shabd-logo

मैं मज़दूर हूं

1 मई 2022

29 बार देखा गया 29
हां मैं मज़दूर हूं 

हां मैं एक मज़दूर हूं , खुला आकाश मेरी छत है , तपती धरती मेरा बिछौना है ।
टूटी-फूटी अपनी झोंपड़ी में मुझे हंसना और रोना है । 
नहीं चाह मुझे महल - माड़ियों  की , घास - फूस की कच्ची मिट्टी की झोंपड़ी में
ही खुश हूं मैं , क्योंकि मैं मज़दूर हूं ।
सूट - बूट तो बड़े लोगों के शौंक हैं , चीथड़े मेरा लिबास हैं ।
पूनम की चांदनी में पढ़ते बच्चे मेरे , मेरा गौरव , मेरा विश्वास हैं ।
जब हो जाते अच्छे नंबरों से पास तो खुशी बहुत मनाता हूं ,
ना पढ़ने को , रहने - खाने को सुख - सुविधाएं उन्हें , इसलिए मैरिट की 
ना चाहना रखता हूं , हां मैं एक मज़दूर हूं ।
चीर के पर्वत का सीना झरना मैं बहा दूं , धरती की गोद से दरिया मैं निकाल दूं ।
नहीं कर सकता मैं किसी चैक पर हस्ताक्षर, दिलों पर जो मिटे ना कभी नाम
ऐसा लिख जाता हूं ।  नहीं देखता अपने हाथों के छालों को , महल , गाड़ियां तुम्हारी 
चमकाता हूं , हां मैं एक मज़दूर हूं ।




प्रेम बजाज

अन्य डायरी की किताबें

भारती

भारती

बेहतरीन रचना 👌🏻👌🏻

1 मई 2022

prem

prem

1 मई 2022

Bharti ji shukriya 🙏🌹

5
रचनाएँ
prem की डायरी
0.0
इस पुस्तक में प्यार भरी रचनाओं से आप रू-ब-रू होंगें, प्यार भरे एहसास, प्यार भरी तकरार, इसमें हर रंग आपको मिलेगा।
1

जुर्म

30 जनवरी 2022
0
0
0

जुर्म ( गुनाह)कोई जुर्म नहीं किया प्यार किया है,तेरे हर वादे पे ऐतबार किया है।बेशक तुम चाहे ले लो जान भी मेरी, दिल भी तो तुम पे निसार किया है।दिल देकर ही दिल ही तो लिया था,तुमसे ना हमने कोई

2

रूहानी इश्क

1 फरवरी 2022
1
0
0

रूहानी इश्कये मेल है रूह का रूह से, जिस्मों का मेल नहीं,जिस्मों का मेल होता है चंद पलों का, रूहों का मेल रहता, कयामत से परे भी है। हो पतझड़ भी तो ये मेल बना देता उसे गुलज़ार है, खिल उठत

3

जब स्त्री प्रेम में होती है

8 फरवरी 2022
3
2
3

जब कोई स्त्री प्रेम में होती हैभूल कर खुद का वजूद प्रियतम से समां जाती है, हो जाती है न्योछावर उस पर जब कोई स्त्री प्रेम में होती है।जब पाती है सान्निध्य वो अपने प्रीतम का, खिल के कली स

4

मैं मज़दूर हूं

1 मई 2022
1
1
2

हां मैं मज़दूर हूं हां मैं एक मज़दूर हूं , खुला आकाश मेरी छत है , तपती धरती मेरा बिछौना है ।टूटी-फूटी अपनी झोंपड़ी में मुझे हंसना और रोना है । नहीं चाह मुझे महल - माड़ियों की , घास - फ

5

मां

8 मई 2022
1
0
2

मांमाँ..... माँ वो है , जिसको हम शब्दों में व्यक्त नही कर सकते, जिसकी कोई व्याख्या नही कर सकते। माँ के बारे मे जितना कहा जाए कम है । माँ...मात-पिता है, गुरू- सखा है , जननी है, पा

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए