफल रहता और कुछ भी नहीं कर पाए। बार बार असफल से आहत पहुंच रही थी। पर एक बहुत पुरानी कहावत है " लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती और कोशिश करने वाले कि कभी हार नहीं होती। एक दिन उसके जीवन में सबकुछ बदल गया था। ओ तुम्हें ले चलते हैं एक रोमांचक सफर पर परन्तु यहां बात तय है अगर यहां पुस्तक बीच में छोड़कर चले गए तो बहुत कुछ खो दो गया परन्तु अगर यहां पुस्तक लगन से अध्ययन करेंगे निश्चित है बहुत कुछ अपने जीवन में आप पा लेंगे।
कहानी कि शुरुआत होती है दिल्ली में चांदनी चौक कि संकरी गली मोहल्ले में रहने वाले चश्मिश साधारण से दिखने वाले भोंदू सा लड़का निखिल चोपड़ा जिसका नाम था। सभी स्कूल में उसकी कक्षा के सहपाठी तंग करते और सभी उसका मज़ाक बनाते चश्मिश कहकर कागज़ इत्यादि फेंक कर उसे पढ़ने भी नहीं देते थे। निखिल बहुत डरपोक और साधारण से था । उसके पिताजी दिल्ली में एक इलेक्ट्रॉनिक शाप पर काम करते थे। इसकी माताजी भी एक प्राइवेट कंपनी में क्लर्क का पोस्ट पर कार्यरत थी। कुल मिलाकर उसके परिवार में सब पढ़ें लिखे और अच्छा खर्च उठाना में सक्षम परिवार था। निखिल पढ़ाई बहुत अच्छा था। इसके माता पिता ने उसको प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे। एक ओर ख़ास बात जब स्कूल आफ़ होता था उसके पिताजी के साथ काम पर जाता था