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रूहानी इश्क

1 फरवरी 2022

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रूहानी इश्क

ये मेल है रूह का रूह से, जिस्मों का मेल नहीं,
जिस्मों का मेल होता है चंद पलों का, 
रूहों का मेल रहता, कयामत से परे भी है।

 हो पतझड़ भी तो ये मेल बना देता उसे गुलज़ार है, 
खिल उठती हैं गुलाबी कलियां मन-उपवन में, 
चढ़ता जब इश्क का खुमार है, हां यही तो रूहानी प्यार है।

ना हो बातें लबों से चाहे, रूह , रूह से बात कर जाती है, दिल से दिल की धड़कन जो कह दे, आंखों से वो समझा जाती है।

दिल से कर दोगे जुदा, पर रूह से कैसे मेरे नक्श मिटाओगे, दफन होने के बाद भी अपने संग मुझे पाओगे,ये मेरा इकरार है, हां मैं रूहानी प्यार है।

मैं बस जाऊं रूह  में तेरी, तुम मेरी रूह बन जाना, किया है प्यार तो लेनी होगी रूसवाई भी, यही प्यार की रीत है।

 प्यार कोई खेल नहीं कि जिसमें हो हार या जीत है, रूह की मोहब्बत के लफ़्ज़ नहीं होते, मूक ये प्यार है, हां ये रूहानी प्यार है।

प्रेम बजाज©®
जगाधरी ( यमुनानगर)

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