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जुर्म

30 जनवरी 2022

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जुर्म ( गुनाह)

कोई जुर्म नहीं किया प्यार किया है,
तेरे  हर वादे पे ऐतबार किया है।

बेशक तुम चाहे ले लो जान भी मेरी,
 दिल भी तो तुम पे निसार किया है।

दिल देकर ही दिल ही तो लिया था,
तुमसे ना हमने कोई व्यापार किया है।

तुम ही समा गए ग़ैरों की पनाहों  में
हमने तो बस तुम्हारा इंतज़ार किया है।

शर्मो - हया ने  सिल  दिए  लब  ये  मेरे,
आंखों से  मोहब्बत-ए-इज़हार  किया है।

तुम आ जाओ तो मिले करार दिल को,
तुम्हारी याद ने  इसे बड़ा बेकरार किया है।

एक बार तो आके मिलों ख़्वाब में सही,
*प्रेम* ने तुमसे अर्ज़ ये बार-बार किया है।

प्रेम बजाज ©®

जगाधरी ( यमुनानगर)

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