प्यार भरे जज़्बात, अहसास से भरपूर रचनाएं हैं इस पुस्तक में 🙏
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है तो हैहमें तुमसे मोहब्बत है तो है,लोग कहें इबादत है तो है।हम ना करेंगे शिकवा कभी,तुम्हें हमसे शिकायत है तो है।बेदर्द ज़माना मिलने नहीं देगा,इसलिएजहां से बग़ावत है तो है।हम ना बहलेंगे कभी झूठे वादों
नकाबदुनियां की नज़रों से हम डरा करते हैं, इसलिए ख्वाब में भी नकाब किया करते हैं।कोई देखे ना हमें आपकी ख्वाबगाह में आते हुए,हमें आपसे सरेआम इश्क लड़ाते हुए।जानती हूं ख़्वाब में ना किसी की दख
इश्क का ख़ुमारतु पुकारे और मैं ना आऊं ऐसा हो नहीं सकता,भूल कर तुझे मैं जी पाऊं ऐसा हो नहीं सकता।तु मैं जो हो गया ये इश्क का ही खुमार है,मैं हूं तेरी विरहन तु मेरा बीमार है।छोड़
उम्मीद-ए-विसाले-यारचांद भी कर रहा अटखेलियां संग चांदनी के, बांवरा मन भी मेरा खोया है सपनों में सजन के,चांद कहीं से ढूंढ कर ला चांद मेरा, तेरे जैसा ही है मेरे चांद का मुखड़ा।जा तुझे चां
प्रीत का जामहया ने भी दिया साथ हमारा, लब से जब लब हमारे मिलने लगे,पलकें झुक गई शर्म से, थरथर्राहट लबों मे होने लगी, प्रणय-पुष्प से हम खिलने लगे।वो चूमते हुए मेरे पलकों के बादल, लगा चूमने फिर होंठों के
कैसे लिखूंकैसे लिखूं मैं उस पर गज़ल, वो शब्दों की पकड़ से दूर है, कलम मेरी असमर्थ है उस पर लिखने के लिए, ऐसा गज़ब उसका हुस्न हज़ूर है।सूरज, चांद-सितारे भी सामने उसके दीए लगते हैं, ऐसा उसका
क्या याद हैं वो पल ?क्या याद हैं आज भी तुम्हें वो पल, जब हम छुप-छुप कर ज़माने से मिला करते थे,रोज़ गार्डन में डाल हाथों में हाथ प्यार के पल जिया करते थे।चलता रहा सिलसिला यूं ही, प्यार भी हमारा परवान च
मेरी ज़ुबां पे है नाम तेरामेरी ज़ुबाँ पे है नाम तेरा,है साँसों में भी पयाम तेरा।वक़्ते रुख़सत ना यूँ आए कभी,जाते-जाते ले लो सलाम मेरा।मेरा दिल तेरा घर हुआ जानम,मिला गया इस को मकाम तेरा।मुझे ज़रूरत नहीं ह
इश्क की लज्ज़त मेंक्या-क्या दिन ना देखे तेरे इश्क की लज्ज़त में,ना जी सके, ना मर सके जानम तेरी गुरबत में।ज़ख़्म-ए-दिल पर आंसू के मरहम लगाया किए हम, हर शब रो-रो कर गुजारी है हमने तो तेरी फुरकत में
आने लगे करीबलगे हैं आने वो मेरे करीब धीरे-धीरे, बन रहे हैं अब मेरे वो हबीब धीरे-धीरे। खोलते थे ना लब हया से कभी जो, बन रहे वो हमसे बेतरतीब धीरे-धीरे।फ़लसफ़ा जिं
पैग़ाम ए चांद मेरे महबूब को मेरा पैग़ाम देना,कर उसके नाम मेरी सुबह-शाम देना।कहीं नज़र आए मेरा चांद जो तुमको,तुम उस को मेरा कह सलाम देना।कह देना विसाले-या
जब कोई स्त्री प्रेम में होती हैभूल कर खुद का वजूद प्रियतम से समां जाती है, हो जाती है न्योछावर उस पर जब कोई स्त्री प्रेम में होती है।जब पाती है सान्निध्य वो अपने प्रीतम का, खिल के कली स
इबादत में भी इंतजार मिलासुना है वो हर किसी पे मेहरबान रहते हैं,इस कदर दो खुदा का दर्जा रखते हैं।मिले होंगे वो औरों को बिन मांगे, हमें तो इबादत करके भी उनका इंतजार ही मिला।सुनते हैं उनके दर
मोहब्बत का सिलामेरी मोहब्बत का क्या सिला दिया तुमने,सरेआम कितनी मोहब्बत है मुझसे ये पूछा तुमने,मोहब्बत में कभी नाप-तोल नहीं होता, माना करते हो बेइंतहा मोहब्बत तुम मगर मोहब्बत में कभी हिसाब-
मूक प्यार को जीने दो ( श्रृंगार रस)करके दिल को बेकरार यूं तुम जाने की ज़िद्द ना करना,आए हो तो, थोड़ी देर और तुम रूक जाओ, अभी जाने की बात ना करना।करके इंतजार सुबह से शाम हो जाती है,जब नहीं आती तुम तो म
ना तुम आया, ना तेरा पैग़ाम आयाना तु आया ना ही तेरा पैग़ाम आया,तेरे नाम का मुझ पर इल्ज़ाम आया ।लेती हूं नाम तेरा मैंने दिल तुझको दिया,तेरे लबों पर ना कभी
कैसे कह दूं तुम किसी ग़ैर के हो, मैं भी किसी और की अमानत हूं, मगर इस दिल को कैसे समझाऊं, जो मुझसे करके बग़ावत तुम्हारे आगोश में जा बैठा।करती हूं प्यार तुमसे मगर मैं बेग़ैरत नहीं, मैं किसी को धोखा
आंख भर आईआज आंख भर आई और दिल रो दिया क्योंकि,तुम हुए जुदा तो लगा जिस्म से मैंने जान खो दिया,वो इस तरह हुए जुदा मुझसे जैसे मैं उनका लम्हा भी नहीं, मैंने तो उनको अपनी पूरी ज़िन्दगी का तमगा दे दिया।
आंखेंये मेरा दिल तेरे प्यार का मारा ना होता,तेरी आंखों का जो हमको इशारा ना होता।मयखाने में ही गुज़ार देते ता-उम्र हम यूं ही,तेरी आंखों की मय का जो सहारा ना होता।त्रिश्नगी का ये आलम हमें मार ही डालेगा,
मैं तुमसे मोहब्बत करता हूंमैं तेरे पास रहूं या रहूं दूर तुझसे, तेरी यादों के साए संग रहते हैं, जब भी चलती है हवा, तेरे बदन की खुशबू को महसूस करता हूं। धड़कता है दिल तेरा ही नाम लेते हुए, लब बातें
तेरा प्यार ( श्रृंगार रस)तेरी आगोश किसी जन्नत से कम नहीं, तेरा सीना, खुले आसमान सा लगता है मुझे।तेरे इन नशीले चक्षुओं में डूब कर मैं खुद को ढूंढने की कोशिश में और भी खो गई हूं, लिपट कर तेरे तन के
आंखेंना जाने कितना कुछ कह जाती ये आंखें,बिन मतलब के भी दर्द सह जाती ये आंखें।कभी तो बिन बोले भी बोल जाती ये आंखें,कभी बोल कर भी ना समझा पाती ये आंखें।खुशी में भी छलक पड़ती ये आंखें, ग़म में भी बर
पुकार लो ना रहो यूं मौन तुम एक बार तो मेरा नाम पुकार लो,लगा कर मेरी यादों को गले से आओ थोड़ा इन्हें संवार लो।ग़र है हाल तेरा भी मेरे जैसा, तो ना यूं यादों की मुंडेर पर डेरा डालो, तुम आ
तेरे हैं, तेरे रहेंगे तुझसे करके मोहब्बत हमने भी जहां पाया है, ना होने देंगे बदनाम मोहब्बत, तेरा प्यार ही तो मेरा सरमाया है।तुने बिठा करके मन-मन्दिर में मेरी पूजा की है, तो मैंने भी तुम
किनारों का नसीबनहीं होता नसीब में मिलन किनारों के,मगर धाराओं को मिलाते हैं किनारे,दूर रह कर भी इस तरह से पास आते हैं किनारे,माना हम दूर है, मिलने को मजबूर हैं,ये जहां की रवायतें भी कितनी अजीब हैं,मिलन
मुझ में रम जाओजान-जान कह के क्यों इस तरह जान मेरी लेते हो,इतना तो बताओ क्यों इस कदर तड़पाया करते हो थम जाती धड़कन जब इस कदर प्यार से बुलाते हो।छू जाती है जब हवाएं तेरी ओर से आती हुई मुझको, उ
इतंजार कर लेंगेआतिशे-ग़म ना पूछ, जुदाई में यार की जो रोया मैं, ख़्याल आया जब-जब यार का ऑंखों में अश्क बेशुमार आए।दीदा-ए-नमनाक में लहराते रहे हम शब-भर, वो सांसों की तरह आते रहे-जाते रहे शब - भर,
इश्क की तलब इश्क की तलब जितनी है मुझे तुम्हें भी कुछ कम नहीं, प्यार का ख़ूमार चढ़ा मुझे जितना, नशा मोहब्बत का तुम्हें भी कम नहीं। मैं तुम्हारी चाहत हूं, ज़रूरत हूं, आरज़ू हूं, जुस्तजू
वो रात उफ़्फ़ कैसे भुला दूँ मै वो रात, इश्क की बाँहो मे झूल रही थी मैं जिस रात ।फूलों की सेज पर दो कमल दल खिलते हुए , इक -दूजे को महका रहे थे जिस रात ।शर्मो-हया का पर्दा था बस, दुपट्टे को होल
करवाचौथ चांद का दीदारअनोखा आज फ़लक का चांद आएगा , करूंगी चांद का दीदार, यकीं है मुझे ना वो बहुत इंतजार कराएगा। इश्क का आनन्द तभी आएगा , जब चांद का चांद सा मुखड़ा नज़र आएगा , साजन सजनी क
गुरू की महिमा गुरू के बारे में जितना वर्णन किया जाए उतना कम है , गुरू की महिमा के लिए शब्द प्रयाप्य नहीं ।गुरू को ईश्वर का दर्जा दिया गया है।तभी तो कहा गया --गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु
पुरानी यादें आ दोस्त फिर से वही पूरानी यादें ताज़ा करेंगे, फिर से वही स्कूल के बैंच पर सबसे पीछे बैठने की होड़ लगायेंगे। आ दोस्त फिर से वही टैस्ट में सबसे ज्यादा नम्बर लाने की ज़िद